जगदलपुर: जिला मुख्यालय के केंद्रीय जेल में सालों से बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने की मांग अब तेजी से उठने लगी है. इस मामले को लेकर विपक्ष भी सरकार को घेरने की फिराक में है.
दरअसल, कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टों में नक्सल मामलों में सालों से जेल मे बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार बनने के आठ महीने बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई न होता देख विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है.
सरकार की कथनी और करनी में है फर्क : अजीत जोगी
अपने तय वादे के मुताबिक निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने के फैसले पर कोई अमल होता न देख छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस-जे के सुप्रीमो अजीत जोगी ने सरकार की कथनी और करनी दोनों में अंतर बताया है.
जोगी का कहना है कि, 'प्रदेश सरकार नक्सल मामलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा कराने में अब कोई रूचि नहीं दिखा रही है जबकि उन्होंने सरकार बनते ही बस्तर के आदिवासी भाइयों से इस मामले को प्राथमिकता से लेने का वादा किया था. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 8 महीने बीत गए और अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.'
जोगी ने कहा कि, 'सरकार ने अब तक एक भी आदिवासी को रिहा नहीं की है और अन्य निर्दोष आदिवासियों को उल्टा जेल में बंद कर रही है.'
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सरकार कर रही है मामले पर विचार : शिव डहरिया
वहीं इस मामले में प्रदेश के नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि इसे लेकर सरकार गंभीर है और इस पर विचार भी कर रही है, जो आदिवासी निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है. उनके साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा.
बता दें कि दो दिन पहले ही सुकमा के दोरनापाल में हजारों की संख्या में आदिवासी ग्रामीणों ने इस बात को लेकर प्रर्दशन भी किया था. सरकार बनने के आठ महीने बाद भी जांच कमेटी का गठन नहीं किया जा सका है.