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Bastar Dussehra: यहां सरकारी दफ्तर कैंपस के सामने दिन-रात छलकता है जाम, प्रशासन की रहती है रजामंदी - WINE SHOP

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिला में 75 दिनों तक चलने वाले दशहरा पर्व (Bastar Dussehra) में आदिवासी समाज (Tribal society) द्वारा वन विभाग कार्यालय (Forest Department Office) के परिसर के सामने 3 दिनों तक शराब का बाजार (WINE SHOP) लगता है. यहां ग्रामीण सहित शहरी लोग आकर देशी शराब का लुफ्त उठाते हैं. इतना ही नहीं. इन तीन दिनों में प्रशासन की ओर से आदिवासियों को कोई रोक-टोक नहीं होती.

In front of the government office there is a jam day and night
सरकारी दफ्तर के सामने दिन-रात छलकता है जाम
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Published : Oct 16, 2021, 5:14 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar)में 75 दिनों तक दशहरा पर्व (Bastar Dussehra) काफी अनोखे ढ़ंग से मनाया जाता है. इस अनोखे पर्व में बस्तर के कई रंग देखने को मिलते हैं. साथ ही यहां की अनोखी परम्परा की झलक भी हर रस्म में लोगों में साफ झलकता है. वहीं, इन रस्मों में एक रस्म है दशहरा पर्व के दौरान 3 दिनों तक चलने वाला शराब का ठेका(WINE SHOP) .

प्रशासन की रहती है रजामंदी

प्रशासन की ओर से मिलती है खुली छूट

दरअसल, ये शराब का ठेका 3 दिनों तक लगातार चलता रहता है. इसमें आदिवासी समाज (Tribal society) देशी शराब (Desi wine) के साथ चखना की बिक्री करते हैं. इतना ही नहीं इन शराब के ठेकों पर प्रशासन की भी कोई रोक-टोक नहीं होती. यहां तक कि ये शराब की महफिल सरकारी दफ्तर के बिल्कुल पास में लगती है. इतना ही नहीं इन्हें प्रशासन की ओर से अनुमति भी रहती है.

बस्तर में क्यों नहीं जलाया जाता रावण का पुतला? जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान...

आदिवासी बनाते हैं देशी शराब

बता दें कि बस्तर दशहरा में आदिवासी परंपरा के अनुसार 3 दिनों तक दिन-रात आदिवासी देसी शराब बनाते हैं और इस पर्व में शामिल होने वाले सैकड़ो ग्रामीणों के साथ शहरवासी भी 3 दिन तक देसी शराब का जमकर लुत्फ उठाते हैं. ये परम्परा तकरीबन 250 सालों से बस्तर में चलती आ रही है.

वन विभाग कार्यालय के परिसर में सजती है महफिल

दरअसल शहर के वन विभाग कार्यालय (Forest Department Office)के परिसर में 3 दिनों के लिए देसी शराब का बाजार लगता है. यहां बस्तर के ग्रामीण अंचलों से आने वाले आदिवासी महिलाएं देसी शराब और महुआ बेचती हैं. जिसका लुफ्त उठाने बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ ही शहरवासी भी पहुंचते हैं.

वेज-नॉनवेज चखने के साथ परोसी जाती है शराब

बता दें कि ये छत्तीसगढ़ का पहला शराब का अड्डा है, जहां वेज, नॉनवेज चखना के साथ ही आदिवासी पत्ते के दोने में लोग देसी शराब का लुफ्त उठाते हैं. खास बात ये है कि यहां महिलाएं अलग-अलग तरह का चखना बनाने के साथ ही देसी शराब की बिक्री करती हैं.

सरकारी कार्यालय परिसर में होती है बिक्री

वहीं, देसी शराब बिक्री करने आए महिलाओं ने बताया कि साल भर में वे केवल एक बार दशहरा पर्व के दौरान यहां पहुंचती हैं और वन विभाग के कार्यालय परिसर में ही 3 दिन रहकर गांव से बनाकर लाए देसी शराब, लांदा और महुआ शराब की बिक्री करती हैं. इन 3 दिनों में उनकी अच्छी कमाई भी होती है और प्रशासन की तरफ से भी उन्हें पूरी छूट होती है.

शहर के लोग भी उठाते हैं देशी शराब का लुफ्त

देसी शराब का लुफ्त उठाने बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ-साथ शहरवासी भी पहुंचते हैं. दिन रात यहां पर शराब की बिक्री होती है. खास बात यह है कि सरकारी विभाग के कार्यालय में ही शराब की बिक्री होती है और प्रशासन भी कोई हस्तक्षेप नहीं करती.

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar)में 75 दिनों तक दशहरा पर्व (Bastar Dussehra) काफी अनोखे ढ़ंग से मनाया जाता है. इस अनोखे पर्व में बस्तर के कई रंग देखने को मिलते हैं. साथ ही यहां की अनोखी परम्परा की झलक भी हर रस्म में लोगों में साफ झलकता है. वहीं, इन रस्मों में एक रस्म है दशहरा पर्व के दौरान 3 दिनों तक चलने वाला शराब का ठेका(WINE SHOP) .

प्रशासन की रहती है रजामंदी

प्रशासन की ओर से मिलती है खुली छूट

दरअसल, ये शराब का ठेका 3 दिनों तक लगातार चलता रहता है. इसमें आदिवासी समाज (Tribal society) देशी शराब (Desi wine) के साथ चखना की बिक्री करते हैं. इतना ही नहीं इन शराब के ठेकों पर प्रशासन की भी कोई रोक-टोक नहीं होती. यहां तक कि ये शराब की महफिल सरकारी दफ्तर के बिल्कुल पास में लगती है. इतना ही नहीं इन्हें प्रशासन की ओर से अनुमति भी रहती है.

बस्तर में क्यों नहीं जलाया जाता रावण का पुतला? जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान...

आदिवासी बनाते हैं देशी शराब

बता दें कि बस्तर दशहरा में आदिवासी परंपरा के अनुसार 3 दिनों तक दिन-रात आदिवासी देसी शराब बनाते हैं और इस पर्व में शामिल होने वाले सैकड़ो ग्रामीणों के साथ शहरवासी भी 3 दिन तक देसी शराब का जमकर लुत्फ उठाते हैं. ये परम्परा तकरीबन 250 सालों से बस्तर में चलती आ रही है.

वन विभाग कार्यालय के परिसर में सजती है महफिल

दरअसल शहर के वन विभाग कार्यालय (Forest Department Office)के परिसर में 3 दिनों के लिए देसी शराब का बाजार लगता है. यहां बस्तर के ग्रामीण अंचलों से आने वाले आदिवासी महिलाएं देसी शराब और महुआ बेचती हैं. जिसका लुफ्त उठाने बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ ही शहरवासी भी पहुंचते हैं.

वेज-नॉनवेज चखने के साथ परोसी जाती है शराब

बता दें कि ये छत्तीसगढ़ का पहला शराब का अड्डा है, जहां वेज, नॉनवेज चखना के साथ ही आदिवासी पत्ते के दोने में लोग देसी शराब का लुफ्त उठाते हैं. खास बात ये है कि यहां महिलाएं अलग-अलग तरह का चखना बनाने के साथ ही देसी शराब की बिक्री करती हैं.

सरकारी कार्यालय परिसर में होती है बिक्री

वहीं, देसी शराब बिक्री करने आए महिलाओं ने बताया कि साल भर में वे केवल एक बार दशहरा पर्व के दौरान यहां पहुंचती हैं और वन विभाग के कार्यालय परिसर में ही 3 दिन रहकर गांव से बनाकर लाए देसी शराब, लांदा और महुआ शराब की बिक्री करती हैं. इन 3 दिनों में उनकी अच्छी कमाई भी होती है और प्रशासन की तरफ से भी उन्हें पूरी छूट होती है.

शहर के लोग भी उठाते हैं देशी शराब का लुफ्त

देसी शराब का लुफ्त उठाने बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ-साथ शहरवासी भी पहुंचते हैं. दिन रात यहां पर शराब की बिक्री होती है. खास बात यह है कि सरकारी विभाग के कार्यालय में ही शराब की बिक्री होती है और प्रशासन भी कोई हस्तक्षेप नहीं करती.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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