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SPECIAL: 75 दिनों का दशहरा, डेरी गढ़ई के साथ रथ निर्माण का काम शुरू

अपनी अनूठी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपरा के लिए बस्तर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा दुनिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला लोक पर्व है. इस लोक पर्व की शुरुआत 20 जुलाई को पाट जात्रा रस्म के साथ हो चुकी है. सोमवार को विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण, डेरी गढ़ई की रस्म अदायगी की गई.

Bastar Dussehra
डेरी गढ़ई रस्म
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Published : Aug 31, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण डेरी गढ़ई की रस्म अदायगी सीरहासार भवन में की गई. करीब 700 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बिरिंगपाल से लाई गई सरई पेड़ की टहनियों को एक विशेष स्थान पर स्थापित किया गया और विधि विधान से पूजा अर्चना कर रथ निर्माण के लिए मां दंतेश्वरी से आज्ञा ली गई.

बस्तर दशहरा की डेरी गढ़ई रस्म

इस मौके पर जनप्रतिनिधियों समेत जिला प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय लोग मौजूद रहे. इस रस्म के साथ ही विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और रथ के लिए लकड़ियों का लाना भी शुरू हो गया है. हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से इस बार दशहरा पर्व के दौरान रथ परिक्रमा पर संशय बना हुआ है.

रियासत काल से चली आ रही इस रस्म के अनुसार डेरी गढ़ई के लिए बिरिंगपाल गांव से सरई पेड़ की टहनियां लाई जाती है, इन टहनियों को पूजा कर पवित्र करने के बाद टहनी को गाड़ने के लिए बनाए गए गड्ढे में अंडा और जीवित मछलियां डाली जाती है, जिसके बाद टहनी को गाढ़कर इस रस्म को पूरा किया जाता है. फिर माई दंतेश्वरी से विश्व प्रसिद्ध दशहरा रथ के निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करने की इजाजत ली जाती है. मान्यता है कि इस रस्म के बाद ही बस्तर दशहरे के लिए रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है. बता दें, विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है.

Bastar Dussehra
डेरी गढ़ई रस्म

पढ़ें-SPECIAL: शुरू हुआ दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला लोकपर्व बस्तर दशहरा, निभाई गई पाट जात्रा की रस्म

डेरी गढ़ई रस्म के दौरान मौजूद रहे मांझी मुखिया दलपति ने बताया कि इस रस्म को पिछले 700 वर्षों से निभाया जा रहा है और विशेष गांव से सरगी पेड़ की एक लकड़ी को लाकर उसकी विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद गाड़ा जाता है. आज से दशहरा पर्व समाप्त होने तक यह डेरी गढ़ई की लकड़ी एक ही स्थान पर गड़ी रहती है, मांझी ने बताया कि डेरी गढ़ई दशहरा पर्व की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म है और इस रस्म अदायगी में मां दंतेश्वरी से बस्तर दशहरा पर्व में चलने वाले 8 चक्कों के रथ निर्माण के लिए आज्ञा ली जाती है.

Bastar Dussehra
बस्तर दशहरा की डेरी गढ़ई रस्म

सरकार की ओर से हरसंभव मदद

इस दौरान इस टहनी को गाड़ने के लिए खोदे गए गड्ढे में मुंगर मछली, चावल और अन्य पूजा का सामान चढ़ाया जाता है. मां दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी ने भी बताया कि बस्तर में राजा महाराजाओं के समय से ही बस्तर दशहरा की हर एक रस्म बखूबी निभाई जाती है. इस परंपरा के लिए उपस्थित रहे बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज ने बस्तर दशहरा की शुभकामनाएं देने के साथ ही दशहरा पर्व के उल्लास को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार की ओर हर संभव कोशिश किए जाने की बात कही.

पढ़ें-बेहद खास है बस्तर दशहरे की भीतर रैनी रस्म

4 सितंबर को बस्तर दशहरा समिति की बैठक

हालांकि, सांसद ने कहा कि इस बार देश में फैली कोरोना माहमारी की वजह से काफी सावधानी बरती जा रही है और श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखने के साथ कोरोना के सभी नियमों का पालन कर सभी रस्मों का पालन किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि आगामी 4 सितंबर को बस्तर दशहरा समिति की एक बैठक रखी गई है जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि जिला प्रशासन और गांव के मुखिया के साथ स्थानीय वरिष्ठ नागरिक भी मौजूद रहेंगे.

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण डेरी गढ़ई की रस्म अदायगी सीरहासार भवन में की गई. करीब 700 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बिरिंगपाल से लाई गई सरई पेड़ की टहनियों को एक विशेष स्थान पर स्थापित किया गया और विधि विधान से पूजा अर्चना कर रथ निर्माण के लिए मां दंतेश्वरी से आज्ञा ली गई.

बस्तर दशहरा की डेरी गढ़ई रस्म

इस मौके पर जनप्रतिनिधियों समेत जिला प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय लोग मौजूद रहे. इस रस्म के साथ ही विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और रथ के लिए लकड़ियों का लाना भी शुरू हो गया है. हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से इस बार दशहरा पर्व के दौरान रथ परिक्रमा पर संशय बना हुआ है.

रियासत काल से चली आ रही इस रस्म के अनुसार डेरी गढ़ई के लिए बिरिंगपाल गांव से सरई पेड़ की टहनियां लाई जाती है, इन टहनियों को पूजा कर पवित्र करने के बाद टहनी को गाड़ने के लिए बनाए गए गड्ढे में अंडा और जीवित मछलियां डाली जाती है, जिसके बाद टहनी को गाढ़कर इस रस्म को पूरा किया जाता है. फिर माई दंतेश्वरी से विश्व प्रसिद्ध दशहरा रथ के निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करने की इजाजत ली जाती है. मान्यता है कि इस रस्म के बाद ही बस्तर दशहरे के लिए रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है. बता दें, विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है.

Bastar Dussehra
डेरी गढ़ई रस्म

पढ़ें-SPECIAL: शुरू हुआ दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला लोकपर्व बस्तर दशहरा, निभाई गई पाट जात्रा की रस्म

डेरी गढ़ई रस्म के दौरान मौजूद रहे मांझी मुखिया दलपति ने बताया कि इस रस्म को पिछले 700 वर्षों से निभाया जा रहा है और विशेष गांव से सरगी पेड़ की एक लकड़ी को लाकर उसकी विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद गाड़ा जाता है. आज से दशहरा पर्व समाप्त होने तक यह डेरी गढ़ई की लकड़ी एक ही स्थान पर गड़ी रहती है, मांझी ने बताया कि डेरी गढ़ई दशहरा पर्व की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म है और इस रस्म अदायगी में मां दंतेश्वरी से बस्तर दशहरा पर्व में चलने वाले 8 चक्कों के रथ निर्माण के लिए आज्ञा ली जाती है.

Bastar Dussehra
बस्तर दशहरा की डेरी गढ़ई रस्म

सरकार की ओर से हरसंभव मदद

इस दौरान इस टहनी को गाड़ने के लिए खोदे गए गड्ढे में मुंगर मछली, चावल और अन्य पूजा का सामान चढ़ाया जाता है. मां दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी ने भी बताया कि बस्तर में राजा महाराजाओं के समय से ही बस्तर दशहरा की हर एक रस्म बखूबी निभाई जाती है. इस परंपरा के लिए उपस्थित रहे बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज ने बस्तर दशहरा की शुभकामनाएं देने के साथ ही दशहरा पर्व के उल्लास को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार की ओर हर संभव कोशिश किए जाने की बात कही.

पढ़ें-बेहद खास है बस्तर दशहरे की भीतर रैनी रस्म

4 सितंबर को बस्तर दशहरा समिति की बैठक

हालांकि, सांसद ने कहा कि इस बार देश में फैली कोरोना माहमारी की वजह से काफी सावधानी बरती जा रही है और श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखने के साथ कोरोना के सभी नियमों का पालन कर सभी रस्मों का पालन किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि आगामी 4 सितंबर को बस्तर दशहरा समिति की एक बैठक रखी गई है जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि जिला प्रशासन और गांव के मुखिया के साथ स्थानीय वरिष्ठ नागरिक भी मौजूद रहेंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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