जगदलपुर : शिक्षा के प्रकाश से जीवन के घोर अंधकार को दूर किया जा सकता है. बस्तर में नक्सल आतंक के कारण कई स्कूल ध्वस्त कर दिए गए थे.जिसका असर उन इलाकों में रहने वाले बच्चों पर पड़ा.लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार नक्सल क्षेत्र में बंद हुए स्कूलों को चिन्हित करके उन्नयन का काम करवाया.ताकि जो बच्चे शिक्षा से वंचित रह गए थे उन्हें वापस स्कूलों में लाया जा सके.वहीं कुछ नए स्कूलों को बनाकर बच्चों की पढ़ाई शुरु करवाई गई.
स्कूल की कलेक्टर ने की थी घोषणा : नक्सल क्षेत्र चांदमेटा भी स्कूल विहीन था. जब बस्तर के कलेक्टर का इस क्षेत्र में दौरा हुआ तो लोगों ने स्कूल की मांग की.फिर क्या था कलेक्टर ने महज दो महीनों के भीतर ही स्कूल भवन का निर्माण करवा दिया. जिसके बस्तर जिले के अंतिम छोर में बसे अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र चांदामेटा में बने नए प्राथमिक स्कूल भवन का स्कूली बच्चे, ग्रामीण, कलेक्टर, एसपी और अन्य विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में गांव के सरपंच ने उद्घाटन किया है.
'' शिक्षा के मंदिर का शुभारंभ हो गया है. इस मंदिर में बच्चे पढ़ाई करके अपने भविष्य को गढ़ने का काम करेंगे. शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिससे जीवन को एक दिशा दी जाती है. नई पीढ़ी को सही रास्ता दिखाने में शिक्षा की अहम भूमिका रहती है. इस कारण सभी ग्रामीण अपने बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाई के लिए स्कूल भेजें.'' विजय दयाराम,कलेक्टर
स्कूल के लिए ग्रामीण ने दान की जमीन : इसके साथ ही स्कूल भवन के लिए अपनी जमीन दान करने वाले गांव के जागरूक ग्रामीण आयता मरकाम को बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने पुष्पहार देकर सम्मानित किया. इसके अलावा स्कूल में भर्ती बच्चों को गणवेश और पाठ्यपुस्तक का वितरण किया गया. बस्तर कलेक्टर ने जिले का पदभार संभालते ही चांदमेटा दौरे के लिए निकले थे. इस दौरान स्कूल भवन की घोषणा की गई. क्योंकि स्कूल सुरक्षाबल के कैंप में चल रहा था. अब स्कूल भवन के बनने से क्षेत्र के ग्रामीणों में और बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
75 साल बाद चांदमेटा में लहराया था तिरंगा : बस्तर जिले का चांदामेटा तुलसी डोंगरी इलाका बेहद ही दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इलाके में सुरक्षाबल के जवान नक्सली मोर्चे पर डटे हुए हैं.सुरक्षाबल के कारण नक्सल बैकफुट पर हैं.वहीं ग्रामीणों का भरोसा भी प्रशासन और पुलिस के प्रति बढ़ा है. यही कारण है आजादी के 75 साल के बाद 15 अगस्त 2022 को चांदामेटा में पहली बार देश का तिरंगा शान से लहराया था.