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कांटों के झूले पर लेट कर कुंवारी कन्या ने दी बस्तर दशहरे की अनुमति - नाबालिग कन्या

बस्तर दशहरा की काछनगादी रस्म विधि विधान से सम्पन्न हुई. इस दौरान बस्तर के राजकुमार ने ETV भारत के माध्यम से बस्तर दशहरा के लिए आमंत्रित किया.

काछनगादी रस्म की हुई अदायगी
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Published : Sep 29, 2019, 12:04 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: अपनी अनोखी और आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की शुरुआत शनिवार रात से हो गई है. दशहरा पर्व शुरू करने की अनुमति लेने की यह परंपरा भी अपने आप में अनुठी है, काछनगादी नामक इस रस्म को एक नाबालिग कन्या कांटों के झूले पर लेटकर पर्व शुरू करने की अनुमति दी.

कांटों के झूले पर लेट कर कुंवारी कन्या ने दी बस्तर दशहरे की अनुमति

ऐसा मानना है कि करीब 600 साल से ये परंपरा चली आ रही हैं, जिसे काछनदेवी के रूप में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की कुंआरी कन्या अनुराधा ने बस्तर राजपरिवार को सदियों पुरानी परंपरा को निभाने की अनुमति दी.

महापर्व को निर्बाध सम्पन्न कराने की प्रार्थना
कार्यक्रम के दौरान ETV भारत ने बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि इस महापर्व को निर्बाध संपंन कराने के लिए काछनदेवी की अनुमति जरूरी है, जिसके लिए पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटों से बने झूले पर लेटाया जाता है और उसके अंदर खुद देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है.

पितृमोक्ष अमावस्या को होती है शुरुआत
उन्होंने कहा कि हर साल पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभा कर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है. बस्तर राजकुमार ने बताया कि अद्भुत रस्म बस्तर दशहरा के दौरान अदा की जाती है, जो अपने आप में अनूठी है. इसके अलावा राजकुमार ने ETV भारत के माध्यम से प्रशासन को भी इस पर्व में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न हो और संसाधनों की कमी न हो इसके लिए भी गुजारिश की है.

देश-दुनिया के पर्यटकों को आंमंत्रण
वहीं बस्तर राजकुमार ने इस विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए देश दुनिया के पर्यटकों को बस्तर आमंत्रित किया है. इधर इस रस्म के दौरान बस्तर के राजपरिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनुठी परंपरा को देखने काछनगुडी पहुंचे. काछनगादी रस्म अदायगी के साथ ही कल यानी रविवार को नवरात्रि के पहले दिन जोगी बिठाई की रस्म अदायगी की जाएगी.

जगदलपुर: अपनी अनोखी और आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की शुरुआत शनिवार रात से हो गई है. दशहरा पर्व शुरू करने की अनुमति लेने की यह परंपरा भी अपने आप में अनुठी है, काछनगादी नामक इस रस्म को एक नाबालिग कन्या कांटों के झूले पर लेटकर पर्व शुरू करने की अनुमति दी.

कांटों के झूले पर लेट कर कुंवारी कन्या ने दी बस्तर दशहरे की अनुमति

ऐसा मानना है कि करीब 600 साल से ये परंपरा चली आ रही हैं, जिसे काछनदेवी के रूप में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की कुंआरी कन्या अनुराधा ने बस्तर राजपरिवार को सदियों पुरानी परंपरा को निभाने की अनुमति दी.

महापर्व को निर्बाध सम्पन्न कराने की प्रार्थना
कार्यक्रम के दौरान ETV भारत ने बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि इस महापर्व को निर्बाध संपंन कराने के लिए काछनदेवी की अनुमति जरूरी है, जिसके लिए पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटों से बने झूले पर लेटाया जाता है और उसके अंदर खुद देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है.

पितृमोक्ष अमावस्या को होती है शुरुआत
उन्होंने कहा कि हर साल पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभा कर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है. बस्तर राजकुमार ने बताया कि अद्भुत रस्म बस्तर दशहरा के दौरान अदा की जाती है, जो अपने आप में अनूठी है. इसके अलावा राजकुमार ने ETV भारत के माध्यम से प्रशासन को भी इस पर्व में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न हो और संसाधनों की कमी न हो इसके लिए भी गुजारिश की है.

देश-दुनिया के पर्यटकों को आंमंत्रण
वहीं बस्तर राजकुमार ने इस विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए देश दुनिया के पर्यटकों को बस्तर आमंत्रित किया है. इधर इस रस्म के दौरान बस्तर के राजपरिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनुठी परंपरा को देखने काछनगुडी पहुंचे. काछनगादी रस्म अदायगी के साथ ही कल यानी रविवार को नवरात्रि के पहले दिन जोगी बिठाई की रस्म अदायगी की जाएगी.

Intro:जगदलपुर। अपनी अनोखी व आकर्षक परंपराओ के लिये विश्व में प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का आरंभ  आज रात देवी की अनुमति के बाद हो गया है। दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति लेने की यह परम्परा भी अपने आप में अनुठी है, काछन गादी नामक इस रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या अनुराधा कांटो के झूले पर लेटकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है। करीब 600 सालों से चली आ रही इस परंपरा की मान्यता अनुसार कांटो के झूले पर लेटी कन्या के अंदर साक्षात् देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है। 




Body:बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछनदेवी की पूजा होती है। शनिवार  रात काछनदेवी के रूप में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की कुंआरी कन्या अनुराधा  ने बस्तर राजपरिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी। पिछले 600 सालो से इस पंरपरा को निभाने के बाद विशाखा की जगह अब उसकी ही चचेरी बहन 10 वर्षीय अनुराधा काछनदेवी के रूप में कांटो के झूले पर लेटकर सदियों पुरानी इस परंपरा को निभाने के लिए अनुमति दी।



Conclusion:बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि इस महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने के लिये काछनदेवी की अनुमति आवश्यक है, जिस हेतु पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटो से बने झूले पर लेटाया जाता है, और इस दौरान उसके अंदर खुद देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है। हर वर्ष पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभा कर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है। बस्तर राजकुमार ने बताया कि करीब 600 सालों से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है और आज भी धूमधाम से बस्तरवासी इस पर्व को मनाते हैं । राजकुमार ने बताया कि 12 से भी अद्भुत रस्म बस्तर दशहरा के दौरान अदा की जाती है। जो अपने आप में अनूठी है। इसके अलावा राजकुमार ने ईटीवी भारत के माध्यम से प्रशासन को भी इस पर्व में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न ना हो और संसाधनों की कमी न हो इसके लिए भी गुजारिश की है। वही वही ईटीवी भारत की ओर से नवरात्रि की शुभकामना देते हुए बस्तर राजकुमार ने इस विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए ज्यादा से ज्यादा देश दुनिया के पर्यटकों को बस्तर आमंत्रित किया है। इधर इस रस्म के दौरान बस्तर के राजपरिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनुठी परंपरा को देखने काछन गुडी पहुंचते हैं। काछनगादी रस्म अदायगी के साथ ही कल नवरात्रि के पहले दिन जोगी बिठाई की रस्म अदायगी की जाएगी।

वन टू वन -कमलचंद भंजदेव , बस्तर राजकुमार

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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