बस्तर: 8 साल पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी में नक्सली हमले की एनआईए (NIA) जांच कर रही है. घटना को लंबा समय बीत जाने के बाद भी इसकी जांच किसी नतीजे तक न पहुंचने के मद्देनजर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार सवाल उठा चुके हैं. अब तक के सबसे बड़े नक्सली हमले के मास्टर माइंड हेमला विनोद की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है, जिससे इस अटैक की जांच पर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं.
13 जुलाई को हुई हेमला की मौत
पुलिस के मुताबिक, नक्सली कमांडर विनोद हेमला उर्फ हुंगा (Naxalite commander Vinod dies of corona) की कोरोना संक्रमण के कारण 13 जुलाई को मौत हो गई है. उस पर 40 से ज्यादा अपराध दर्ज थे. नक्सली कमांडर विनोद हेमला की मौत की खबर के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने राहत की सांस ली है. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं और नक्सल मामलों के जानकारों ने घटना के सच और जांच को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
विनोद हेमला की मौत, क्या पड़ेगा झीरम हमले की जांच पर असर
नक्सली कमांडर विनोद हेमला की मौत के बाद इस हमले की जांच पर पड़ने वाले असर को लेकर नक्सल जानकार मनीष गुप्ता कहते हैं कि जिस नक्सली नेता को आज जेल में होना चाहिए था, उसकी कोरोना से मौत हो गई है. कोरोना से मौत होने की वजह से घटना का मुख्य साजिशकर्ता पुलिस के हाथ से निकल गया है. उन्होंने कहा कि उसकी मौत से वह सारे राज दफन हो गए जो यह बताते कि इस घटना के पीछे नक्सलियों का मकसद क्या था, क्यों इतने बड़े-बड़े नेताओं की हत्या की गई.
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नक्सल जानकार ने कहा, 'कांग्रेस लगातार आरोप लगाती रही है कि यह एक सुपारी किलिंग का मामला था. अगर विनोद हेमला पकड़ा जाता तो यह तथ्य भी सामने आ जाते कि क्या यह वाकई में एक सुपारी किलिंग थी और अगर सुपारी किलिंग थी तो उसके पीछे मुख्य साजिशकर्ता कौन लोग थे.'
एनआईए को जांच
झीरम हमले की जांच के लिए एनआईए ने अब तक कई नक्सलियों को गिरफ्तार किया है और उनके बयान दर्ज किए. मामले से जुड़े कई नक्सलियों ने सरेंडर करने के बाद एनआईए को कई अहम जानकारियां भी दी हैं. कोरोना महामारी के बीच जानकारी है कि इस हमले से जुड़े कई नक्सली कमांडरों की मौत हो रही है, जिसका सीधा असर घटना की जांच पर पड़ रहा है.
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जांच पर सवाल और 8 वर्षों की जांच क्या हुआ
8 वर्षों में हमले में शामिल बड़े नक्सली कमांडरों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो सकी, यह सवाल सभी के जहन में है. हालांकि इसकी जांच में अब तक एनआईए ने 39 नक्सलियों के खिलाफ 2 चार्जशीट पेश की और 9 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बाद भी घटना के पीछे का कोई ठोस सबूत हासिल नहीं हो सका.
कोरोना से अब तक कितने नक्सलियों की मौत ?
- 27 मई को बीजापुर के नक्सली कमांडर कोरसा गंगा उर्फ आयतु की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी. नक्सली आयतु का इलाज तेंलगाना के कोत्तागुड़म जिले के अस्पताल में चल रहा था. लंबे समय से यह बात सामने आ रही है कि नक्सली लगातार कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं.
- 5 जून को कोरोना संक्रमित नक्सलियों के कम्युनिकेशन टीम के चीफ गद्दाम मधुकर उर्फ सोबराय की हैदराबाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने मौत की पुष्टि की थी. नक्सली सोबराय को तेलंगाना के वारंगल में अरेस्ट किया गया था. वारंगल जिले के मुलुगू क्रास रोड पर वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने सोबराय को पकड़ा था. वह नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की कम्युनिकेशन टीम का मुखिया था. उसके ऊपर 8 लाख रुपए का इनाम था. पूछताछ में उसने खुद को कोरोना पॉजिटिव बताया और इलाज के लिए आने की बात कही थी. इसके बाद पुलिस ने उसका RT-PCR टेस्ट कराया गया था.
- 13 जून को नक्सली नेता कट्टी मोहन राव उर्फ दामू दादा की मौत हो गई थी. सूत्रों के अनुसार नक्सली मोहन राव कोरोना से संक्रमित था. वहीं, नक्सलियों ने मोहन की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई है.
- 13 जुलाई को कोरोना से पीड़ित नक्सली कमांडर विनोद हेमला उर्फ हुंगा की कोरोना से मौत हो गई. दंतेवाड़ा एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव ने ETV भारत से कहा है कि झीरम कांड और विधायक भीमा मंडावी की हत्या में शामिल नक्सली विनोद हेमला की मौत की पुष्टि की थी. उस पर 15 लाख रुपए का इनाम घोषित था. विनोद के बारे में बताया जा रहा है कि वो झीरम कांड के अलावा कई वारदातों में शामिल था.
हेमला की कोरोना से मौत के बाद बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने
नक्सली विनोद हेमला की मौत पर कांग्रेस नेता राजीव नारंग ने कहा कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि मामले पर सच जल्द से जल्द सामने आए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब से वह इस मामले की जांच के संबंध में आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन अभी तक एनआईए की जांच पूरी नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा, 'राज्य सरकार मामले पर सीबीआई (CBI) से जांच कराने की मांग कर रही है, लेकिन इसे केंद्र सरकार पूरी नहीं कर रही है. तो कहीं न कहीं मामले को ऐसा लेकर लगता है कि इसमें कुछ गड़बड़ी है. हमारी सरकार जब तक रहेगी वह कोशिश करेगी कि सब सामने आए.'
सरकार में कांग्रेस, जांच की जिम्मेदारी भी उनकी: बीजेपी
8 साल बीत जाने के बाद भी घटना की जांच पूरी नहीं होना और राज्य सरकार द्वारा इसके संबंध में केंद्र पर आरोप लगाने पर बीजेपी प्रदेश महामंत्री किरण देव ने कहा कि पिछले कई वर्षों से कांग्रेस इस घटना के संबंध में राजनीति करती आई है. कांग्रेस को राज्य सरकार में रहते हुए ढाई साल से ज्यादा का वक्त हो गया है और अब मामले की जांच को लेकर सारी जिम्मेदारी इनकी ही है. उन्होंने कहा, 'छत्तीसगढ़ में सारे विभाग कांग्रेस को पास हैं उनकी सरकार है और इन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि किस तरीके से सच सामने आए. कांग्रेस मामले पर केवल बातें करने तक सीमित रह गई है, यह जांच इनकी जवाबदारी है.'
हमले को बीते 8 साल के भीतर कांग्रेस ने कई बार राज्य की पूर्व बीजेपी सरकार पर कई आरोप लगाए. इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत अन्य नेताओं की हत्या की साजिश का क्या मकसद था इसकी जांच हेमला की मौत के उलझती जा रही है.