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बस्तर में कुपोषण कम करने के लिए प्रशासन ने उठाया ये जरूरी कदम

अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह के तीन दिन बच्चों को अंडा और तीन दिन मूंगफल्ली, गुड़ के लड्डू दिए जाएंगे.

बच्चों के परिजन.
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Published : Jul 19, 2019, 3:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. बस्तर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या चिंताजनक है. बस्तर में नौनिहालों में बढ़ रहे कुपोषण के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश की जा रही है. कलेक्टर अय्याज तंबोली ने जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है जिसका नाम 'हरिक नानी बेरा' दिया गया है.

'हरिक नानी बेरा' को बस्तर की स्थानीय हल्बी बोली से लिया गया है जिसका अर्थ खुशहाल बचपन होता है. बस्तर में बच्चों को उचित न्यूट्रीशियन युक्त भोजन न मिल पाने की वजह से उनमें कुपोषण देखा जाता है. इस वजह से अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह के तीन दिन बच्चों को अंडा और तीन दिन मूंगफल्ली, गुड़ के लड्डू दिए जाएंगे.

न्यूज स्टोरी.
  • जिले के कलेक्टर अय्याज तंबोली ने बताया कि अभी बस्तर के 82 आंगनबाड़ी केंद्रों को चयनित किया गया है, जहां बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 45 फीसदी से अधिक है.
  • प्रथम चरण में इस योजना से लगभग 1800 बच्चे लाभान्वित होंगे, वहीं दूसरा चरण भी जल्द ही शुरू किया जाएगा.
  • केवल बस्तर जिले के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो लगभग 70 हजार बच्चों में 24 हजार बच्चे कुपोषित और 7हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं. ये वो आंकड़े हैं जो जिला प्रशासन ने उपलब्ध करवाए हैं.
  • वहीं महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के अनुसार कुपोषण से लड़ने के लिए प्रसाशन द्वारा 14 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. अब देखना होगा कि इतनी योजनाओं के बावजूद जब कुपोषण के प्रतिशत में कमी नहीं आ रही, तो इस नई योजना से क्या वाकई बस्तर के नौनिहालों का बचपन खुशहाल हो पाएगा.

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. बस्तर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या चिंताजनक है. बस्तर में नौनिहालों में बढ़ रहे कुपोषण के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश की जा रही है. कलेक्टर अय्याज तंबोली ने जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है जिसका नाम 'हरिक नानी बेरा' दिया गया है.

'हरिक नानी बेरा' को बस्तर की स्थानीय हल्बी बोली से लिया गया है जिसका अर्थ खुशहाल बचपन होता है. बस्तर में बच्चों को उचित न्यूट्रीशियन युक्त भोजन न मिल पाने की वजह से उनमें कुपोषण देखा जाता है. इस वजह से अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह के तीन दिन बच्चों को अंडा और तीन दिन मूंगफल्ली, गुड़ के लड्डू दिए जाएंगे.

न्यूज स्टोरी.
  • जिले के कलेक्टर अय्याज तंबोली ने बताया कि अभी बस्तर के 82 आंगनबाड़ी केंद्रों को चयनित किया गया है, जहां बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 45 फीसदी से अधिक है.
  • प्रथम चरण में इस योजना से लगभग 1800 बच्चे लाभान्वित होंगे, वहीं दूसरा चरण भी जल्द ही शुरू किया जाएगा.
  • केवल बस्तर जिले के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो लगभग 70 हजार बच्चों में 24 हजार बच्चे कुपोषित और 7हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं. ये वो आंकड़े हैं जो जिला प्रशासन ने उपलब्ध करवाए हैं.
  • वहीं महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के अनुसार कुपोषण से लड़ने के लिए प्रसाशन द्वारा 14 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. अब देखना होगा कि इतनी योजनाओं के बावजूद जब कुपोषण के प्रतिशत में कमी नहीं आ रही, तो इस नई योजना से क्या वाकई बस्तर के नौनिहालों का बचपन खुशहाल हो पाएगा.
Intro:
जगदलपुर। बस्तर में नौनिहालों में बढ़ रहे कुपोषण के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में बस्तर कलेक्टर अय्याज तम्बोली ने जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रो के लिए एक नई योजना की शुरुवात की है जिसका नाम "हरिक नानी बेरा" दिया गया है।
 
 


Body:हरिक नानी बेरा को बस्तर के स्थानीय हल्बी बोली से लिया गया है जिसका अर्थ खुशहाल बचपन होता है।  बस्तर में बच्चों को उचित न्यूट्रीशियन युक्त भोजन न मिल पाने की वजह से उनमे कुपोषण देखा जाता है , जिस वजह से अब आंगनबाड़ी केन्द्रो  में सप्ताह के तीन दिन बच्चों को अण्डा व् तीन दिन मूंगफल्ली गुड़ के लड्डू दिए जायेंगे। 


Conclusion:इस सम्बन्ध में बस्तर कलेक्टर अय्याज तम्बोली ने बताया कि अभी बस्तर जिले के 82 आंगनबाड़ी केन्द्रो को चयनित किया गया है जहाँ बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 45से अधिक है। प्रथम चरण में इस योजना से लगभग 1800 बच्चे लाभान्वित होंगे वहीँ दूसरा चरण भी जल्द ही प्रारम्भ किया जायेगा। वहीँ केवल बस्तर जिले के आंकड़ों पर नजर डाला जाये तो लगभग 70 हजार बच्चों में 24 हजार बच्चे कुपोषित और 7हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं।  ये वह आंकड़े हैं जो जिला प्रशासन ने उपलब्ध करवाए हैं वहीँ महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के अनुसार कुपोषण से लड़ने के लिए प्रसाशन द्वारा 14 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं।  अब देखना होगा कि इतनी योजनाओं के बावजूद जब कुपोषण के प्रतिशत में कमी नहीं आ रही तो इस नई योजना से क्या वाकई बस्तर के नौनिहालों का बचपन खुशहाल हो पायेगा ।
 
बाईट1 - डॉ. अय्याज तम्बोली, कलेक्टर बस्तर 
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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