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बस्तर पुलिस ने मनाया स्मृति दिवस, नक्सली हिंसा में शहीद जवानों की संख्या में आई कमी

बस्तर पुलिस ने शुक्रवार को पुलिस समृति दिवस मनाया. इस समारोह में बस्तर आईजी सुंदरराज पी, अंबकारी मंत्री कवासी लखमा और अन्य पुलिस अधिकारी शामिल थे. इस मौके पर अबकारी मंत्री ने कहा कि बस्तर में लंबे समय के बाद नक्सली हिंसा के कारण सहादत हुए जवानों की संख्या में कमी आई है. बीते वर्षों में 18 जवान बस्तर संभाग से शहीद हुए थे, लेकिन इस साल पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते बस्तर में केवल 3 जवान शहीद हुए हैं.

बस्तर पुलिस ने मनाया स्मृति दिवस
बस्तर पुलिस ने मनाया स्मृति दिवस
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Published : Oct 21, 2022, 6:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: प्राणों को न्यौछावर किए 261 पुलिस और अर्धसैनिक बल के अधिकारी और जवानों की याद में पूरे भारत देश में पुलिस स्मृति दिवस मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में बस्तर में भी सुरक्षा बल के जवानों ने 5 वी वाहिनी छत्तीसगढ़ बल परिसर में स्मृति दिवस मनाया गया और नम आंखों से शहीदों को स्मरण किया. इस दौरान प्रदेश के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी मौजूद थे, जिन्होंने शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ी गीत हमर पारा तुंहर पारा ने बेल्जियम में मचाई धूम

बता दें कि 63 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 को भारत और चीन की सीमा पर कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सीआरपीएफ के 10 अधिकारी और जवानों ने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. जिसके स्मरण में प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है.

बस्तर पुलिस का अग्रणी भूमिका: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि "छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद बस्तरवासियों की जानमाल की रक्षा करते हुए 22 वर्षों में 1282 से अधिक सुरक्षाबल के जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. इसी प्रकार 1841 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों का नक्सलियों ने हत्या कर दी. इन सब परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना बस्तर संभाग में सुरक्षाबल ने किया है. जवानों ने नक्सल गतिविधि में अंकुश लगाने और सरकार की त्रिवेणी कार्य योजना विश्वास, विकास और सुरक्षा के क्रियान्वयन करने में अग्रणी भूमिका रही है."

शहीद जवानों की संख्या में आई कमी: आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि " पुलिस स्मृति दिवस में शामिल होकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार से मिलकर उनके दुख में शामिल हुए. यह पहला मौका है जब बस्तर में लंबे समय के बाद नक्सली हिंसा के कारण सहादत हुए जवानों की संख्या में कमी आई है. बीते वर्षों में 18 जवान बस्तर संभाग से शहीद हुए थे, लेकिन इस साल पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते बस्तर में केवल 3 जवान शहीद हुए हैं. इन जवानों के साथ ही उनके परिवार में शांति की कामना कवासी लखमा ने की है. देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी स्तर की हो किसी भी फील्ड में काम करते हो वे सभी सुरक्षा बल के जवानों की वजह से ही सुरक्षित हैं. ऐसे जवानों को नमन है."

कवासी लखमा ने कहा कि "कांग्रेस की सरकार ने अब बस्तर की आठवीं पढ़े लिखे युवकों को पुलिस में भर्ती किया है. निश्चित रूप से आने वाले दिनों में इन जवानों का सहयोग पुलिस विभाग को मिलेगा और वे नक्सल गतिविधि में बढ़त हासिल करेंगे."

बस्तर: प्राणों को न्यौछावर किए 261 पुलिस और अर्धसैनिक बल के अधिकारी और जवानों की याद में पूरे भारत देश में पुलिस स्मृति दिवस मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में बस्तर में भी सुरक्षा बल के जवानों ने 5 वी वाहिनी छत्तीसगढ़ बल परिसर में स्मृति दिवस मनाया गया और नम आंखों से शहीदों को स्मरण किया. इस दौरान प्रदेश के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी मौजूद थे, जिन्होंने शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.

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बता दें कि 63 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 को भारत और चीन की सीमा पर कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सीआरपीएफ के 10 अधिकारी और जवानों ने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. जिसके स्मरण में प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है.

बस्तर पुलिस का अग्रणी भूमिका: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि "छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद बस्तरवासियों की जानमाल की रक्षा करते हुए 22 वर्षों में 1282 से अधिक सुरक्षाबल के जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. इसी प्रकार 1841 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों का नक्सलियों ने हत्या कर दी. इन सब परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना बस्तर संभाग में सुरक्षाबल ने किया है. जवानों ने नक्सल गतिविधि में अंकुश लगाने और सरकार की त्रिवेणी कार्य योजना विश्वास, विकास और सुरक्षा के क्रियान्वयन करने में अग्रणी भूमिका रही है."

शहीद जवानों की संख्या में आई कमी: आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि " पुलिस स्मृति दिवस में शामिल होकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार से मिलकर उनके दुख में शामिल हुए. यह पहला मौका है जब बस्तर में लंबे समय के बाद नक्सली हिंसा के कारण सहादत हुए जवानों की संख्या में कमी आई है. बीते वर्षों में 18 जवान बस्तर संभाग से शहीद हुए थे, लेकिन इस साल पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते बस्तर में केवल 3 जवान शहीद हुए हैं. इन जवानों के साथ ही उनके परिवार में शांति की कामना कवासी लखमा ने की है. देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी स्तर की हो किसी भी फील्ड में काम करते हो वे सभी सुरक्षा बल के जवानों की वजह से ही सुरक्षित हैं. ऐसे जवानों को नमन है."

कवासी लखमा ने कहा कि "कांग्रेस की सरकार ने अब बस्तर की आठवीं पढ़े लिखे युवकों को पुलिस में भर्ती किया है. निश्चित रूप से आने वाले दिनों में इन जवानों का सहयोग पुलिस विभाग को मिलेगा और वे नक्सल गतिविधि में बढ़त हासिल करेंगे."

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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