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बस्तर में निभाई गई 600 साल पुरानी रस्म, 2 होलिका का हुआ दहन - Old Tradition

हर साल की तरह इस साल भी सीरासार में 600 साल पुरानी पंरपरा के साथ धूम-धाम से होलिका दहन किया गया.

Combustion of two holi is done together in bastar
साथ जलाई गई दो होलिका
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Published : Mar 10, 2020, 4:44 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: होली पर्व के मौके पर बस्तर में 600 साल पुरानी परंपरा निभाई गई. यहां एक साथ 2 होलिका का दहन किया गया. दरसअल, पुरानी मान्यताओं के अनुसार जगदलपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माड़पाल ग्राम में सोमवार को राजपरिवार के सदस्यों की ओर से जिले की सबसे बड़ी होलिका का दहन किया गया. सीरासार चौक में मावली माता मंदिर के सामने भी होलिका का दहन किया गया. होलिका दहन करने से पहले मंदिर परिसर में पुजारियों की ओर से विधि-विधान से पूजा अर्चना कर मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली को घुमाया जाता है. कल देर रात भी इस ऐतिहासिक होली की परम्परा को बखूबी निभाया गया और इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

बस्तर में निभाई गई 600 साल पुरानी रस्म

600 साल पुरानी है यह परंपरा

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बनमाली पाणिग्रही बताते हैं कि होली दहन की यह परंपरा बस्तर में 600 साल पुरानी है. ऐसी मान्यता है कि जब बस्तर के महाराजा पुरुषोत्तम देव पुरी से रथपति उपाधि लेकर बस्तर लौट रहे थे तब फागुन पूर्णिमा के दिन उनका काफिला माढपाल ग्राम पहुंचा था. तब उन्हें इस दिन के महत्व का एहसास हुआ कि' फागुन पूर्णिमा है और आज के दिन भगवान जगन्नाथ धाम पूरी में हर्षोल्लास के साथ राधा कृष्ण के साथ जमकर होली खेलते हैं. तो राजा ने भी माढपाल में होली जलाकर उत्सव मनाने का निर्णय लिया और तब से माढ़पाल में बस्तर की पहली होलिका जलाई जाती है.

मंदिर परिसर का भ्रमण कर हुआ होलिका का दहन

हर साल माड़पाल से होली की आग जगदलपुर लाई जाती है और यहां मावली माता मंदिर के सामने सजाई जाती है. देर रात भी इस रस्म को बखूबी निभाया गया और धूमधाम से मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली का विधि विधान से पूजा अर्चना कर मंदिर परिसर में भ्रमण कराकर होलिका का दहन किया गया. इस दौरान मंदिर के पुजारियों समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

जगदलपुर: होली पर्व के मौके पर बस्तर में 600 साल पुरानी परंपरा निभाई गई. यहां एक साथ 2 होलिका का दहन किया गया. दरसअल, पुरानी मान्यताओं के अनुसार जगदलपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माड़पाल ग्राम में सोमवार को राजपरिवार के सदस्यों की ओर से जिले की सबसे बड़ी होलिका का दहन किया गया. सीरासार चौक में मावली माता मंदिर के सामने भी होलिका का दहन किया गया. होलिका दहन करने से पहले मंदिर परिसर में पुजारियों की ओर से विधि-विधान से पूजा अर्चना कर मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली को घुमाया जाता है. कल देर रात भी इस ऐतिहासिक होली की परम्परा को बखूबी निभाया गया और इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

बस्तर में निभाई गई 600 साल पुरानी रस्म

600 साल पुरानी है यह परंपरा

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बनमाली पाणिग्रही बताते हैं कि होली दहन की यह परंपरा बस्तर में 600 साल पुरानी है. ऐसी मान्यता है कि जब बस्तर के महाराजा पुरुषोत्तम देव पुरी से रथपति उपाधि लेकर बस्तर लौट रहे थे तब फागुन पूर्णिमा के दिन उनका काफिला माढपाल ग्राम पहुंचा था. तब उन्हें इस दिन के महत्व का एहसास हुआ कि' फागुन पूर्णिमा है और आज के दिन भगवान जगन्नाथ धाम पूरी में हर्षोल्लास के साथ राधा कृष्ण के साथ जमकर होली खेलते हैं. तो राजा ने भी माढपाल में होली जलाकर उत्सव मनाने का निर्णय लिया और तब से माढ़पाल में बस्तर की पहली होलिका जलाई जाती है.

मंदिर परिसर का भ्रमण कर हुआ होलिका का दहन

हर साल माड़पाल से होली की आग जगदलपुर लाई जाती है और यहां मावली माता मंदिर के सामने सजाई जाती है. देर रात भी इस रस्म को बखूबी निभाया गया और धूमधाम से मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली का विधि विधान से पूजा अर्चना कर मंदिर परिसर में भ्रमण कराकर होलिका का दहन किया गया. इस दौरान मंदिर के पुजारियों समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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