बस्तरः छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक रोका-छेका अभियान (Roka-cheka campaign) जगदलपुर (Jagdalpur) शहर में दम तोड़ता नजर आ रहा है. दरअसल, शुरुआती दिनों में नगर निगम अमले ने इस अभियान को लेकर जमकर उत्साह दिखाया था और शहर की सड़कों में घूम रहे मवेशियों (Cattle) को पकड़कर कांजी हाउस (Kanji House) पहुंचाया था.
लेकिन, बीते कई माह से यह अभियान पूरी तरह से ठप्प पड़ा है. घूमते मवेशी (Cattle)शहर के मुख्य सड़कों के साथ ही शहर के विभिन्न वार्डो और बाजार स्थलों पर इन दिनों बड़ी संख्या में नजर आ रहे हैं. कुल मिलाकर यह अभियान अब कागजी अभियान (Paper campaign)बन गया है. आलम यह है कि, सड़कों में मवेशियों के होने से आए दिन सड़क दुर्घटनाए हो रही है और इसमें मवेशियों (Cattle) की भी जाने जा रही है.
पिछले साल शुरु हुआ था रोका-छेका अभियान
बताया जा रहा है कि पिछले साल जुलाई माह में रोका-छेका अभियान शुरु किया गया था. नगरीय प्रशासन और विकास मंत्रालय ने इसकी गाइडलाइन जारी की थी. शुरुआती माह में जगदलपुर नगर निगम की काउ कैचर सड़कों और बाजारों में नजर आती थी. जहां से घूमते मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता था. बाद में निगम प्रशासन ने इस काम को ठेके पर दे दिया. उस एजेंसी को निगम प्रशासन की काउ कैचर की सुविधा भी दी गई.
जुर्माना से प्राप्त राशि का 25 फ़ीसद नगर निगम को दिया गया
हालांकि जब फॉर्मूला बन गया कि जुर्माना से प्राप्त राशि का 25 फ़ीसदी नगर निगम को दिया जाएगा. तो वहीं, शेष रकम एजेंसी की होगी. जिसके जिम्मे में कांजी हाउस में रखे गए मवेशियों की खान-पीने की व्यवस्था भी रहेगी. हालांकि कुछ महीने तक तो यह काम ठीक-ठाक चला. लेकिन बाद में इसका दम निकल गया. मवेशी मालिकों पर 350 रुपये का जुर्माने का प्रावधान था, ज्यादातर उन लोगों ने यह जुर्माना अदा कर मवेशी ले जाने में रुचि दिखाई जिनके मवेशी दुधारू थे, बाकी तो कांजी हाउस झांकने भी नहीं गए.
मवेशियों की नीलामी भी की गई
वहीं, पिछले 1 साल में दो-तीन बार मवेशियों की नीलामी भी की गई, लेकिन ठेका समाप्त होने पर इस साल नए सिरे से निविदा निकाली गई. हालांकि नतीजा विफल रहा और स्थिति जस की तस बनी हुई है. अब सड़कों पर बड़ी संख्या में मवेशी घूम रहे हैं. वहीं, मवेशी मालिकों पर भी निगम प्रशासन के द्वारा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
विपक्ष ने योजना को बताया फेल
इधर, विपक्ष ने भी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को पूरी तरह से फेल बताया है. वहीं, जगदलपुर के पूर्व विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता संतोष बाफना ने कहा कि जगदलपुर के साथ-साथ पूरे प्रदेश में राज्य सरकार का रोका-छेका अभियान पूरी तरह से फेल है. मवेशियों के देख-रेख के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर गौठान तो बनाई गई, लेकिन यहां गायों को रखने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही इन गौठानों में गाय रहती है. साथ ही शहर के भी सभी मुख्य चौक चौराहों पर बड़ी संख्या में गाय बछड़े सड़क पर दिखते हैं. राज्य सरकार ने जनता को खुश करने के लिए हवा हवाई में रोका- छेका योजना तो बना दिया. लेकिन इस योजना के लिए सरकार के पास कोई प्लानिंग नहीं होने की वजह से मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं और सड़क हादसे का शिकार भी हो रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में कई मवेशियों के सड़क दुर्घटना में मौत भी हो गई है.
गौठानों में हो रही मॉनिटरिंग
वहीं, इस मामले में बस्तर कलेक्टर का कहना है कि लगातार प्रशासन के द्वारा जिले के गौठानो में मॉनिटरिंग की जा रही है. सभी तरह की व्यवस्था को दुरुस्त करने के भी आदेश दिए गए हैं. हालांकि कलेक्टर ने भी कहा कि शहर की सड़कों पर इस समय अधिकतर संख्या में मवेशी देखे जा रहे हैं और इसके लिए जल्द ही निगम प्रशासन से बात कर मवेशी मालिकों को चेतावनी दी जाएगी. साथ ही उनसे जुर्माना वसूलने के साथ कार्रवाई भी की जाएगी. कलेक्टर ने कहा कि, जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त कर लिया जाएगा. कांजी हाउस में भी इन आवारा मवेशियों को रखने की व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है.