बस्तर: बस्तर में अधिकांश स्कूलों की उपस्थिति मध्यान भोजन की निरंतरता पर भी निर्भर करती है. खासतौर पर दूरस्थ और पहुंच विहीन इलाकों में जहां पर मध्यान भोजन गांव के बच्चों को स्कूलों से जुड़े रखने का अहम माध्यम है. पोषण और पढ़ाई के लिए शुरू यह व्यवस्था रसोईया संघ के हड़ताल की वजह से बुरी तरह से चरमरा गई है. हालांकि बस्तर प्रशासन दावा कर रहा है कि स्वच्छता समूहों और शिक्षकों की मदद से यह व्यवस्था बहाल की गई है, लेकिन जिले में 60 फीसदी से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां मध्यान भोजन नियमित तौर पर छात्रों को नहीं मिल रहा है.
धमतरी में हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान, वन विभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा
बस्तर में 25 सौ से अधिक ऐसे स्कूल हैं जहां मध्यान भोजन व्यवस्था रसोइयों की हड़ताल की वजह से प्रभावित हुई है. लंबे समय से रसोइए हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार की तरफ से इनकी हड़ताल को खत्म करने के लिए विशेष प्रयास नहीं किए गए हैं. नियमितीकरण और मानदेय बढ़ाने जैसी मांग को लेकर रसोइया संघ पिछली सरकार के समय भी लगातार आंदोलन कर रहा था. अब यह आंदोलन करीब 1 महीने से अधिक लंबा हो चुका है. इन रसोइयों के भरोसे बस्तर के स्कूलों की भोजन व्यवस्था सुचारू रहती है. लेकिन रसोइयों की अनुपस्थिति के चलते अब स्कूलों में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था प्रभावित हो रही है.
बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार का दावा है कि स्व सहायता समूह के जरिए और शिक्षकों की मदद से मध्यान भोजन व्यवस्था जारी रखी जा रही है. कुछ जगह सूखा राशन बांटने की भी जानकारी मिल रही है. वहीं कई जगह रसोईयों ने स्थानीय पंचायतों के सहयोग से स्कूलों में राशन व्यवस्था को भी बाधित किया है. जल्द ही रसोईया संघ की हड़ताल खत्म नहीं हुई तो मध्यान भोजन को लेकर स्कूलों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.