जगदलपुर: कोरोना वायरस संक्रमण ने कुपोषण के आंकड़ों को दोबारा बढ़ा दिया है. राज्य सरकार ने बस्तर को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा और सुकमा जिले से की थी. इस अभियान के तहत कुपोषण की दर में काफी कमी भी आई थी. लेकिन कोरोना महामारी के वजह से मार्च के बाद किए गए लॉकडाउन के बाद से बीते 5 महीनों में बस्तर जिले में ही कुपोषण की दर में 5% वृद्धि हुई है.
सुकमा जिले और दंतेवाड़ा में भी कुपोषण के दर में भी 5 से 6 प्रतिशत वृद्धि हुई है. इधर कुपोषण की दर बढ़ने के साथ ही जिला प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है. यही वजह है कि अब जिला प्रशासन इस बढ़े हुए दर को कम करने के लिए अभियान में जुट गया है. राज्य सरकार ने फिर से आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के निर्देश दिए हैं. महिलाओं को गर्म भोजन और बच्चों को सुपोषित आहार परोसने की तैयारी की जा चुकी है. वहीं बच्चों के पालकों में कोरोना का भय दूर करने प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है.
सरकार की कवायद लाई थी रंग
बस्तर के पिछड़ा इलाका होने के कारण यहां कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. ग्रामीण अंचलों में गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाने की वजह से लगातार कुपोषित बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा होने लगा है. संख्या में वृद्धि होने के साथ ही राज्य सरकार को भी चिंता सताने लगी. जिसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस सरकार ने बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले से सुपोषण अभियान की शुरुआत की. देखते ही देखते 1 साल में यह अभियान काफी कारगर साबित हुई. इस योजना के तहत बस्तर संभाग के सबसे ज्यादा कुपोषित क्षेत्र सुकमा, दंतेवाड़ा ,बस्तर जिले में गर्भवती महिलाओं को गरम भोजन परोसने के साथ बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडा और मुंगफल्ली के लड्डू परोसे जाने लगे. जिससे काफी हद तक कुपोषण के प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई. सुपोषण अभियान बस्तर संभाग में कारगर साबित होने लगा.
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लॉकडाउन में बढ़ा कुपोषण दर
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण 45% था. लेकिन सुपोषण अभियान के बाद यह प्रतिशत घटकर 36% हो गया. बस्तर जिले में भी तेजी से कुपोषण की दर में कमी आई. 22 मार्च के बाद प्रदेश भर में किए गए लॉकडाउन में राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद करने के निर्देश जारी किए हैं. जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सुखा राशन घर-घर तक पहुंचाने का दावा किया. लेकिन लॉकडाउन की वजह से सूखा राशन वितरण की सही मॉनिटरिंग नहीं हो पाने की वजह से फिर से कुपोषण की दर तेजी से बढ़ गई. बीते 5 महीनों में बस्तर जिले में ही 5% से अधिक कुपोषण की दर में वृद्धि हुई. जिला प्रशासन के लिए काफी चिंताजनक है.
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हरकत में आया शासन-प्रशासन
राज्य शासन से आंगनबाड़ी केंद्रों को दोबारा खोले जाने की अनुमति मिलने के बाद अब प्रशासन के अधिकारी और बस्तर के स्थानीय जनप्रतिनिधि दावा कर रहे हैं कि पिछले 4 महीने में कुपोषण के बढ़े हुए दर को कम करने के लिए लगातार आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को गर्म भोजन परोसा जा रहा है. बच्चों को भी सुपोषित आहार दिया जा रहा है. हालांकि जगदलपुर के विधायक ने कहा कि अभी परिजनों को उनके बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजने के लिए किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा रही है. जितने भी बच्चे पहुंच रहे हैं उन्हें पोषित आहार देने के साथ बाकी बच्चों को घर-घर सुखा राशन वितरण किया जा रहा है. जहां भी इन बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को राशन नहीं मिलने की शिकायत मिल रही है. वहां पर समय-समय पर कार्रवाई भी की जा रही है.
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बस्तर कलेक्टर का कहना है कि 17 सितंबर से आंगनबाड़ी केंद्रों को खोले जाने के आदेश के बाद से ही लगातार शहरी और ग्रामीण अंचलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त राशन दिया जा रहा है. ताकि गर्भवती माताओं को गर्म भोजन मिल सके. बच्चों को सुपोषित आहार दिया जा सके. कलेक्टर ने कहा कि निश्चित तौर पर पिछले 4 महीनों में कुपोषण की दर में वृद्धि दर्ज की गई है. जो कि जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. इसलिए महिला एवं बाल विकास विभाग को पूरी तरह से आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त राशन देने को कहा गया है. साथ ही जो पालक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजने के लिए डर रहे हैं उन्हें लाउडस्पीकर और अन्य प्रचार के माध्यम से भरोसे में लेने के साथ ज्यादा से ज्यादा बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में पहुंचे और पौष्टिक भोजन खाए इसकी कोशिश विभाग कर रही है.
प्रशासन का दावा
कलेक्टर ने दावा किया है कि जल्द ही सुपोषण अभियान को फिर से मूर्त रूप देकर बढ़े हुए कुपोषण के दर को कम किया जाएगा. जल्द ही बच्चों के पुनर्वास केंद्रों को भी खोल दिया जाएगा. ताकि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का सही तरीके से इलाज हो सके. साथ ही जिले के कुछ कुपोषित हॉटस्पॉट को भी चयनित किया गया है. वहां पर खासतौर पर ध्यान देने के लिए विभाग को अलर्ट किया गया है. बता दें कि बस्तर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. कोरोना महामारी के बाद स्थिति काफी भयावह हो गई है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इन आंगनबाड़ी केंद्रों को दोबारा खोले जाने के बाद बढ़े हुए कुपोषण के दर को जिला प्रशासन कितना कम कर पाती है.