ETV Bharat / state

Mudiya Darbar ritual in Bastar Dussehra : बस्तर दशहरा में मुड़िया दरबार की रस्म हुई पूरी, 600 साल से चली आ रही है परंपरा

Mudiya Darbar ritual in Bastar Dussehra छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा पूरी दुनिया में मशहूर है.75 दिनों तक चलने वाला ये दशहरा अब समाप्ति की ओर है.इस दशहरा की खास बात ये होती है कि इसमें हर एक पड़ाव में एक रस्म निभाई जाती है. जिसे पुरातन काल से निभाया जा रहा है. बस्तर दशहरा की ऐसी एक रस्म निभाई गई.जिसे मुरिया दरबार कहा जाता है.Jagdalpur News

Mudiya Darbar ritual in Bastar Dussehra
बस्तर दशहरा में मुड़िया दरबार की रस्म हुई पूरी
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 26, 2023, 6:07 PM IST

जगदलपुर : जगदलपुर शहर के सिरहासार भवन में मुरिया दरबार लगाई गई. जिसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.आचार संहिता होने की वजह से जनप्रतिनिधि इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके.लिहाजा किसी भी तरह की कोई बड़ी घोषणा नहीं हो सकी.


आचार संहिता के कारण नहीं हुईं बड़ी घोषणा : इस दौरान बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव ने बताया कि इस बार आचार संहिता लगा है. यदि आचार संहिता नहीं होती तो इस सभा में शासन प्रशासन के सामने बस्तर संभाग की समस्याएं रखी जाती. इसके अलावा कई चीजें ऐसी है जिसे दशहरे पर्व के दौरान ध्यान देकर उसके लिए गाइडलाइंस जारी करना होता है. जैसे इस साल रथ में काफी लोग चढ़े हुए थे. यदि रथ कहीं टकराता तो हादसे का शिकार लोग हो जाते. मुरिया दरबार में सभी समस्याओं और चीजों पर फैसले लिए जाते हैं. यह काफी बड़ा मंच है.



'' 12 साल की उम्र से लगातार बस्तर दशहरे को देखते आ रहे हैं. और उनके इतिहास में पहली बार साल 2023 के दशहरे पर्व में ऐतिहासिक भीड़ थी.पहले रथ को वापस लाने जाने के दौरान कम संख्या में लोग रहते थे. इस साल सबसे अधिक भीड़ मौजूद थी. यही बस्तर दशहरे की चाहत है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसके लिए बस्तर दशहरे के प्रमुख लोग स्थानीय आदिवासी धन्यवाद के पात्र हैं.'' कमलचंद्र भंजदेव, सदस्य राजपरिवार

साधारण कपड़ों में आते थे राजा : बस्तर मुड़िया के मंच में 12 विधानसभा और 7 जिलों के लोगों के साथ ही पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिसा के लोग भी मौजूद रहते हैं. उनकी समस्या और देवी देवताओं को देखने का संगम भारत देश में और कहीं नहीं मिलेगा. मुरिया दरबार में राजा साधारण कपड़े में आते थे. ताकि बिना हिचकिचाहट से ग्रामीण अपनी समस्या को उनके समक्ष रखें. यही मुख्य उद्देश्य था.


'' मुरिया दरबार का कार्यक्रम संपन्न किया गया है. इस दरबार में दशहरा पर्व से जुड़ी बहुत सी बातें निकलकर सामने आई है. जिसको नोट किया गया है.आगामी सालों में इस चीजों पर विशेष फोकस करके इनको सुधारा जाएगा.'' विजय दयाराम, बस्तर कलेक्टर

Bastar Dussehra Mavli Parghav: बस्तर दशहरा की मावली परघाव रस्म पूरी, दंतेवाड़ा से मावली देवी की डोली और छत्र का हजारों लोगों ने किया स्वागत
Jashpur Dussehra: रियासत कालीन सामाजिक संगठन की मिसाल है जशपुर दशहरा, इस बार ऐसे मना विजयादशमी का पर्व !
Ravana Dahan in Raipur: सीएम भूपेश बघेल ने किया रावण दहन, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए, लोगों को दी विजयादशमी की बधाई

दंतेश्वरी देवी के सम्मान में मनाया जाता है पर्व :आपको बता दें कि बस्तर दशहरा 600 वर्षों से सामान्य और वनवासी समाज मनाता आ रहा है. यह पर्व बस्तर की आराध्य दंतेश्वरी देवी के सम्मान में मनाया जाता है. इसमें हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल होते हैं. बस्तर दशहरा के रस्मों में से एक मुरिया दरबार कार्यक्रम में बस्तर संभाग से आए गांव के माझी और मुखिया अपनी समस्याओं को शासन प्रशासन के बीच रखते हैं.दरबार में ही समस्याओं के निदान के लिए पहल की जाती है. रियासतकाल में ग्रामीण राजा के सामने अपनी समस्याएं रखते थे. जो ग्रामीणों की समस्या का निराकरण करते थे.

जगदलपुर : जगदलपुर शहर के सिरहासार भवन में मुरिया दरबार लगाई गई. जिसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.आचार संहिता होने की वजह से जनप्रतिनिधि इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके.लिहाजा किसी भी तरह की कोई बड़ी घोषणा नहीं हो सकी.


आचार संहिता के कारण नहीं हुईं बड़ी घोषणा : इस दौरान बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव ने बताया कि इस बार आचार संहिता लगा है. यदि आचार संहिता नहीं होती तो इस सभा में शासन प्रशासन के सामने बस्तर संभाग की समस्याएं रखी जाती. इसके अलावा कई चीजें ऐसी है जिसे दशहरे पर्व के दौरान ध्यान देकर उसके लिए गाइडलाइंस जारी करना होता है. जैसे इस साल रथ में काफी लोग चढ़े हुए थे. यदि रथ कहीं टकराता तो हादसे का शिकार लोग हो जाते. मुरिया दरबार में सभी समस्याओं और चीजों पर फैसले लिए जाते हैं. यह काफी बड़ा मंच है.



'' 12 साल की उम्र से लगातार बस्तर दशहरे को देखते आ रहे हैं. और उनके इतिहास में पहली बार साल 2023 के दशहरे पर्व में ऐतिहासिक भीड़ थी.पहले रथ को वापस लाने जाने के दौरान कम संख्या में लोग रहते थे. इस साल सबसे अधिक भीड़ मौजूद थी. यही बस्तर दशहरे की चाहत है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसके लिए बस्तर दशहरे के प्रमुख लोग स्थानीय आदिवासी धन्यवाद के पात्र हैं.'' कमलचंद्र भंजदेव, सदस्य राजपरिवार

साधारण कपड़ों में आते थे राजा : बस्तर मुड़िया के मंच में 12 विधानसभा और 7 जिलों के लोगों के साथ ही पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिसा के लोग भी मौजूद रहते हैं. उनकी समस्या और देवी देवताओं को देखने का संगम भारत देश में और कहीं नहीं मिलेगा. मुरिया दरबार में राजा साधारण कपड़े में आते थे. ताकि बिना हिचकिचाहट से ग्रामीण अपनी समस्या को उनके समक्ष रखें. यही मुख्य उद्देश्य था.


'' मुरिया दरबार का कार्यक्रम संपन्न किया गया है. इस दरबार में दशहरा पर्व से जुड़ी बहुत सी बातें निकलकर सामने आई है. जिसको नोट किया गया है.आगामी सालों में इस चीजों पर विशेष फोकस करके इनको सुधारा जाएगा.'' विजय दयाराम, बस्तर कलेक्टर

Bastar Dussehra Mavli Parghav: बस्तर दशहरा की मावली परघाव रस्म पूरी, दंतेवाड़ा से मावली देवी की डोली और छत्र का हजारों लोगों ने किया स्वागत
Jashpur Dussehra: रियासत कालीन सामाजिक संगठन की मिसाल है जशपुर दशहरा, इस बार ऐसे मना विजयादशमी का पर्व !
Ravana Dahan in Raipur: सीएम भूपेश बघेल ने किया रावण दहन, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए, लोगों को दी विजयादशमी की बधाई

दंतेश्वरी देवी के सम्मान में मनाया जाता है पर्व :आपको बता दें कि बस्तर दशहरा 600 वर्षों से सामान्य और वनवासी समाज मनाता आ रहा है. यह पर्व बस्तर की आराध्य दंतेश्वरी देवी के सम्मान में मनाया जाता है. इसमें हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल होते हैं. बस्तर दशहरा के रस्मों में से एक मुरिया दरबार कार्यक्रम में बस्तर संभाग से आए गांव के माझी और मुखिया अपनी समस्याओं को शासन प्रशासन के बीच रखते हैं.दरबार में ही समस्याओं के निदान के लिए पहल की जाती है. रियासतकाल में ग्रामीण राजा के सामने अपनी समस्याएं रखते थे. जो ग्रामीणों की समस्या का निराकरण करते थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.