बस्तर: बस्तर संभाग की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी पर जल संकट थमने का नाम ही नहीं ले रहा. जोरा नाला संगम पर हुए विवाद के समाधान के बाद फिर से बस्तर की ओर बढ़ने वाले नदी के रास्ते में रेत के टीले जम गए हैं. इससे पानी की समस्या पहले जैसी हो गई है. मानसून में बस्तर को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पाता है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में एक बार फिर से इंद्रावती नदी सूखने की कगार पर पहुंच जाएगी. धीरे-धीरे यह जल संकट फिर से बस्तर में गहराने लगेगा. इसे लेकर केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडू ने बड़ी बात कही है.
जोरा नाला को लेकर ओडिशा सरकार से हुई बात : बस्तर दौरे पर पहुंचे जल शक्ति के केंद्रीय राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, " जोरा नाला का मैंने निरीक्षण किया. छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा सरकार को वहां से रेत के टीलों को हटाने का निर्देश दिया था. इस मामले में लगातार रिव्यू लिया रहा है. जिस पर पता चला कि रेत हटाने का काम किया गया है. लेकिन जोरा नाला में टेक्निकल दिक्कतें बनी हुई है. जोरानाला में बहाव को लेकर भी टेक्निकल परेशानी है, जिसकी जांच करने के लिए एक टीम का भी गठन किया गया है. इस टीम की ओर से जांच भी किया जा रहा है. जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा."
ओडिशा जल संशाधन विभाग ने पहले गलत जवाब किया था पेश: इससे पहले भी केंद्रीय राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडू ने जोरा नाला के विवादित स्थल का दौरा किया था. दौरे में ओडिशा सरकार को रेत के टीलों को हटाने का निर्देश भी दिया गया था. इस पर ओडिशा जल संशाधन विभाग ने संसद में गलत जवाब पेश किया था. ओडिशा ने कहा था कि जोरानाला से रेत के टीलों को हटा दिया गया है. लेकिन बस्तर के जल संसाधन विभाग ने मौके का जब दौरा किया तो रेत के टीले जस के तस थे. इस पर पत्र लिखकर आपत्ति जताई गई. इसके बाद फिर से ओडिशा और छत्तीसगढ़ की जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने इस दिशा में काम करना शुरू किया है. हालांकि बारिश की वजह से कोई भी काम नहीं हुआ है.
चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती हो जाएगी कम: बता दें कि फिर से बस्तर की ओर बढ़ने वाले नदी के रास्ते में रेत के टीले जम गए हैं. इससे पानी की समस्या पहले जैसी हो गई है. ऐसे में मानसून में बस्तर को अपने हिस्से का पानी भी नहीं मिल पाता है. अगर ऐसा ही रहा तो इंद्रावती नदी सूखने की कगार पर पहुंच जाएगी. जल संकट होने से भारत देश में मिनी नियाग्रा के नाम पर मशहूर चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती भी कम हो जाएगी.