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जगदलपुर: परिवार ने छोड़ा बुजुर्गों का साथ, मदद के लिए युवाओं ने बढ़ाया हाथ

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Published : Mar 31, 2020, 11:11 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर के देवड़ा में भगवान शिव के मंदिर परिसर में रहने वाले बुजुर्गों की कोई सुध नहीं ले रहा था. ऐसे में स्थानीय युवाओं ने इन बुजुर्गों की मदद की है.

Due to closure of the temple many people are not getting food
बुजुर्गों की मदद करते युवा

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा के देवड़ा में भगवान शिव का एक मंदिर है. इस मंदिर परिसर में कुष्ठ और कोढ़ की बीमारी से ग्रसित कुछ पीड़ित लोग रहते हैं. घने जंगल के बीच स्थित इस शिव मंदिर में इन बुजुर्गों का जीवन यापन भक्तों द्वारा दिए जाने वाले दान से चल जाता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जब सारे मंदिरों के दरवाजे बंद हो गए, तो अब इन बेसहारा लोगों के सामने भी संकट की घड़ी सामने आ गई है. शहर और गांव से दूर घने जंगल में रहने की वजह से कोई इनकी सुध भी नहीं ले रहा था.

बुजुर्गों की मदद करते युवा

इन बेसहारा लोगों की सुध लेने पहुंचे समीर खान ने बताया कि वे इन सभी की जानकारी लेने आए हैं और साथ में इनके लिए कुछ सामान भी लेकर आए हैं. समीर का कहना है कि जितना वे मदद कर सकते थे उन्होंने की, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. उन्होंने लोगों से इनकी मदद के लिए आगे आने की अपील की है.

Due to closure of the temple many people are not getting food
बुजुर्गों की मदद करते युवा

भक्तों से चलता है गुजारा

यहां रहने वाली बुजुर्ग महिला डोमाय ने बताया कि किसी बीमारी की वजह से मंदिर बंद कर दिए गए हैं. पहले भक्त आते थे तो दान मिलता था और गुजारा हो जाता था. लेकिन अब मंदिर बंद होने की वजह से हमें परेशानी हो रही है. डोयाम ने बताया कि परिवार का कोई सदस्य भी पूछने नहीं आता. ऐसे में जो भी उनसे आकर मिलता है वहीं बेटे जैसा लगता है.

डॉक्टरों ने नहीं दिया कोई सामान

डोमाय ने बताया कि जिस बीमारी की वजह से मंदिर बंद है उसकी जानकारी देने डॉक्टर आए थे, पर साफ-सफाई के लिए जो जरुरी सामान है वो किसी ने नहीं दिया.

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा के देवड़ा में भगवान शिव का एक मंदिर है. इस मंदिर परिसर में कुष्ठ और कोढ़ की बीमारी से ग्रसित कुछ पीड़ित लोग रहते हैं. घने जंगल के बीच स्थित इस शिव मंदिर में इन बुजुर्गों का जीवन यापन भक्तों द्वारा दिए जाने वाले दान से चल जाता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जब सारे मंदिरों के दरवाजे बंद हो गए, तो अब इन बेसहारा लोगों के सामने भी संकट की घड़ी सामने आ गई है. शहर और गांव से दूर घने जंगल में रहने की वजह से कोई इनकी सुध भी नहीं ले रहा था.

बुजुर्गों की मदद करते युवा

इन बेसहारा लोगों की सुध लेने पहुंचे समीर खान ने बताया कि वे इन सभी की जानकारी लेने आए हैं और साथ में इनके लिए कुछ सामान भी लेकर आए हैं. समीर का कहना है कि जितना वे मदद कर सकते थे उन्होंने की, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. उन्होंने लोगों से इनकी मदद के लिए आगे आने की अपील की है.

Due to closure of the temple many people are not getting food
बुजुर्गों की मदद करते युवा

भक्तों से चलता है गुजारा

यहां रहने वाली बुजुर्ग महिला डोमाय ने बताया कि किसी बीमारी की वजह से मंदिर बंद कर दिए गए हैं. पहले भक्त आते थे तो दान मिलता था और गुजारा हो जाता था. लेकिन अब मंदिर बंद होने की वजह से हमें परेशानी हो रही है. डोयाम ने बताया कि परिवार का कोई सदस्य भी पूछने नहीं आता. ऐसे में जो भी उनसे आकर मिलता है वहीं बेटे जैसा लगता है.

डॉक्टरों ने नहीं दिया कोई सामान

डोमाय ने बताया कि जिस बीमारी की वजह से मंदिर बंद है उसकी जानकारी देने डॉक्टर आए थे, पर साफ-सफाई के लिए जो जरुरी सामान है वो किसी ने नहीं दिया.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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