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बस्तर: झीरम हमले के 7 साल बाद भी ना स्मारक बना न मिला न्याय

बस्तर की झीरम घाटी,जहां 7 साल पहले, 25 मई 2013 को नक्सलियों ने सबसे बड़ा नरसंहार किया था. कांग्रेस के बड़े नेता एकजुट होकर परिवर्तन यात्रा में शामिल हुए थे. यात्रा के दौरान दरभा घाटी के झीरम इलाके में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाया. घटना की जांच अब तक पूरी नही हुई है.

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झीरम हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि
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Published : May 25, 2020, 8:16 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के शहीदों को जगदलपुर के कांग्रेस भवन में कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी है. बता दें इस हमले में तात्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता शहीद हुए थे. छत्तीसगढ़ में 25 मई को झीरम श्रद्धांजलि दिवस मनाया गया.नक्सलियों ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था.

झीरम हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि के दौरान बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री अरविंद नेताम, बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन, जगदलपुर के महापौर और कांग्रेस जिला अध्यक्ष समेत कई कांग्रेस के कार्यकर्ता मौजूद थे.

25 मई 2013 का वो दिन छत्तीसगढ़ के इतिहास में काले दिनों में से एक है. घटना दरभा के झीरम घाटी में हुई थी. नक्सलियों ने क्रूरता से कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान हमला कर कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता समेत पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. इस घटना में शहीद हुए सभी लोगों को पिछले 7 सालों से श्रद्धांजलि तो दी जा रही है. लेकिन 7 साल बीतने के बावजूद हमले की जांच पूरी नहीं हो सकी है. सभी शहीदों के परिवार को आज भी न्याय का इंतजार है.

कांग्रेस को बड़ा झटका

इस घटना ने एक तरह से तत्कालीन छत्तीसगढ़ के कांग्रेस की कमर तोड़ दी थी. इस घटना के बाद कांग्रेस में काफी बिखराव भी देखने को मिला. कांग्रेस इस दौर में चुनाव भी हार गई. तात्कालीन बीजेपी सरकार ने घटना के जांच के आदेश दिए, NIA ने घटना की जांच की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

पढ़ें: झीरम हमला: अंतहीन दर्द के सात साल, प्रदेश दे रहा शहीदों को श्रद्धांजलि

सरकार बदली फिर भी जांच है अधूरी

2018 में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस सरकार बनते ही राज्य सरकार ने झीरम हमले की जांच के लिए SIT का गठन किया. लेकिन भूपेश सरकार ने केंद्र पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि NIA राज्य की जांच कमेटी SIT का सहयोग नहीं कर रही है. केस से संबंधित जानकारी साझा नहीं कर रही है. और छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नक्सली हमले का राजनीतिकरण घटना के बाद से ही जो शुरू हुआ था वो अब भी चल रहा है. SIT जांच के दौरान कुछ नक्सलियों के नाम सामने आए लेकिन हमले के कारण,साजिश और ऐसी बहुत से पहलू बस्तर में ही दफन हैं. इस घटना की सच्चाई क्या है. इससे पर्दा कब उठेगा इस बात का इंतजार तो सबको है. लगातार कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई भी जारी है. NIA और SIT की जांच पूरी नहीं हो पाई है. वहीं घटना के 7 साल बीत गए हैं. लेकिन पूरे षणयंत्र का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है.

कांग्रेस के वादे भी अधूरे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि घटनास्थल में शहीदों के सम्मान के लिए स्मारक बनाए जाएंगे. लेकिन अब तक कोई स्मारक नहीं बन सका है. लोगों को इसका भी इंतजार है कि कब कांग्रेस अपना वादा पूरा करेगी.

जगदलपुर: 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के शहीदों को जगदलपुर के कांग्रेस भवन में कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी है. बता दें इस हमले में तात्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता शहीद हुए थे. छत्तीसगढ़ में 25 मई को झीरम श्रद्धांजलि दिवस मनाया गया.नक्सलियों ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था.

झीरम हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि के दौरान बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री अरविंद नेताम, बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन, जगदलपुर के महापौर और कांग्रेस जिला अध्यक्ष समेत कई कांग्रेस के कार्यकर्ता मौजूद थे.

25 मई 2013 का वो दिन छत्तीसगढ़ के इतिहास में काले दिनों में से एक है. घटना दरभा के झीरम घाटी में हुई थी. नक्सलियों ने क्रूरता से कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान हमला कर कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता समेत पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. इस घटना में शहीद हुए सभी लोगों को पिछले 7 सालों से श्रद्धांजलि तो दी जा रही है. लेकिन 7 साल बीतने के बावजूद हमले की जांच पूरी नहीं हो सकी है. सभी शहीदों के परिवार को आज भी न्याय का इंतजार है.

कांग्रेस को बड़ा झटका

इस घटना ने एक तरह से तत्कालीन छत्तीसगढ़ के कांग्रेस की कमर तोड़ दी थी. इस घटना के बाद कांग्रेस में काफी बिखराव भी देखने को मिला. कांग्रेस इस दौर में चुनाव भी हार गई. तात्कालीन बीजेपी सरकार ने घटना के जांच के आदेश दिए, NIA ने घटना की जांच की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

पढ़ें: झीरम हमला: अंतहीन दर्द के सात साल, प्रदेश दे रहा शहीदों को श्रद्धांजलि

सरकार बदली फिर भी जांच है अधूरी

2018 में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस सरकार बनते ही राज्य सरकार ने झीरम हमले की जांच के लिए SIT का गठन किया. लेकिन भूपेश सरकार ने केंद्र पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि NIA राज्य की जांच कमेटी SIT का सहयोग नहीं कर रही है. केस से संबंधित जानकारी साझा नहीं कर रही है. और छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नक्सली हमले का राजनीतिकरण घटना के बाद से ही जो शुरू हुआ था वो अब भी चल रहा है. SIT जांच के दौरान कुछ नक्सलियों के नाम सामने आए लेकिन हमले के कारण,साजिश और ऐसी बहुत से पहलू बस्तर में ही दफन हैं. इस घटना की सच्चाई क्या है. इससे पर्दा कब उठेगा इस बात का इंतजार तो सबको है. लगातार कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई भी जारी है. NIA और SIT की जांच पूरी नहीं हो पाई है. वहीं घटना के 7 साल बीत गए हैं. लेकिन पूरे षणयंत्र का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है.

कांग्रेस के वादे भी अधूरे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि घटनास्थल में शहीदों के सम्मान के लिए स्मारक बनाए जाएंगे. लेकिन अब तक कोई स्मारक नहीं बन सका है. लोगों को इसका भी इंतजार है कि कब कांग्रेस अपना वादा पूरा करेगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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