बस्तर: बस्तर संभाग छत्तीसगढ़ के सबसे अहम संभागों में से है. bastar year ender 2022 राजनीतिक और प्राकृतिक दोनों रूप से बस्तर छत्तीसगढ़ को प्रभावित करता है. बस्तर में जिस पार्टी का दबदबा रहता है उसकी सरकार बनती है. ऐसे में आईए जानते हैं कि इस बार साल 2022 में बस्तर की कौन सी घटनाओं ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.Big Incidents of Bastar in year 2022
- आरक्षण कटौती पर आदिवसियों का आंदोलन: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण में 12% की हुई कटौती को लेकर बस्तर के आदिवासी सड़क पर उतरने को मजबूर हुए. उन्होंने बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में नेशनल हाईवे को जाम करके आरक्षण की मांग की. दरअसल बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और बस्तर में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है. आरक्षण का मुद्दा इतना गंभीर है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ के भानूप्रतापपुर उपचुनाव में आदिवासियों ने अपना एक प्रत्याशी मैदान में उतारा था. जिसे 23000 से अधिक वोट मिले थे. इसे देखकर ऐसा प्रतीत हो सकता हो रहा है कि आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज अपने प्रत्याशी सभी विधानसभा में खड़ा कर सकते हैं. बस्तर में आरक्षण की लड़ाई अब चुनाव तक पहुंच चुकी है. bastar latest new
- मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मंत्री केदार कश्यप हुए आमने सामने: आरक्षण का मामला इतना गंभीर हो गया कि प्रदेश के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अपने बयान में कहा था कि यदि आदिवासियों का आरक्षण वापस नहीं मिलने पर वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. जिस पर पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि यदि मंत्री कवासी लखमा असली माता और असली पिता के बेटे हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा दे दें. इस दोनों बयानों के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा चढ़ाchhattisgarh year ender 2022
- बस्तर में मलेरिया ने किया परेशान: कोरोनाकाल के बाद बस्तर में मलेरिया का प्रकोप तेजी से फैलने लगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में कुल 7 मलेरिया मरीजों की मौत बस्तर जिले में हुई. इसके अलावा 2900 से अधिक मलेरिया के पॉजिटिव मरीज बस्तर में मिले.
- बस्तर में हावी रहा डेंगू का प्रकोप: मलेरिया के अलावा बस्तर में डेंगू ने भी इस वर्ष दस्तक दिया है. डेंगू से वर्ष 2022 में 6 मरीजों की मौत हुई है. सबसे बड़ी बात यह है कि डेंगू के अधिकतर मामले जगदलपुर शहर के भीतर से निकलकर सामने आ रहे थे. लंबे समय से एक ही स्थान पर पानी जम जाने की वजह से डेंगू का लार्वा उत्पन्न होता है. डेंगू से बस्तर जिले में 1700 से ज्यादा लोग बीमार पड़े.
- रेलवे ने दी बस्तर को विस्टाडोम कोच की सौगात: साल 2022 में बस्तर में पर्यटन के क्षेत्र में एक और बेहतर संभावना जुड़ गई. ईस्ट कोस्ट रेलवे के वॉल्टियर रेल मंडल से किरंदुल विशाखापटनम में स्पेशल ट्रेन के साथ विस्टाडोम कोच को जोड़ दिया गया. पहले कोच को आंध्रप्रदेश के अरकू स्टेशन तक चलाया जाता था. जिसे बढ़ाकर अब किरंदुल तक कर दिया गया है. लंबे समय से स्थानीय स्तर पर इसकी मांग रही थी. बड़ी संख्या में पर्यटक विशाखापट्टनम के रास्ते से ओडिशा तक पहुंचते हैं और इस दौरान विहंगम घाटियों का दृश्य इस ट्रेन के सफर के जरिए पूरा किया जाता है. पर्यटकों को बस्तर तक इस ट्रेन से आने की सुविधा मिलेगी और इस कोच से टूरिज्म का विस्तार बस्तर तक भी होगा. इस सौगात से बस्तरवासी काफी खुश हैं.
- छुई खदान हादसे में हुई 6 लोगों की मौत: साल के आखिरी के चंद महीने में बस्तर में दर्दनाक हादसा हुआ. यहां छुई खदान में दबने से 6 लोगों की मौत हो गई. मुरुम खुदाई के दौरान यह हादसा हुआ जिसमें 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई. इस हादसे से बस्तर में मातम पसर गया.
- बड़े भाई ने किया परिवार पर कुल्हाड़ी से हमला: बस्तर जिले के आरापुर में पारिवारिक विवाद को लेकर 4 और 5 जून की रात खूनीखेल खेलते हुए बड़े भाई ने परिवार पर कुल्हाड़ी से हमला किया. इस हमलें में मौके पर ही उनके माता की मौत हो गई. वहीं 2 गंभीर रूप घायल हो गए. हमले के बाद खुद बड़े भाई ने जहर खाकर आत्महत्या कर लिया था. इस हमले के बाद आरापुर गांव में मातम सा छा गया था.
- बस्तर के 7 वर्षीय छात्र ने बताया गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड: हमेशा ही शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक 7 साल के छात्र ने अपने हुनर से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. 7 साल के बच्चे ने रूबिक क्यूब पजल सॉल्व करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. इस कारनामे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी मान्यता देते हुए दर्ज किया. छात्र को इसका मेडल और सर्टिफिकेट भी दिया गया. जगदलपुर शहर के रहने वाले तीसरी कक्षा के छात्र वैवश्वत जोशी ने दिन-रात इसी रूबिक क्यूब को खेलते खेलते 15 मिनट में इसे सॉल्व कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. शहर के निर्मल विद्यालय स्कूल में पढ़ने वाले वैवश्वत जोशी इंडोर गेम्स में ही काफी रुचि रखता था और लॉकडाउन के दौरान रूबिक क्यूब को अपना दोस्त बनाकर दिन रात इस क्यूब से खेलता रहता था. वैवश्वत के माता पिता ने बताया कि उनके बेटे की रूचि को देखते हुए उसे रूबिक क्यूब दिया गया. वह पहले पजल को एक शौकिया तौर पर इससे जुड़कर सॉल्व करता गया. बाद में इसे चेलेंज के रूप लेते हुए इसे सॉल्व करने की ठान ली. उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि 22 फरवरी को विश्वभर के जूनियर रूबिक क्यूब हल करने वालों की प्रतियोगिता गिनीज़ बुक के वेबसाइट पर होने वाली है. जिसके बाद उसके पिता ने इस स्पर्धा में वैवश्वत का नाम दर्ज करवाया. विश्वभर के करीब 250 प्लेयर के बीच ऑनलाइन मुकाबला शुरू हुआ. इन सभी को ऑनलाइन पजल दिखाया गया. इन्हें पजल सॉल्व करने 1 घंटे का समय दिया गया था, लेकिन वैवश्वत ने सिर्फ 15 मिनट में ही इसे सॉल्व कर रिकॉर्ड बना दिया. इतने कम समय में पजल सॉल्व करने का रिकॉर्ड बस्तर के 7 साल के छात्र ने बनाया.
- बस्तर पुलिस ने 11 नक्सल सप्लायर को किया गिरफ्तार: नक्सलियों के लिए विस्फोटक सामग्री की सप्लाई करते हुए 10 आरोपियों को बस्तर पुलिस ने गिरफ्तार किया. जिनके कब्जे से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री सहित बोलेरो वाहन व मोटरसाइकिल बरामद किया था. सभी आरोपी विस्फोटक सामग्री को बीजापुर क्षेत्र में खपाने की तैयारी कर रहे थे. कोड़ेनार थाना क्षेत्र में पुलिस ने यह कार्रवाई की.
- बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ को मिला पुरस्कार: 30 नवंबर 2022 को बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला. तेनजिंग नॉर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार 2021 के तहत नैना सिंह धाकड़ को लैंड एडवेंचर के लिए देश के राष्ट्पति द्रोपदी मुर्मू ने सम्मान दिया. 31 साल की नैना सिंह धाकड़ करीब 13 साल से पर्वतारोहण के क्षेत्र में नई नई ऊंचाइयां और रिकॉर्ड गढ़ रहीं हैं. नैना सिंह धाकड़ दस दिनों से भी कम समय में माउंट एवरेस्ट और माउंट लोहेत्से को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला है. साल 2021 के जून में 9 दिनों के अंदर नैना सिंह धाकड़ ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर 848.86 मीटर पर चढ़ाई की थी.
- बस्तर में नक्सल हमले में आई कमी: पूरे भारत में बस्तर नक्सलवाद के नाम से ही जाना जाता है. लेकिन इस वर्ष सुरक्षा बल के बढ़ते दबाव के चलते बस्तर में नक्सली बैकफुट पर हैं यही कारण है कि नक्सलियों के हमले में कमी देखने को मिली है. बस्तर आईजी सुंदर्राज पी ने बताया कि बीते वर्ष 2021 में बस्तर संभाग में कुल 18 जवानों की शहादत हुई थी. साथ ही कहा कि यह पहला मौका है जब बस्तर में लंबे समय के बाद नक्सली हिंसा के कारण शहादत हुए जवानों की संख्या में कमी आई है. इस वर्ष पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते बस्तर में केवल 3 जवान शहीद हुए हैं. इधर नक्सली PLGA सप्ताह और TCOC सप्ताह के दौरान बस्तर में बड़ी घटनाओं को अंजाम देते नजर आते हैं. लेकिन इस वर्ष अंदरूनी क्षेत्रों में तैनात सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते नक्सली बैकफुट पर हैं. वहीं वर्ष 2021-22 में 132 नक्सलियों की मौत हुई है. जिसे नक्सलियों ने खुद PLGA पुस्तिका में लिखकर खुद स्वीकार किया
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