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बस्तर के रेड राइस की विदेश में बढ़ी डिमांड, खूबियां ऐसी कि आप भी करेंगे मांग

वन औषधियों के साथ ही अब बस्तर में उत्पादित रेड राइस की डिमांड खासा बढ़ रही है. देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी फॉरनर बस्तर रेड राइस की डिमांड कर रहे हैं.

बस्तर रेड राइस
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Published : May 6, 2019, 9:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्राकृतिक खूबसूरती और संपदाओं के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है. वन औषधियों के साथ ही अब बस्तर में उत्पादित रेड राइस की डिमांड खासा बढ़ रही है. देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी फॉरनर बस्तर रेड राइस की डिमांड कर रहे हैं.

रेड राइस

औषधीय गुणों से भरपूर
औषधीय गुणों से भरपूर इस रेड राइस को अधिक से अधिक उत्पादित कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को प्रोत्साहित करने में जुटा है. खेतों में लगाए गए रेड राइस से अच्छी फसल होने के साथ इसकी डिमांड बढ़ने से अब केवीके किसानों की सहयोग से 40 एकड़ में रेड राइस उत्पादित करने जा रहा है. इससे बस्तर के किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. डिमांड के साथ ही ज्यादा से ज्यादा किसान रेड राइस की खेती कर अच्छी कमाई कर सकेंगे.

एचएमटी चावल की तरह पतला है रेड राइस
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीपी आयम ने बताया कि कुछ महीने पहले रेड राइस की अलग वैरायटी प्रायोगिक तौर पर केवीके के 2 एकड़ में लगाई गई थी. इसके बाद फसल अच्छी होने पर बस्तर के कुछ गांव में केवीके के सहयोग से रेड राइस की फसल लगाई गई. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बस्तर में उगने वाला रेड राइस सुपर वैरायटी का है. ये बिल्कुल पतला और एचएमटी चावल की तरह है, जो बाकी राज्यों के रेड राइस की तुलना में बिल्कुल अलग है.

अमेरिका और यूरोप के लोगों ने किया पसंद
यही वजह है कि बस्तर में रेड राइस की अच्छी फसल होने की खबर जब रायपुर और धमतरी के राइस मिलों को मिली, तो उन्होंने किसानों से संपर्क किया और कुछ क्विंटल धान उनसे खरीदा. इसके बाद धान को मिल में फाइन राइस बनाया गया और उसकी पैकेजिंग कर अमेरिका और यूरोप भेजा गया. वहां के लोगों को बस्तर का रेड राइस पसंद आया और इसकी डिमांड बढ़ गई.

40 एकड़ में रेड राइस लगाने की तैयारी
इस डिमांड को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को अपने खेतों में रेड राइस की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. केवीके बस्तर जिले के कुछ गांवों के किसानों के सहयोग से इस सीजन में 40 एकड़ में रेड राइस लगाने की तैयारी कर रहा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रेड राइस के फसल से बस्तर के किसानों को प्रति किलो 300 रुपये तक का मुनाफा हो सकता है.

डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद
कृषि विज्ञान केंद्र के पादप और प्रजनन अनुवांशिकी वैज्ञानिक सोनाली कर ने बताया कि बस्तर की रेड राइस औषधीय गुणों से भरपूर है. रेड राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. रेड राइस डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है. इसके साथ ही कैंसर के खतरे को कम और वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है.

ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद
सोनाली ने बताया कि रेड राइस ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद होता है. भारतवासियों की तुलना में आमतौर पर फॉरेनर अपने सेहत का खास ख्याल रखते हैं, जिस वजह से बस्तर की रेड राइस की देश के साथ ही विदेशों में भी भारी डिमांड है.

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्राकृतिक खूबसूरती और संपदाओं के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है. वन औषधियों के साथ ही अब बस्तर में उत्पादित रेड राइस की डिमांड खासा बढ़ रही है. देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी फॉरनर बस्तर रेड राइस की डिमांड कर रहे हैं.

रेड राइस

औषधीय गुणों से भरपूर
औषधीय गुणों से भरपूर इस रेड राइस को अधिक से अधिक उत्पादित कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को प्रोत्साहित करने में जुटा है. खेतों में लगाए गए रेड राइस से अच्छी फसल होने के साथ इसकी डिमांड बढ़ने से अब केवीके किसानों की सहयोग से 40 एकड़ में रेड राइस उत्पादित करने जा रहा है. इससे बस्तर के किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. डिमांड के साथ ही ज्यादा से ज्यादा किसान रेड राइस की खेती कर अच्छी कमाई कर सकेंगे.

एचएमटी चावल की तरह पतला है रेड राइस
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीपी आयम ने बताया कि कुछ महीने पहले रेड राइस की अलग वैरायटी प्रायोगिक तौर पर केवीके के 2 एकड़ में लगाई गई थी. इसके बाद फसल अच्छी होने पर बस्तर के कुछ गांव में केवीके के सहयोग से रेड राइस की फसल लगाई गई. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बस्तर में उगने वाला रेड राइस सुपर वैरायटी का है. ये बिल्कुल पतला और एचएमटी चावल की तरह है, जो बाकी राज्यों के रेड राइस की तुलना में बिल्कुल अलग है.

अमेरिका और यूरोप के लोगों ने किया पसंद
यही वजह है कि बस्तर में रेड राइस की अच्छी फसल होने की खबर जब रायपुर और धमतरी के राइस मिलों को मिली, तो उन्होंने किसानों से संपर्क किया और कुछ क्विंटल धान उनसे खरीदा. इसके बाद धान को मिल में फाइन राइस बनाया गया और उसकी पैकेजिंग कर अमेरिका और यूरोप भेजा गया. वहां के लोगों को बस्तर का रेड राइस पसंद आया और इसकी डिमांड बढ़ गई.

40 एकड़ में रेड राइस लगाने की तैयारी
इस डिमांड को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को अपने खेतों में रेड राइस की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. केवीके बस्तर जिले के कुछ गांवों के किसानों के सहयोग से इस सीजन में 40 एकड़ में रेड राइस लगाने की तैयारी कर रहा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रेड राइस के फसल से बस्तर के किसानों को प्रति किलो 300 रुपये तक का मुनाफा हो सकता है.

डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद
कृषि विज्ञान केंद्र के पादप और प्रजनन अनुवांशिकी वैज्ञानिक सोनाली कर ने बताया कि बस्तर की रेड राइस औषधीय गुणों से भरपूर है. रेड राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. रेड राइस डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है. इसके साथ ही कैंसर के खतरे को कम और वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है.

ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद
सोनाली ने बताया कि रेड राइस ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद होता है. भारतवासियों की तुलना में आमतौर पर फॉरेनर अपने सेहत का खास ख्याल रखते हैं, जिस वजह से बस्तर की रेड राइस की देश के साथ ही विदेशों में भी भारी डिमांड है.

Intro:जगदलपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्राकृतिक खूबसूरती और संपदाओं के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है। वन औषधियों के साथ ही अब बस्तर में उत्पादित रेड राइस की भी खासी डिमांड बढ़ रही है । और अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी फॉरेनर बस्तर रेड राइस की डिमांड कर रहे हैं। औषधीय गुणों से भरपूर इस रेड राइस को अधिक से अधिक मात्रा में बस्तर के किसान उत्पादित करें इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को प्रोत्साहित करने में जुट गया है । केवीके द्वारा प्रारंभिक तौर पर अपने परिसर में 2 एकड़ और ग्रामीण क्षेत्र में कुछ किसानों के खेतों में लगाए गए रेड राइस से अच्छी फसल होने के साथ इसकी डिमांड बढ़ने से अब केवीके किसानों के सहयोग से 40 एकड़ में रेड राइस उत्पादित करने जा रहा है । जिससे बस्तर के किसानो को अच्छा मुनाफा हो सके। और डिमांड के साथ ही ज्यादा से ज्यादा किसान रेड राइस की खेती कर अच्छी कमाई कर सके।



Body:वो1- कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक जी.पी आयम ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ महीने पूर्व रेड राइस की अलग वैरायटी प्रायोगिक तौर पर केवीके के 2 एकड़ में लगाया गया था । जिसके बाद फसल अच्छी होने पर बस्तर के कुछ गांव में केवीके के सहयोग से रेड राइस की फसल लगाई गई । कृषि विज्ञानी ने बताया की बस्तर में होने वाला रेड राइस लाजनी सुपर वैरायटी का है यह बिल्कुल पतला औऱ एचएमटी चावल की तरह है। जो बाकी राज्यो के रेड राइस की तुलना में बिल्कुल अलग है।यही वजह है कि बस्तर में रेड राइस की अच्छी फसल होने की खबर जब रायपुर और धमतरी के राइस मिलों को मिली तो उन्होंने किसानों से संपर्क किया और कुछ क्विंटल धान उनसे खरीदा और धान को मिल में फाइन राइस बनाया और उसकी पैकेजिंग कर अमेरिका और यूरोप भेजा। वहां के लोगों को बस्तर का रेड राइस पसंद आया और डिमांड बढ़ गई। और अब इस डिमांड को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानिक किसानों को अपने खेतों में रेड राइस की फसल लगाने प्रोत्साहित कर रहे हैं। और केवीके बस्तर जिले के कुछ गांवों के किसानों के सहयोग से इस सीजन में 40 एकड़ में रेड राइस लगाने की तैयारी कर रहा हैं। कृषि वैज्ञानिको का कहना है कि रेड राइस के फसल से बस्तर के किसानों को प्रति किलो 300 रु तक का मुनाफा हो सकता है।

बाईट1- जी.पी आयम, वरिष्ठ कृषि विज्ञानी "चश्मा पहने हुए"
बाईट2- लेखराम वर्मा, कृषि विज्ञानी

वो2- कृषि विज्ञान केंद्र के पादप एवं प्रजनन अनुवांशिकी विज्ञानी सोनाली कर ने बताया कि बस्तर की रेड राइस औषधीय गुणों से भरपूर है । रेड राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। रेड राइस डायबिटीज पीड़ित और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है इसके साथ ही कैंसर के खतरे को कम और वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है । ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने में यह काफी फायदेमंद होता है । भारत वासियों की तुलना में आमतौर पर फॉरेनर अपने सेहत का खास ख्याल रखते हैं जिस वजह से बस्तर की रेड राइस की देश के साथ विदेशों में काफी डिमांड है।

बाईट2- श्रीमती सोनाली कर, कृषि वैज्ञानी


Conclusion:वो फाइनल- राज्य में फिलहाल सिर्फ बस्तर में रेड राइस की पैदावार हो रही है। यहां की जलवायु इसके लिए अनुकूल है। हालांकि बस्तर में फिलहाल इसके पैदावार को लेकर किसानों में जागरूकता की कमी है जिसे देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र इस दिशा में काम कर रही है।
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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