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SPECIAL: एक्शन ही नहीं एक्टिंग से भी नक्सलियों की काट निकाल रहे हैं ये अफसर

नक्सलियों की एक घटना ने इतना झकझोर दिया कि बस्तर के अफसरों ने नक्सलियों के खिलाफ नई काट निकाली और फिल्म बनाने को मजबूर हो गए.

स्पेशल स्टोरी
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Published : Jul 11, 2019, 7:45 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में अफसर 'लाल आतंक' पर वार करने के लिए कभी गाने तो कभी फिल्म का सहारा ले रहे हैं. अब शॉर्ट फिल्म के जरिए पुलिस नक्सलियों की विचारधारा पर प्रहार करने की तैयारी कर रही है.

शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों में जागरूकता लाई

पुलिस का प्लान है कि शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों में जागरूकता लाई जाए, ताकि वो नक्सलियों का साथ छोड़ पुलिस की मदद करें. बता दें कि इस फिल्म में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के जवानों को मिलाकर करीब 100 लोग एक्टिंग करेंगे.

फिल्म के बारे में जाने-

  • शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों के दिल में नक्सलियों को लेकर बन रही सॉफ्ट इमेज को वॉशआउट करने के लिए एसपी अभिषेक पल्‍लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के नेतृत्व में छोटी-छोटी कहानियों पर यह पांच से 7 पार्ट में शॉर्ट फिल्म तैयार की जाएगी.
  • इस फिल्म में हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ तेलगू, छत्तीसगढ़ी, गोंडी और हल्बी भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ ही इसे गोंडी और हल्बी भाषा में भी डब किया जाएगा, ताकि अंदरूनी इलाके में रहने वाले लोग इसे आसानी से समझ सकें.
  • बस्तर के बीहड़ों में नक्‍सली सालों से राज कर रहे हैं. आदिवासियों को बहला- फूसलाकर और आतंक से अपने साथ कर लिया है. अंदरूनी इलाकों में विकास कार्य होने नहीं दे रहे हैं और सरकार व प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों को उकसाते रहते हैं.
  • आदिवासियों को सामने कर आतंक फैलाने में भी नक्‍सलियों का कोई सानी नहीं है. स्‍थानीय आदिवासी मारा जाता है और बड़े नक्‍सली आराम की जिंदगी जी रहे हैं.
  • इन्‍हीं बातों को बताने एसपी डॉ अभिषेक पल्‍लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के नेत़त्‍व में एक शार्ट फिल्‍म तैयार की जा रही है. इसमें स्‍थानीय जवानों के साथ भिलाई के कलाकार शामिल हैं.
  • सड़क-पेड़ काटना, पुल-पुलिया उड़ाना, विस्‍फोटक लगाना, जवानों पर हमला, गांव के प्रत्‍येक घर से एक बच्‍चा अपने साथ ले जाना. इसके अलावा ग्रामीणों को विकास कार्यों से दूर रखना, जनहित के कार्यों में जुटे लोगों को बेवजह हत्‍या आदि की शूटिंग होगी.
  • इतना ही नहीं सरेंडर के बाद नक्‍सलियों और उनके परिजनों की बदली जिंदगी पर भी आधारित सिनेमा बनाया जाएगा. इसके साथ ही सरेंडर के बाद उसके और उनके परिजनों पर नक्‍सलियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार और दवाब भी इसमें दिखाया जाएगा.
  • पुलिस अधिकारियों के अनुसार फिल्म में रियल स्टोरी के करीब है. उससे बताया गया है कि कैसे उन्होंने आदिवासियों के लिए खोले गए स्कूल और अस्पतालों को तोड़ा, कैसे वो हर परिवार से बच्चों को ले जाते हैं.

यहां से मिला मूवी बनाने का आइडिया
एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि दो माह पहले पांच लाख का एक इनामी नक्सली को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था. उसके बाद कुआकोंडा में स्थित एक आश्रम के एक बच्‍चे के व्‍यवहार में परिवर्तन देखा गया. उसके पास एक मोबाइल मिला, उसमें नक्सल समर्थित कई वीडियो और साहित्य थे. यह वाक्‍या अंदर तक झकझोर दिया था. बस यहीं से फिल्म बनाने का आइडिया मिला. एसपी कहते हैं कि कि जब वे जंगल में रहकर फिल्म बनाकर, लोगों को बरगला सकते हैं तो उनके इस नकारात्मक विध्वंसक विचारों का जवाब सकारात्मक तरीके से हम क्‍यों नहीं दे सकते.

पहले गाने के जरिए हुई थी जागरूकता लाने की कोशिश
करीब एक साल पहले कोंडागांव के एएसपी महेश्वर के गाए गाने इलाके में खासे लोकप्रिय हुए थे. ग्रामीणों में आ रहे परिवर्तन से नक्सली इतने बौखलाए थे कि उन्होंने मोबाइल में गाना मिलने पर एक महिला की हत्या तक कर दी थी. पुलिस की ओर से की जा रही यह पहल वाकई काबिल-ए-तारीफ है और यह प्रयोग छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के सफाए के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में अफसर 'लाल आतंक' पर वार करने के लिए कभी गाने तो कभी फिल्म का सहारा ले रहे हैं. अब शॉर्ट फिल्म के जरिए पुलिस नक्सलियों की विचारधारा पर प्रहार करने की तैयारी कर रही है.

शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों में जागरूकता लाई

पुलिस का प्लान है कि शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों में जागरूकता लाई जाए, ताकि वो नक्सलियों का साथ छोड़ पुलिस की मदद करें. बता दें कि इस फिल्म में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के जवानों को मिलाकर करीब 100 लोग एक्टिंग करेंगे.

फिल्म के बारे में जाने-

  • शॉर्ट फिल्म के जरिए ग्रामीणों के दिल में नक्सलियों को लेकर बन रही सॉफ्ट इमेज को वॉशआउट करने के लिए एसपी अभिषेक पल्‍लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के नेतृत्व में छोटी-छोटी कहानियों पर यह पांच से 7 पार्ट में शॉर्ट फिल्म तैयार की जाएगी.
  • इस फिल्म में हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ तेलगू, छत्तीसगढ़ी, गोंडी और हल्बी भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ ही इसे गोंडी और हल्बी भाषा में भी डब किया जाएगा, ताकि अंदरूनी इलाके में रहने वाले लोग इसे आसानी से समझ सकें.
  • बस्तर के बीहड़ों में नक्‍सली सालों से राज कर रहे हैं. आदिवासियों को बहला- फूसलाकर और आतंक से अपने साथ कर लिया है. अंदरूनी इलाकों में विकास कार्य होने नहीं दे रहे हैं और सरकार व प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों को उकसाते रहते हैं.
  • आदिवासियों को सामने कर आतंक फैलाने में भी नक्‍सलियों का कोई सानी नहीं है. स्‍थानीय आदिवासी मारा जाता है और बड़े नक्‍सली आराम की जिंदगी जी रहे हैं.
  • इन्‍हीं बातों को बताने एसपी डॉ अभिषेक पल्‍लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के नेत़त्‍व में एक शार्ट फिल्‍म तैयार की जा रही है. इसमें स्‍थानीय जवानों के साथ भिलाई के कलाकार शामिल हैं.
  • सड़क-पेड़ काटना, पुल-पुलिया उड़ाना, विस्‍फोटक लगाना, जवानों पर हमला, गांव के प्रत्‍येक घर से एक बच्‍चा अपने साथ ले जाना. इसके अलावा ग्रामीणों को विकास कार्यों से दूर रखना, जनहित के कार्यों में जुटे लोगों को बेवजह हत्‍या आदि की शूटिंग होगी.
  • इतना ही नहीं सरेंडर के बाद नक्‍सलियों और उनके परिजनों की बदली जिंदगी पर भी आधारित सिनेमा बनाया जाएगा. इसके साथ ही सरेंडर के बाद उसके और उनके परिजनों पर नक्‍सलियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार और दवाब भी इसमें दिखाया जाएगा.
  • पुलिस अधिकारियों के अनुसार फिल्म में रियल स्टोरी के करीब है. उससे बताया गया है कि कैसे उन्होंने आदिवासियों के लिए खोले गए स्कूल और अस्पतालों को तोड़ा, कैसे वो हर परिवार से बच्चों को ले जाते हैं.

यहां से मिला मूवी बनाने का आइडिया
एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि दो माह पहले पांच लाख का एक इनामी नक्सली को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था. उसके बाद कुआकोंडा में स्थित एक आश्रम के एक बच्‍चे के व्‍यवहार में परिवर्तन देखा गया. उसके पास एक मोबाइल मिला, उसमें नक्सल समर्थित कई वीडियो और साहित्य थे. यह वाक्‍या अंदर तक झकझोर दिया था. बस यहीं से फिल्म बनाने का आइडिया मिला. एसपी कहते हैं कि कि जब वे जंगल में रहकर फिल्म बनाकर, लोगों को बरगला सकते हैं तो उनके इस नकारात्मक विध्वंसक विचारों का जवाब सकारात्मक तरीके से हम क्‍यों नहीं दे सकते.

पहले गाने के जरिए हुई थी जागरूकता लाने की कोशिश
करीब एक साल पहले कोंडागांव के एएसपी महेश्वर के गाए गाने इलाके में खासे लोकप्रिय हुए थे. ग्रामीणों में आ रहे परिवर्तन से नक्सली इतने बौखलाए थे कि उन्होंने मोबाइल में गाना मिलने पर एक महिला की हत्या तक कर दी थी. पुलिस की ओर से की जा रही यह पहल वाकई काबिल-ए-तारीफ है और यह प्रयोग छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के सफाए के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.

Intro:पुलिस कप्तान का नक्सलवाद पर बड़ा हमला, अब शार्ट मूवी से उजागर होंगे नक्‍सलियों के कारनामे
- जवान है कलाकार खुद एसपीपी भी बने अभिनेता


दंतेवाड़ा।

नक्सलवाद की बस्तर में जड़े काफी गहरी है। इस विचारधारा को तोड़ने के लिए अब डक्यूमेंट्री से पुलिस कप्तान ने हमला करने की रणनीति बनाई है। अब नक्‍सलियों की कारगुजारियां सिनेमा के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाएगी। इसके लिए डॉक्‍टर से आईपीएस बने एसपी अब अभिनेता बनने जा रहे हैं। दंतेवाड़ा के दो अफसर ने शार्ट ि‍फल्‍म के जरिए नक्‍सलवाद की बुराइया उजागर करेंगे। इसके लिए जिले में भिलाई के कलाकारों के साथ खुद पुलिस जवान और सरेंडर कैडर जुटे हैं। करीब 100 कलाकार जवान मिलकर अब सिनेमा के जरिए नक्‍सलियों का आतंक लोगों तक पहुंचाएंगे।




--- Body:बस्तर के बीहड़ों में नक्‍सली सालों से राज कर रहे हैं। आदिवासियों को बहला- फूसलाकर और आतंक से अपने साथ कर लिया है। अंदरूनी इलाकों में विकास कार्य होने नहीं दे रहे हैं और सरकार व प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों को उकसाते रहते हैं। आदिवासियों को सामने कर आतंक फैलाने में भी नक्‍सलियों की कोई सानी है। स्‍थानीय आदिवासी मारा जाता है और बड़े नक्‍सली आराम से जंगलों या अज्ञात शहरों में रहकर ऐश की जिंदगी जी रहे हैं। इन्‍हीं बातों को बताने एसपी डॉ अभिषेक पल्‍लव और एएसपी सूरज सिंह परिहार के नेत़त्‍व में एक शार्ट पिफल्‍म तैयार की जा रही है। जिसमें स्‍थानीय जवानों के साथ भिलाई के कलाकार शामिल है। यह सिनेमा दंतेवाड़ा के जंगल और चिन्हित स्‍थलों पर शूट किया जा रहा है। बुधवार को एक शार्ट स्‍थानीय बस स्‍टैंड स्थित एक दवा दुकान पर की गई। इससे पहले दंतेवाड़ा के जंगलों में शूटिंग शुरू कर दिया गया है।

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छोटी-छोटी कहानियों पर बन रही शार्ट मूवी
बस्तर की पृष्टभूमि को देखते हुए पांच से सात भागो में मूवी तैयार की जा रही है।
सड़क- पेड़ काटना, पुल- पुलिया उड़ाना, विस्‍फोटक लगाना, जवानों पर हमला, गांव के प्रत्‍येक घर से एक बच्‍चा अपने साथ ले जाना। इसके अलावा ग्रामीणों को विकास कार्यो से दूर रखना, जनहित के कार्यों में जुटे लोगों को बेवजह हत्‍या आदि की शूटिंग होगी। इतना ही नहीं सरेंडर के बाद नक्‍सलियों और उनके परिजनों की बदली जिंदगी पर भी आधारित सिनेमा बनाई जाएगी। इसके साथ ही सरेंडर के बाद उसके और उनके परिजनों पर नक्‍सलियों द्वारा किए जाने वाले अत्‍याचार और दबाव का भी लघु सिनेमा में दर्शाया जाएगा।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार फिल्म में रियल स्टोरी के करीब है। उससे बताया गया है कि कैसे उन्होंने आदिवासियों के लिए खोले गए स्कूल और अस्पतालों को तोड़ा, कैसे वो हर परिवार से बच्चों को ले जाते हैं। नक्‍सलियों के पास जाने के बाद जब आत्मग्लानि होने पर संगठन छोड़ आते हैं। कैसे प्रमोशन में तेलगू कॉडर प्रमोट हो जाते हैं। कैसे जिसको शादी करने का मन होता है तो उसकी नसबंदी करा देते हैं, गर्भपात करा देते हैं। इस तरह के भावानात्मक रुप से छूने वाले बातें जो नक्सल लाइफ में जाने के बाद ग्रामीण झेलने मजबूर रहते हैं।

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मूवी में लोकल भाषा का हुआ है प्रयोग

पुलिस अधिकारियों की मानें तो शार्ट मुवी को हिंदी के अलावा हल्‍बी और गोंडी भाषा में भी डब किया जाएगा। बावजूद इस शार्ट मूवी में हिंदी, अंग्रेजी, तेलगू, छत्‍तीसगढ़ी, गोंडी और हल्‍बी बोली का उपयोग किया जा रहा है। ताकि मूवी की रियालटी बनी रहे और ग्रामीण व बच्‍चे आसानी से समझ सकें। हिन्दी भाषा में करने के पीछे उन लोगों को नक्सलियों की सच्चाई बताना है जो उनके लिए सहानुभूति रखते हैं।Conclusion:यहां से मिला मूवी बनाने का आइडिया

एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि दो माह पहले पांच लाख का एक इनामी नक्सली को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था.। उसके बाद कुआकोंडा में स्थित एक आश्रम के एक बच्‍चे के व्‍यवहार में परिवर्तन देखा गया। उसके पास एक मोबाइल मिला, उसमें नक्सल समर्थित कई वीडियो और साहित्य थे। यह वाक्‍या अंदर तक झकझोर दिया था। बस यहीं से फिल्म बनाने का आइडिया मिला। एसपी कहते हैं कि कि जब वे जंगल में रहकर फिल्म बनाकर, लोगों को बरगला सकते हैं तो उनके इस नकारात्मक विध्वंसक विचारों का जवाब सकारात्मक तरीके से हम क्‍यों नहीं दे सकते।
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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