बस्तर: साल 2024 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. साल 2023 खत्म होने वाला है. ये साल कई लोगों के लिए खास रहा तो कईयों के लिए साल 2023 परेशानियों से भरा रहा. नए साल की शुरुआत से पहले आइए आपको हम बस्तर के उन घटनाओं से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जो साल 2023 में सुर्खियों में रहा. ये वो घटनाएं रही, जिनपर लोगों की निगाहें लगातार बनी रही.
साल की शुरुआत हुई हिंसा से: बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में 2 जनवरी 2023 को स्थानीय लोग सामाजिक बैठक आयोजित किए थे. यह बैठक पुलिस की निगरानी में हुई थी. बैठक की जानकारी पुलिस ने प्रेस नोट के माध्यम से दी थी. बैठक के दौरान लकड़ी डंडे से लैस कुछ झुंड अलग हुए. स्कूल परिसर में स्थित विशेष समुदाय के प्रार्थना भवन में पहुंचे और तोड़फोड़ करने लगे. जिस पर काफी बवाल हुआ.
33 नक्सलियों ने एक साथ किया सरेंडर: बस्तर संभाग के सुकमा जिले का अंदरूनी इलाका तोंडामरका और डब्बामरका में फरवरी माह में पूना नर्कोम अभियान से प्रभावित होकर 3 इनामी नक्सली सहित 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. इनमें महिला नक्सली भी शामिल थी.
दंतेवाड़ा नक्सली हमला: साल 2023 के अप्रैल माह में नक्सलियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया. दंतेवाड़ा से अरनपुर मार्ग में आईईडी ब्लास्ट हुआ. आईईडी ब्लास्ट में DRG के 10 जवान और एक ड्राइवर की मौत हो गई. ये हमला साल 2023 की सबसे बड़ी नक्सली घटना थी.
कांग्रेस पार्टी को मिली बस्तर में बड़ी जिम्मेदारी: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए 7 नवंबर को पहले चरण का मतदान बस्तर संभाग में संपन्न हुआ. चुनाव से ठीक पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी दोबारा सरकार बनाने के लिए अपने संगठन में बदलाव किया. छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी ने पीसीसी अध्यक्ष की कमान बस्तर के सांसद दीपक बैज को सौंपी. इसके बाद बस्तर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल देखने को मिला. ऐसा लग रहा था कि दीपक बैज के प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद कांग्रेस पार्टी बड़े अंतर से जीत दर्ज करेगी. हालांकि कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
बस्तर की 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा: कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सियासत का रास्ता बस्तर के रास्ते तय होता है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग की 12 सीटें जो कांग्रेस की झोली में थी, इसमें 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया और बीजेपी को जीत हासिल हुई.
नक्सलगढ़ में पहली बार हुआ मतदान: बस्तर संभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. नक्सलियों की वजह से कई ऐसे मतदान केंद्र थे, जहां मतदान नहीं कराया जाता था. उन पोलिंग बूथों को अन्य मतदान केंद्रों में शामिल किया जाता था. लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव में 40 ऐसे नए मतदान केंद्र नक्सलगढ़ में बने. जहां पर ग्रामीणों ने पहली बार अपने ही मतदान केंद्रों में वोट डाला है. इन मतदान केंद्रों में बस्तर जिले से चांदामेटा-कलेपाल, सुकमा जिले के मीनपा-गलगम और अन्य मतदान केंद्र शामिल है.
भाजपा को बस्तर में मिली बड़ी जिम्मेदारी: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद भाजपा ने भी अपने संगठन में बदलाव किया. भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी जगदलपुर विधानसभा के विधायक किरण देव को सौंपी है. दरअसल बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में 1 मात्र जगदलपुर विधानसभा सीट ही सामान्य है. यह जगदलपुर संभागीय मुख्यालय होने के कारण काफी हाई प्रोफाइल सीट है. इस सीट पर भाजपा के विधानसभा ने जीत दर्ज की. जिन्हें प्रदेश की कमान सौंपी गई है. जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव भी छत्तीसगढ़ में जीतने की बात कही है.
सत्ता परिवर्तन के बाद नक्सलियों का तांडव: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद लगातार नक्सलियों का तांडव देखने को मिला. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होते ही बस्तर में नक्सली भी सक्रिय हो गए. नक्सलियों की गतिविधियां भी बढ़ गई. सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में लगातार नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया. साथ ही प्रेशर आईईडी की चपेट में भी जवान आ गए. जवान शहीद भी हुए. वहीं अन्य जवान गंभीर रूप से घायल भी हुए. इसके अलावा भी कई वारदातों को अंजाम देकर नक्सलियों ने प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.