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Anemia uncontrol in Bastar बस्तर में अस्सी फीसदी महिलाएं एनिमिक, स्वास्थ्य विभाग के दावे फेल - स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव

Anemia uncontrol in Bastar बस्तर में सुकमा जिले के रेगडगटा में एनीमिया की वजह से हुई ग्रामीणों की मौत के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने भी बस्तर में 80% लोगों के एनीमिक होने की बात कही है. इसके बाद से एनीमिया निवारण को लेकर सवाल उठने लगे हैं. दरअसल बस्तर में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और महिलाएं लंबे समय से एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. लेकिन अगर विभाग के कामकाज की बात करें तो इस मामले में बस्तर जिले में ही सिर्फ 442 महिलाओं को एनीमिक बताया गया है. यह ताजा रिकॉर्ड है जो बताते हैं कि इस मामले में गंभीरता नहीं बरती जा रही है

बस्तर में अस्सी फीसदी महिलाएं एनिमिक
बस्तर में अस्सी फीसदी महिलाएं एनिमिक
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Published : Sep 30, 2022, 2:39 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर : सुकमा जिले में एनीमिया से एक के बाद एक 20 लोगों की मौत के मामले के बाद अब एनीमिक महिलाओं के हालात को लेकर फिर से चर्चा होनी शुरू हो गई (Anemia uncontrol in Bastar) है. बस्तर में सबसे ज्यादा एनीमिया से पीड़ित महिलाएं हैं. लेकिन इनके स्वास्थ्य को लेकर कारगर तरीके से काम नहीं हो रहा है. इसकी वजह से पैदा होने वाले बच्चे भी एनीमिया और दूसरी बीमारी के शिकार बने रहते (health department claims failed on animia) हैं.

बस्तर में अस्सी फीसदी महिलाएं एनिमिक, स्वास्थ्य विभाग के दावे फेल

बस्तर जिले में ही 442 महिलाएं महिला एवं बाल विकास विभाग के रिकॉर्ड में एनीमिक दर्ज हैं. इन महिलाओं को प्रोटीन दिया जा रहा है विभाग के अधिकारियों का कहना है कि '' जल्द ही इसका टारगेट बढ़ाया जाएगा और 20 हजार महिलाओं को प्रोटीन वितरण किया जाएगा. स्वस्थ विभाग के अनुसार सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया जा रहा है. करीब 60 से 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित (animia control in bastar ) हैं.

महिला एवं बाल विकास विभाग सिर्फ गर्भवती महिलाओं और शिशुवती महिलाओं को ही प्रोटीन और आयरन देता है. फोर्टीफाइड राइस(राशन दुकान के जरिये) का भी इस्तेमाल आयरन की कमी को दूर करने के लिए किया जा रहा है. लेकिन इनके परिणामों का विश्लेषण नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से एनीमिया पर नियंत्रण नहीं पाया जा रहा स्थानीय लोगों का मानना है कि मलेरिया उन्मूलन अभियान की तरह यदि प्रशासन एनीमिया उन्मूलन पर भी काम करेगा तो शायद कुछ राहत मिल सके.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने बयान में बताया था कि ''बस्तर में 80% व खून की कमी से पीड़ित हैं. उनमें 90 फ़ीसदी महिलाएं हैं. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता (Anemia uncontrol in Bastar ) है.''

जगदलपुर : सुकमा जिले में एनीमिया से एक के बाद एक 20 लोगों की मौत के मामले के बाद अब एनीमिक महिलाओं के हालात को लेकर फिर से चर्चा होनी शुरू हो गई (Anemia uncontrol in Bastar) है. बस्तर में सबसे ज्यादा एनीमिया से पीड़ित महिलाएं हैं. लेकिन इनके स्वास्थ्य को लेकर कारगर तरीके से काम नहीं हो रहा है. इसकी वजह से पैदा होने वाले बच्चे भी एनीमिया और दूसरी बीमारी के शिकार बने रहते (health department claims failed on animia) हैं.

बस्तर में अस्सी फीसदी महिलाएं एनिमिक, स्वास्थ्य विभाग के दावे फेल

बस्तर जिले में ही 442 महिलाएं महिला एवं बाल विकास विभाग के रिकॉर्ड में एनीमिक दर्ज हैं. इन महिलाओं को प्रोटीन दिया जा रहा है विभाग के अधिकारियों का कहना है कि '' जल्द ही इसका टारगेट बढ़ाया जाएगा और 20 हजार महिलाओं को प्रोटीन वितरण किया जाएगा. स्वस्थ विभाग के अनुसार सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया जा रहा है. करीब 60 से 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित (animia control in bastar ) हैं.

महिला एवं बाल विकास विभाग सिर्फ गर्भवती महिलाओं और शिशुवती महिलाओं को ही प्रोटीन और आयरन देता है. फोर्टीफाइड राइस(राशन दुकान के जरिये) का भी इस्तेमाल आयरन की कमी को दूर करने के लिए किया जा रहा है. लेकिन इनके परिणामों का विश्लेषण नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से एनीमिया पर नियंत्रण नहीं पाया जा रहा स्थानीय लोगों का मानना है कि मलेरिया उन्मूलन अभियान की तरह यदि प्रशासन एनीमिया उन्मूलन पर भी काम करेगा तो शायद कुछ राहत मिल सके.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने बयान में बताया था कि ''बस्तर में 80% व खून की कमी से पीड़ित हैं. उनमें 90 फ़ीसदी महिलाएं हैं. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता (Anemia uncontrol in Bastar ) है.''

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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