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bastar Dussehra 2022 : काले जादू की रस्म निशा जात्रा संपन्न, जानिए क्यों दी जाती है बलि

bastar Dussehra 2022 बस्तर दशहरे की सबसे अद्भुत रस्म निशा जात्रा बीती रात 02 बजे पूर्ण विधि विधान के साथ पूर्ण किया गया. इस रस्म को काले जादू की रस्म भी कहा जाता है. प्राचीन काल में इस रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से अपने राज्य की रक्षा के लिए निभाते थे. जिसमें हजारों बकरों भैंसों यहां तक की नर बलि भी दी जाती थी. लेकिन अब केवल 14 बकरों की बलि देकर इस रस्म की अदायगी रात 02 बजे शहर के गुडी मंदिर में पूरी की गई.

काले जादू की रस्म निशा जात्रा संपन्न
काले जादू की रस्म निशा जात्रा संपन्न
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Published : Oct 4, 2022, 2:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर : रस्म की शुरूआत 1301 ईसवीं में की गई थी. इस तांत्रिक रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए अदा करते थे. इस रस्म में बलि चढ़ाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है. जिससे देवी राज्य की रक्षा बुरी प्रेत आत्माओं से करे. निशा जात्रा की यह रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत ह़ी महत्वपूर्ण स्थान रखती है.

बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव का कहना है कि ''समय के साथ इस रस्म में बदलाव आया है. पहले इस रस्म में कई हजार भैंसों की बलि के साथ-साथ नर बलि भी दी जाती थी. इस रस्म को बुरी आत्माओं से राज्य कि रक्षा के लिए अदा किया जाता (Black magic ritual Nisha Jatra concluded in jagdalpur ) था. अब इस रस्म को राज्य में शान्ति बनाए रखने के लिए निभाया जाता है. निशा जात्रा के विषय में शास्त्र में लिखा गया है यह जातरा रात के समय में ही पूरा किया जाता है. इस जात्रा को प्रेत आत्माओं से बचाने के लिए निभाया जाता है. लगभग 600 साल से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है. जिसे आज पूरा किया गया है.''

राज परिवार के सदस्य कमल चंद भंजदेव ने बताया कि ''बीते वर्ष इसी स्थान पर चावल और उड़द की दाल को मिट्टी के बर्तन में डालकर गाड़ दिया गया था. जिसे आज निकाला गया है. 1 साल बाद भी यह गाड़ा हुआ चावल और दाल फ्रेश है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितनी शक्ति है.''

ये भी पढ़ें -राजपरिवार ने मां दंतेश्वरी को मंगल पत्रिका में बस्तर दशहरे का आमंत्रण सौंपा

बस्तर सांसद दीपक बैज ने बताया कि ''विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की रस्में महत्वपूर्ण होती है. ख़ासकर निशा जात्रा सबसे अनोखी रस्म होती है.जिसे आज विधि-विधान के साथ निभाई गयी है. bastar Dussehra 2022

जगदलपुर : रस्म की शुरूआत 1301 ईसवीं में की गई थी. इस तांत्रिक रस्म को राजा महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए अदा करते थे. इस रस्म में बलि चढ़ाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है. जिससे देवी राज्य की रक्षा बुरी प्रेत आत्माओं से करे. निशा जात्रा की यह रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत ह़ी महत्वपूर्ण स्थान रखती है.

बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव का कहना है कि ''समय के साथ इस रस्म में बदलाव आया है. पहले इस रस्म में कई हजार भैंसों की बलि के साथ-साथ नर बलि भी दी जाती थी. इस रस्म को बुरी आत्माओं से राज्य कि रक्षा के लिए अदा किया जाता (Black magic ritual Nisha Jatra concluded in jagdalpur ) था. अब इस रस्म को राज्य में शान्ति बनाए रखने के लिए निभाया जाता है. निशा जात्रा के विषय में शास्त्र में लिखा गया है यह जातरा रात के समय में ही पूरा किया जाता है. इस जात्रा को प्रेत आत्माओं से बचाने के लिए निभाया जाता है. लगभग 600 साल से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है. जिसे आज पूरा किया गया है.''

राज परिवार के सदस्य कमल चंद भंजदेव ने बताया कि ''बीते वर्ष इसी स्थान पर चावल और उड़द की दाल को मिट्टी के बर्तन में डालकर गाड़ दिया गया था. जिसे आज निकाला गया है. 1 साल बाद भी यह गाड़ा हुआ चावल और दाल फ्रेश है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितनी शक्ति है.''

ये भी पढ़ें -राजपरिवार ने मां दंतेश्वरी को मंगल पत्रिका में बस्तर दशहरे का आमंत्रण सौंपा

बस्तर सांसद दीपक बैज ने बताया कि ''विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की रस्में महत्वपूर्ण होती है. ख़ासकर निशा जात्रा सबसे अनोखी रस्म होती है.जिसे आज विधि-विधान के साथ निभाई गयी है. bastar Dussehra 2022

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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