जगदलपुर: शहर से लगे बड़े मोरठपाल गांव में एक बार फिर हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही से 2 स्कूली छात्राओं की जान चली गई है. दोनों छात्राएं कई दिनों से बीमार थी, लेकिन आश्रम अधीक्षिका लापरवाही बरतते हुए उनका इलाज सही समय पर नहीं कराया, जिससे दोनों की मौत हो गई. मृत छात्राओं में सोनिया कडती, जो की 11वीं कक्षा में अध्यनरत और राजुर गांव की रहने वाली थी. वहीं दूसरी छात्रा पार्वती कश्यप 12वीं कक्षा में पढ़ती थी और भैरमगढ़ के तालनार गांव की रहने वाली थी. इधर, छात्राओं की मौत के 2 सप्ताह के बाद गुरुवार को तोकापाल तहसीलदार और खंड स्वास्थ्य अधिकारी जांच के लिए बड़े मोरठपाल कन्या आश्रम पहुंचे हैं.
तोकापाल तहसीलदार राहुल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि 'दोनों ही छात्रा बड़े मोरठपाल के कन्या आश्रम में रहकर पढ़ाई करती थी, जो बीते 27 फरवरी को पार्वती कश्यप नाम की 12वीं कक्षा की छात्रा की मौत हो गई थी. स्टॉफ से पूछताछ करने पर पता चला कि छात्रा कई दिनों से बीमार थी. उसका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया गया था, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आया और हालत बिगड़ते देख आश्रम अधीक्षिका ने उसे घर जाने को कहा और छुट्टी दे दिया. घर जाने के दूसरे दिन उसे जगदलपुर डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराने के बजाय घर भेज दिया गया
दूसरी छात्रा सोनिया कडती आश्रम में रहकर 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी, बस्तर जिले के राजूर गांव की रहने वाली थी. उसके मामले की जांच में पाया गया कि उसे टाइफाइड था, जिसके कारण वो कई दिनों से वह बीमार पड़ी हुई है. इसके बावजूद उसे अस्पताल में भर्ती करने की बजाय घर भेज दिया गया. छात्रा ने भी इलाज के अभाव में बीते 2 फरवरी को दम तोड़ दिया. तहसीलदार ने बताया कि 'आश्रम अधीक्षिका ने उन्हें इस मामले की जानकारी कई दिनों बाद दी. वे जांच के लिए पहुंचे हुए हैं. हालांकि आश्रम अधीक्षिका पहले ही आवेदन लगाकर छुट्टी पर चली गई है. इसलिए स्टॉफ से पूछताछ कर रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को सौंपी जाएगी. तहसीलदार ने भी माना कि हॉस्टल प्रबंधन ने सही समय पर बच्चों की सेहत खराब होने की जानकारी प्रशासन को नहीं दी. प्रशासन को भी देर से इस बात की सूचना मिली, जिसके कारण इतने दिनों बाद मामले की जांच की जा रही है.
'आश्रम अधीक्षिका ने स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी जानकारी'
तोकापाल के विकासखंड के स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि उनकी टीम समय-समय पर आश्रम पहुंचकर छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण करते रहते थी. जिनमें से उन दोनों छात्राओं का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था, जिसमें सोनिया कड़ती को टाइफाइड पॉजिटिव पाया गया, जिसकी इलाज भी की गई थी, लेकिन बाद में आश्रम अधीक्षिका ने उन छात्रा के सेहत से संबंधित कोई भी जानकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों को नहीं दी. न ही उन्हें पास में ही मौजूद डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया गया. अगर समय पर बच्चों को इलाज मिल पाता, तो उनकी मौत नहीं होती.
अधीक्षिका पर कई लगे गंभीर आरोप
विकासखंड स्वास्थ्य अधिकारी ने भी माना कि मेडिकल कॉलेज में परिजनों के भर्ती कराने के बावजूद उनकी इलाज में लापरवाही बरती गई, जिससे छात्राओं को बचाया नहीं जा सका. इधर, आश्रम अधीक्षिका पर भी लापरवाही का आरोप है कि उन्होंने सही समय पर इसकी जानकारी अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ता या संबंधित किसी भी स्वास्थ्य कर्मचारी को नहीं दी. साथ ही आश्रम अधीक्षिका पर इतने गंभीर मामले को छुपाने की कोशिश करने का भी आरोप है.