ETV Bharat / state

बस्तर दशहरा: शुरू हुआ रथ निर्माण, सिर्फ इन आदिवासियों को है ये अधिकार - bastar dussehra

75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा के लिए रथ की तैयारी शुरू हो गई है. इस रथ की खास बात यह है कि इसे आदिवासियों द्वारा विशेष प्रक्रिया से निर्माण किया जाता है.

शुरू हुआ बस्तर दशहरा का रथ निर्माण
author img

By

Published : Sep 20, 2019, 3:37 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर : दुनिया में सबसे लंबे वक्त तक चलने वाले विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व की शुरूआत हो चुकी है. 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा पर्व की सबसे प्रमुख परंपरा है रथ परिक्रमा.

बस्तर दशहरे के रंग.

रथ परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इसी रथ पर दंतेश्वरी देवी की सवारी को बैठाकर शहर की परिक्रमा कराई जाती है. लगभग 30 फीट ऊंचे इस विशालकाय रथ को परिक्रमा कराने के लिए 4 सौ से अधिक आदिवासियों की जरूरत पड़ती है. बस्तर दशहरा को देखने के लिए देश-विदेश से अनेक सैलानी यहां पहुंचते हैं.

इस विश्व प्रसिद्ध पर्व मे खींचे जाने वाले रथ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. रथ बनाने की यह प्रक्रिया भी काफी विशेष होती है. क्या होता है खास जानिए-

  • परंपरा के मुताबिक रथ निर्माण की प्रक्रिया स्थानीय गांवों के विशेष वर्गों में बंटी होती है.
  • रथ बनाने के लिए जिन लकड़ियों को इस्तेमाल किया जाता है, उसे एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा लाया जाता है.
  • इस लकड़ी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है.
  • 600 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस रथ का निर्माण बस्तर जिले में स्थित बडेउमर और झाडउमर गांव के ही ग्रामीण आदिवासियों द्वारा होता है.
  • आदिवासी 15 दिनों में इन लकड़ियों से विशालकाय रथ का निर्माण करते हैं.
  • इस रथ को बनाने के लिए 150 से अधिक ग्रामीण, कारीगर स्थानीय सीरासार भवन में ठहरकर 15 दिनों के भीतर ही तैयार कर लेते हैं.
  • विजयदशमी के दिन बस्तर की आराध्य देवी मांई दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ कर शहर में परिक्रमा लगाई जाती है.

जगदलपुर : दुनिया में सबसे लंबे वक्त तक चलने वाले विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व की शुरूआत हो चुकी है. 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा पर्व की सबसे प्रमुख परंपरा है रथ परिक्रमा.

बस्तर दशहरे के रंग.

रथ परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इसी रथ पर दंतेश्वरी देवी की सवारी को बैठाकर शहर की परिक्रमा कराई जाती है. लगभग 30 फीट ऊंचे इस विशालकाय रथ को परिक्रमा कराने के लिए 4 सौ से अधिक आदिवासियों की जरूरत पड़ती है. बस्तर दशहरा को देखने के लिए देश-विदेश से अनेक सैलानी यहां पहुंचते हैं.

इस विश्व प्रसिद्ध पर्व मे खींचे जाने वाले रथ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. रथ बनाने की यह प्रक्रिया भी काफी विशेष होती है. क्या होता है खास जानिए-

  • परंपरा के मुताबिक रथ निर्माण की प्रक्रिया स्थानीय गांवों के विशेष वर्गों में बंटी होती है.
  • रथ बनाने के लिए जिन लकड़ियों को इस्तेमाल किया जाता है, उसे एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा लाया जाता है.
  • इस लकड़ी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है.
  • 600 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस रथ का निर्माण बस्तर जिले में स्थित बडेउमर और झाडउमर गांव के ही ग्रामीण आदिवासियों द्वारा होता है.
  • आदिवासी 15 दिनों में इन लकड़ियों से विशालकाय रथ का निर्माण करते हैं.
  • इस रथ को बनाने के लिए 150 से अधिक ग्रामीण, कारीगर स्थानीय सीरासार भवन में ठहरकर 15 दिनों के भीतर ही तैयार कर लेते हैं.
  • विजयदशमी के दिन बस्तर की आराध्य देवी मांई दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ कर शहर में परिक्रमा लगाई जाती है.
Intro:जगदलपुर। विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व कि शुरूआत हो चुकी है, 75 दिनो तक चलने वाले इस दशहरा मे सबसे प्रमुख परम्परा है रथ परिक्रमा, ऱथ परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी है, इसी रथ मे दंतेश्वरी देवी की सवारी को बैठाकर शहर कि परिक्रमा कराई जाती है, लगभग 30 फूट उंचे इस विशालकाय रथ को परिक्रमा कराने के लिए 400 से अधिक आदिवासियो कि जरूरत पडती है, बस्तर के इस सबसे बडे त्यौहार को देखने देश विदेश से अनेक शैलानी बस्तर पंहुचते है।



Body:इस एतिहासिक पर्व मे खींचे जाने वाले रथ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। रथ बनाने की यह प्रक्रिया भी काफी विशेष होती है, पंरपंरानुसार इस रथ निर्माण की पूरी प्रक्रिया स्थानीय गांवो के विशेष वर्गो मे बंटी होती है, ऱथ निर्माण मे प्रयुक्त सरई की लकडियो को एक विशेष वर्ग के लोगो के द्वारा लाया जाता है।


Conclusion:और इस लकडी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। 600 वर्षो से चली आ रही पंरपरा के अनुसार इस रथ निर्माण के लिए बस्तर जिले मे स्थित बडेउमर और झाडउमर गांव के ही ग्रामीण आदिवासियो द्वारा 15 दिनो मे इन लकडियो से विशालकाय रथ का निर्माँण किया जाता है। इस रथ को बनाने के लिए 150 से अधिक ग्रामीण कारीगर स्थानीय सीरासार भवन मे ठहरकर 15 दिनो के भीतर ही तैयार कर लेते है, और विजयदशमी के दिन  बस्तर की अराध्य देवी मांई दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ कर शहर मे परिक्रमा लगाई जाती है।   

बाईट1- दलपति, मुखिया रथ कारीगर "बुजुर्ग"

बाईट2-लखन बघेल, रथ कारीगर
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.