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बस्तर दशहरा 2021: धूमधाम से अदा की गई रथ परिक्रमा बाहर रैनी की रस्म

वहीं भारत के अन्य जगहों में मनाए जाने वाले रावण दहन के विपरीत बस्तर में दशहरे का हर्षोल्लास रथ उत्सव के रूप में नजर आता है. वहीं इस बार इस रस्म में राज्यपाल अनुसुइया उइके भी शामिल हुई और बस्तर राजकुमार और आदिवासियों के साथ नवाखानी खीर खाकर बस्तरवासियों को पर्व की बधाई दी.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021
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Published : Oct 16, 2021, 10:04 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra) की प्रसिद्ध रस्म रथ परिक्रमा का आज देर रात सम्पन्न हुई. रथ परिक्रमा की आखिरी रस्म बाहर रैनी के तहत माड़िया जाति के ग्रामीणों की ओर से परंपरा अनुसार 8 पहियों वाले रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट ले जाया जाता है. जिसके बाद राज परिवार की तरफ से रूठे ग्रामीणों को मनाकर और उनके साथ नवाखानी 'खीर' खाकर वापस राज महल परिसर में लाया जाता है. बस्तर में दशहरा विजयदशमी के एक दिन बाद इस रस्म को निभाया जाता है.

बस्तर दशहरा 2021

वहीं भारत के अन्य जगहों में मनाए जाने वाले रावण दहन के उलट बस्तर में दशहरे का हर्षोल्लास रथ उत्सव के रूप में नजर आता है. वहीं इस बार इस रस्म में राज्यपाल अनुसुइया उइके भी शामिल हुई और बस्तर राजकुमार और आदिवासियों के साथ नवाखानी खीर खाकर बस्तरवासियों को पर्व की बधाई दी.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

बस्तर राजकुमार कमल चंद भंजदेव (Bastar Prince Kamal Chand Bhanjdev) के अनुसार प्राचीन काल में बस्तर को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था जो कि रावण की बहन सूर्पनखा नगरी थी. जिस वजह से बस्तर में रावण दहन की प्रथा प्रचलित नहीं है. बस्तर के राजा पुरुषोत्तम देव रथपति की उपाधि ग्रहण करने के बाद बस्तर में दशहरे के अवसर पर रथ परिक्रमा की प्रथा आरंभ की गई जो कि आज तक अनवरत चली आ रही है. 10 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व के 11 वें दिन आज बाहर रैनी की रस्म पूरी की गई. जिसमें परंपरा अनुसार माड़िया जाति के ग्रामीण शहर के सिरहासार चौक से रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट ले जाते हैं. इस दौरान बस्तर राजा ग्रामीणों के साथ नवाखानी खीर खाते हैं.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

जिसके बाद राज परिवार की ओर से रूठे ग्रामीणों को मनाकर रथ को वापस शहर दंतेश्वरी मंदिर परिसर (Danteshwari Temple Complex) में लाया जाता है. रथ को इस तरह कुम्हड़ाकोट से दंतेश्वरी मंदिर के परिसर में लाने की परम्परा को ही बाहर रैनी रस्म कहलाता है. जिसके बाद इस विश्व प्रसिद्ध रथ परिक्रमा की रस्म का समापन होता है. विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के रथ परिक्रमा के आखिरी रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. दूर दराज से पहुंचे आंगा देव और अन्य देवी देवताओं की डोली इस रस्म अदायगी में कुम्हड़ाकोट पहुंचती है और जहां से सभी नवाखानी खीर खाकर रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर परिसर में पहुंचाते हैं.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

वहीं राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बस्तर दशहरा को करीब से देखने अपने तीन दिवसीय प्रवास पर पहुंची हुई है. राज्यपाल ने कहा कि बस्तर दशहरा के विषय में बहुत पहले से वे सुनती आ रही हैं. लेकिन पहली बार बस्तर दशहरा को करीब से देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पर्व में देवी-देवताओं के प्रति इतनी भक्ति इतनी श्रद्धा देखकर आश्चर्य हो रहा है कि 700 साल पुरानी परंपरा बस्तर में अब तक चली आ रही है और पूरे आदिवासी समाज और अन्य समाज के लोग आज भी इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि विश्व में प्रसिद्ध दशहरा पर्व और खासकर बाहर रैनी रस्म को देखने का उन्हें सौभाग्य मिला और वे इन रस्मो को देखकर काफी खुश हैं. वहीं उन्होंने बस्तर वासियों को इस बस्तर दशहरा पर्व की बधाई भी दी.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

जगदलपुर: बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra) की प्रसिद्ध रस्म रथ परिक्रमा का आज देर रात सम्पन्न हुई. रथ परिक्रमा की आखिरी रस्म बाहर रैनी के तहत माड़िया जाति के ग्रामीणों की ओर से परंपरा अनुसार 8 पहियों वाले रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट ले जाया जाता है. जिसके बाद राज परिवार की तरफ से रूठे ग्रामीणों को मनाकर और उनके साथ नवाखानी 'खीर' खाकर वापस राज महल परिसर में लाया जाता है. बस्तर में दशहरा विजयदशमी के एक दिन बाद इस रस्म को निभाया जाता है.

बस्तर दशहरा 2021

वहीं भारत के अन्य जगहों में मनाए जाने वाले रावण दहन के उलट बस्तर में दशहरे का हर्षोल्लास रथ उत्सव के रूप में नजर आता है. वहीं इस बार इस रस्म में राज्यपाल अनुसुइया उइके भी शामिल हुई और बस्तर राजकुमार और आदिवासियों के साथ नवाखानी खीर खाकर बस्तरवासियों को पर्व की बधाई दी.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

बस्तर राजकुमार कमल चंद भंजदेव (Bastar Prince Kamal Chand Bhanjdev) के अनुसार प्राचीन काल में बस्तर को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था जो कि रावण की बहन सूर्पनखा नगरी थी. जिस वजह से बस्तर में रावण दहन की प्रथा प्रचलित नहीं है. बस्तर के राजा पुरुषोत्तम देव रथपति की उपाधि ग्रहण करने के बाद बस्तर में दशहरे के अवसर पर रथ परिक्रमा की प्रथा आरंभ की गई जो कि आज तक अनवरत चली आ रही है. 10 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व के 11 वें दिन आज बाहर रैनी की रस्म पूरी की गई. जिसमें परंपरा अनुसार माड़िया जाति के ग्रामीण शहर के सिरहासार चौक से रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट ले जाते हैं. इस दौरान बस्तर राजा ग्रामीणों के साथ नवाखानी खीर खाते हैं.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

जिसके बाद राज परिवार की ओर से रूठे ग्रामीणों को मनाकर रथ को वापस शहर दंतेश्वरी मंदिर परिसर (Danteshwari Temple Complex) में लाया जाता है. रथ को इस तरह कुम्हड़ाकोट से दंतेश्वरी मंदिर के परिसर में लाने की परम्परा को ही बाहर रैनी रस्म कहलाता है. जिसके बाद इस विश्व प्रसिद्ध रथ परिक्रमा की रस्म का समापन होता है. विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के रथ परिक्रमा के आखिरी रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. दूर दराज से पहुंचे आंगा देव और अन्य देवी देवताओं की डोली इस रस्म अदायगी में कुम्हड़ाकोट पहुंचती है और जहां से सभी नवाखानी खीर खाकर रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर परिसर में पहुंचाते हैं.

Bastar Dussehra 2021
बस्तर दशहरा 2021

वहीं राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बस्तर दशहरा को करीब से देखने अपने तीन दिवसीय प्रवास पर पहुंची हुई है. राज्यपाल ने कहा कि बस्तर दशहरा के विषय में बहुत पहले से वे सुनती आ रही हैं. लेकिन पहली बार बस्तर दशहरा को करीब से देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पर्व में देवी-देवताओं के प्रति इतनी भक्ति इतनी श्रद्धा देखकर आश्चर्य हो रहा है कि 700 साल पुरानी परंपरा बस्तर में अब तक चली आ रही है और पूरे आदिवासी समाज और अन्य समाज के लोग आज भी इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि विश्व में प्रसिद्ध दशहरा पर्व और खासकर बाहर रैनी रस्म को देखने का उन्हें सौभाग्य मिला और वे इन रस्मो को देखकर काफी खुश हैं. वहीं उन्होंने बस्तर वासियों को इस बस्तर दशहरा पर्व की बधाई भी दी.

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Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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