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ऐसे बनती है बस्तर की चटकारे वाली देसी चटनी - Chutney made with desi spices in Bastar

बस्तर की कला और संस्कृति के बाद अब यहां का स्वाद भी लोगों को खूब भा रहा है. देसी चटनी का टेस्ट लोग पसंद कर रहे हैं. कैसे बनती है ये चटनी और किस तरह महिलाओं के रोजगार का जरिया बनी है, देखिए इस रिपोर्ट में.

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बस्तर की चटकारे वाली देसी चटनी
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Published : Apr 15, 2021, 10:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर की चापड़ा चटनी के बारे में आपने खूब सुना होगा, इसके फायदे भी जानते होंगे. चापड़ा के बाद अब यहां की देसी चटनी लोगों को खूब पसंद आ रही है. देसी मसालों से बनी ये चटनी न सिर्फ स्वाद बढ़ा रही है बल्कि कोरोना के मुश्किल दौर में कई लोगों का घर भी चला रही है. स्व सहायता समूह की महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं. पूरी तरह से देसी मसालों से बनाई जा रही इस चटनी की डिमांड सिर्फ बस्तर और प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी है.

बस्तर की चटकारे वाली देसी चटनी

महिला स्व सहायता समूह की हो रही कमाई

पथरागुड़ा स्थित मां गृह उद्योग स्व सहायता समूह पिछले कुछ महीनों से देसी चटनी तैयार कर रहा है. चटनी अदरक-लहसुन से तैयार की जाती है.

1- लहसुन-अदरक को सरसो तेल में फ्राई करें.

2- फ्राई अदरक-लहसुन को अच्छे से पीस लें.

3- पीसे हुए अदरक-लहसुन को बस्तर के मसालों के साथ दोबारा फ्राई करने पर चटनी तैयार हो जाती है.

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इन मसालों से तैयार होती है चटनी

रोजगार का नया अवसर मिला

स्व सहायता समूह की अध्यक्ष योगिता वानखेड़े ने बताया कि कोरोना की वजह से लोगों का रोजगार छिन गया है. महिलाओं को घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा ह. ऐसे वक्त में उन्होंने एक स्व सहायता समूह तैयार कर पूरी तरह से देसी मसाला से चटनी बनाने की शुरुआत की है. देखते ही देखते स्व सहायता समूह में 11 महिलाएं जुड़ गईं. योगिता वानखड़े ने दावा करती हैं कि बस्तर में ये पहली बार है जब किसी स्व सहायता समूह के द्वारा इस तरह की चटनी तैयार की जा रही है.

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महिलाओं को मिला रोजगार

'बस्तर की चापड़ा चटनी ने ग्रामीणों को कोरोना से बचाया'

अन्य राज्यों में भी देसी चटनी की मांग

योगिता वानखेड़े ने कहती हैं कि चटनी में बस्तर के मसालों का स्वाद है. खट्टी-मीठी होने की वजह से लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. चापड़ा चटनी के बाद बस्तर में इस देसी चटनी की काफी डिमांड भी बढ़ी है. दिल्ली और अन्य राज्यों में भी लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

ऐसे बढ़ा चटनी का व्यापार

योगिता वानखेड़े ने बताया कि शुरुआत में इसे घर-घर पहुंचाया गया, जिससे मार्केटिंग हो सके. छोटी-छोटी दुकानों में दिया गया. लेकिन कुछ ही महीनों में इस चटनी की इतनी डिमांड होने लगी कि लोग ज्यादा मात्रा में खरीदने लगे. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर के अन्य जिलों में भी उनकी चटनी पहुंच रही है. लोग इसके स्वाद की जमकर तारीफ कर रहे हैं.

चटनी को विदेशों तक पहुंचाने का लक्ष्य

योगिता वानखेड़े ने बताती हैं कि 400 रु प्रति किलो की दर से उनकी चटनी मार्केट में बिक रही है. इसके अलावा 100 ग्राम से लेकर 5 किलो और 10 किलो की केन बस्तर और प्रदेश के अन्य हिस्सों में भेजी जा रही है. इससे महिला स्व सहायता समूह को अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष कहना है कि बस्तर की देसी चटनी को पूरे देश के साथ-साथ विदेश तक भी पहुंचाने का उन्होंने लक्ष्य रखा है. इसके लिए स्व सहायता समूह ने कोशिश शुरू कर दी है.

SPECIAL: जानिए क्यों खास है बस्तर की 'चापड़ा चटनी'

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

स्व सहायता समूह के अन्य सदस्यों ने बताया कि अब तक उन्होंने 600 किलो से अधिक चटनी कुछ ही महीनों में तैयार कर ली है. उनका कहना है कि कोरोना काल की वजह से रोजगार छिन जाने और लगातार बढ़ रही महंगाई की मार से उन्हें घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन बस्तर में ही मौजूद देसी मसालों से तैयार किए जा रहे इस चटनी के व्यापार से उनको आमदनी हो रही है. जिससे उन्हें इस महंगाई और कोरोना के दौर में घर चलाने में थोड़ी बहुत राहत मिली है.

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वह चटनी बेचकर महीने में दो से ढाई हजार रुपए कमा रही हैं. वहीं अब जिस तरह से चटनी की डिमांड बढ़ रही है ऐसे में स्व सहायता समूह में और महिलाओं को भी शामिल करने की तैयारी चल रही है, जिससे ज्यादा से ज्यादा चटनी तैयार किया जा सके और बस्तर की महिलाओं को रोजगार मिल सके.

जगदलपुर: बस्तर की चापड़ा चटनी के बारे में आपने खूब सुना होगा, इसके फायदे भी जानते होंगे. चापड़ा के बाद अब यहां की देसी चटनी लोगों को खूब पसंद आ रही है. देसी मसालों से बनी ये चटनी न सिर्फ स्वाद बढ़ा रही है बल्कि कोरोना के मुश्किल दौर में कई लोगों का घर भी चला रही है. स्व सहायता समूह की महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं. पूरी तरह से देसी मसालों से बनाई जा रही इस चटनी की डिमांड सिर्फ बस्तर और प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी है.

बस्तर की चटकारे वाली देसी चटनी

महिला स्व सहायता समूह की हो रही कमाई

पथरागुड़ा स्थित मां गृह उद्योग स्व सहायता समूह पिछले कुछ महीनों से देसी चटनी तैयार कर रहा है. चटनी अदरक-लहसुन से तैयार की जाती है.

1- लहसुन-अदरक को सरसो तेल में फ्राई करें.

2- फ्राई अदरक-लहसुन को अच्छे से पीस लें.

3- पीसे हुए अदरक-लहसुन को बस्तर के मसालों के साथ दोबारा फ्राई करने पर चटनी तैयार हो जाती है.

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इन मसालों से तैयार होती है चटनी

रोजगार का नया अवसर मिला

स्व सहायता समूह की अध्यक्ष योगिता वानखेड़े ने बताया कि कोरोना की वजह से लोगों का रोजगार छिन गया है. महिलाओं को घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा ह. ऐसे वक्त में उन्होंने एक स्व सहायता समूह तैयार कर पूरी तरह से देसी मसाला से चटनी बनाने की शुरुआत की है. देखते ही देखते स्व सहायता समूह में 11 महिलाएं जुड़ गईं. योगिता वानखड़े ने दावा करती हैं कि बस्तर में ये पहली बार है जब किसी स्व सहायता समूह के द्वारा इस तरह की चटनी तैयार की जा रही है.

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महिलाओं को मिला रोजगार

'बस्तर की चापड़ा चटनी ने ग्रामीणों को कोरोना से बचाया'

अन्य राज्यों में भी देसी चटनी की मांग

योगिता वानखेड़े ने कहती हैं कि चटनी में बस्तर के मसालों का स्वाद है. खट्टी-मीठी होने की वजह से लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. चापड़ा चटनी के बाद बस्तर में इस देसी चटनी की काफी डिमांड भी बढ़ी है. दिल्ली और अन्य राज्यों में भी लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

ऐसे बढ़ा चटनी का व्यापार

योगिता वानखेड़े ने बताया कि शुरुआत में इसे घर-घर पहुंचाया गया, जिससे मार्केटिंग हो सके. छोटी-छोटी दुकानों में दिया गया. लेकिन कुछ ही महीनों में इस चटनी की इतनी डिमांड होने लगी कि लोग ज्यादा मात्रा में खरीदने लगे. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर के अन्य जिलों में भी उनकी चटनी पहुंच रही है. लोग इसके स्वाद की जमकर तारीफ कर रहे हैं.

चटनी को विदेशों तक पहुंचाने का लक्ष्य

योगिता वानखेड़े ने बताती हैं कि 400 रु प्रति किलो की दर से उनकी चटनी मार्केट में बिक रही है. इसके अलावा 100 ग्राम से लेकर 5 किलो और 10 किलो की केन बस्तर और प्रदेश के अन्य हिस्सों में भेजी जा रही है. इससे महिला स्व सहायता समूह को अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष कहना है कि बस्तर की देसी चटनी को पूरे देश के साथ-साथ विदेश तक भी पहुंचाने का उन्होंने लक्ष्य रखा है. इसके लिए स्व सहायता समूह ने कोशिश शुरू कर दी है.

SPECIAL: जानिए क्यों खास है बस्तर की 'चापड़ा चटनी'

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

स्व सहायता समूह के अन्य सदस्यों ने बताया कि अब तक उन्होंने 600 किलो से अधिक चटनी कुछ ही महीनों में तैयार कर ली है. उनका कहना है कि कोरोना काल की वजह से रोजगार छिन जाने और लगातार बढ़ रही महंगाई की मार से उन्हें घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन बस्तर में ही मौजूद देसी मसालों से तैयार किए जा रहे इस चटनी के व्यापार से उनको आमदनी हो रही है. जिससे उन्हें इस महंगाई और कोरोना के दौर में घर चलाने में थोड़ी बहुत राहत मिली है.

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वह चटनी बेचकर महीने में दो से ढाई हजार रुपए कमा रही हैं. वहीं अब जिस तरह से चटनी की डिमांड बढ़ रही है ऐसे में स्व सहायता समूह में और महिलाओं को भी शामिल करने की तैयारी चल रही है, जिससे ज्यादा से ज्यादा चटनी तैयार किया जा सके और बस्तर की महिलाओं को रोजगार मिल सके.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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