जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. बस्तर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या चिंताजनक है. बस्तर में नौनिहालों में बढ़ रहे कुपोषण के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश की जा रही है. कलेक्टर अय्याज तंबोली ने जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है जिसका नाम 'हरिक नानी बेरा' दिया गया है.
'हरिक नानी बेरा' को बस्तर की स्थानीय हल्बी बोली से लिया गया है जिसका अर्थ खुशहाल बचपन होता है. बस्तर में बच्चों को उचित न्यूट्रीशियन युक्त भोजन न मिल पाने की वजह से उनमें कुपोषण देखा जाता है. इस वजह से अब आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह के तीन दिन बच्चों को अंडा और तीन दिन मूंगफल्ली, गुड़ के लड्डू दिए जाएंगे.
- जिले के कलेक्टर अय्याज तंबोली ने बताया कि अभी बस्तर के 82 आंगनबाड़ी केंद्रों को चयनित किया गया है, जहां बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 45 फीसदी से अधिक है.
- प्रथम चरण में इस योजना से लगभग 1800 बच्चे लाभान्वित होंगे, वहीं दूसरा चरण भी जल्द ही शुरू किया जाएगा.
- केवल बस्तर जिले के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो लगभग 70 हजार बच्चों में 24 हजार बच्चे कुपोषित और 7हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं. ये वो आंकड़े हैं जो जिला प्रशासन ने उपलब्ध करवाए हैं.
- वहीं महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के अनुसार कुपोषण से लड़ने के लिए प्रसाशन द्वारा 14 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. अब देखना होगा कि इतनी योजनाओं के बावजूद जब कुपोषण के प्रतिशत में कमी नहीं आ रही, तो इस नई योजना से क्या वाकई बस्तर के नौनिहालों का बचपन खुशहाल हो पाएगा.