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आदिवासी नृत्य के 20 नर्तक दलों ने बादल संस्था में दी प्रस्तुति

जगदलपुर में आदिवासी नृत्य के 20 नर्तक दलों ने बादल संस्था में प्रस्तुति दी. तीन प्रतिभागी दल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival) में शामिल होंगे.

आदिवासी नृत्य
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Published : Oct 20, 2021, 10:30 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर की कला संस्कृति को बचाने के लिए लगातार जिला प्रशासन द्वारा कार्य किया जा रहा है. आसना ग्राम में बने बादल एकडेमी (Badal Academy) के माध्यम से एक तरफ जहां आदिवासी कलाकारों (Tribal Artists) को अपनी छिपी हुई कला को उभारने स्थान दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में मशहूर आदिवासी नृत्यों को आज इस संस्था के माध्यम से मंच प्रदान किया गया है. जहां बस्तर संभाग के 7 जिलों से पहुंचे लगभग 20 आदिवासी नर्तक दलों ने अपनी प्रस्तुति दी. नर्तक दल में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान आने वाले दलों को राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival) के मौके पर राजधानी रायपुर में प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा. इधर इस प्रतियोगिता में शामिल होने आए बस्तर के अंदरूनी इलाकों से ऐसे भी नर्तक दल पहुंचे थे जो मंच मिलने के अभाव में नृत्य छोड़ दिए थे और पूरी तरह से नृत्य विलुप्त के कगार पर पहुंच गया था.

आदिवासी नृत्य के 20 नर्तक दलों ने बादल संस्था में दी प्रस्तुति
यह भी पढ़ें: लाल आतंक को झटका: सुकमा में 43 नक्सलियों ने किया सरेंडर


आदिवासियों ने दी नृत्यों की प्रस्तुति

बस्तर आदिवासी विभाग द्वारा आयोजित संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में बस्तर के सभी आदिवासियों नृत्यों की प्रस्तुति दी गई. बकायदा बस्तर के मशहूर आदिवासी कलाकारों ने निर्णायक की भूमिका निभाई. संभाग के सातों जिलों से 20 नर्तक दल इस प्रतियोगिता में शामिल हुए.

बादल संस्था ने दिया मौका

दंतेवाड़ा जिले से पहुंचे ध्रुवा मंडई नाचा के कलाकारों ने बताया कि मंच नहीं मिलने के अभाव में उनकी यह नृत्य पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन बादल संस्था के माध्यम से उन्हें मंच मिला और अब राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें अपनी प्रस्तुति देने का मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस नृत्य में पूरी तरह से प्राकृतिक वेशभूषा को शामिल किया है और खासतौर पर नृत्य स्वंत्रता संग्राम सेनानी शहीद गुंडाधुर पर आधारित है.

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव शामिल होंगे आदिवासी

आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त विवेक दलेला ने बताया कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों से नर्तक दलों को बुलाया गया है जो काफी सालों तक अपने पारंपरिक नृत्य को पूरी तरह से छोड़ चुके थे. इसे ध्यान में रखते हुए इस प्रतियोगिता के माध्यम से ऐसे नर्तक दलों को बुलाया गया और बकायदा सभी ने अपनी प्रस्तुति दी.

आयुक्त ने बताया कि अब यहां से निर्णायकों के द्वारा प्रथम, द्वितीय और तृतीय का चयन करने के बाद इन नर्तक दलों को राजधानी रायपुर भेजा जाएगा और जिनके द्वारा 28 ,29 और 30 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा.

जगदलपुर: बस्तर की कला संस्कृति को बचाने के लिए लगातार जिला प्रशासन द्वारा कार्य किया जा रहा है. आसना ग्राम में बने बादल एकडेमी (Badal Academy) के माध्यम से एक तरफ जहां आदिवासी कलाकारों (Tribal Artists) को अपनी छिपी हुई कला को उभारने स्थान दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में मशहूर आदिवासी नृत्यों को आज इस संस्था के माध्यम से मंच प्रदान किया गया है. जहां बस्तर संभाग के 7 जिलों से पहुंचे लगभग 20 आदिवासी नर्तक दलों ने अपनी प्रस्तुति दी. नर्तक दल में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान आने वाले दलों को राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival) के मौके पर राजधानी रायपुर में प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा. इधर इस प्रतियोगिता में शामिल होने आए बस्तर के अंदरूनी इलाकों से ऐसे भी नर्तक दल पहुंचे थे जो मंच मिलने के अभाव में नृत्य छोड़ दिए थे और पूरी तरह से नृत्य विलुप्त के कगार पर पहुंच गया था.

आदिवासी नृत्य के 20 नर्तक दलों ने बादल संस्था में दी प्रस्तुति
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आदिवासियों ने दी नृत्यों की प्रस्तुति

बस्तर आदिवासी विभाग द्वारा आयोजित संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में बस्तर के सभी आदिवासियों नृत्यों की प्रस्तुति दी गई. बकायदा बस्तर के मशहूर आदिवासी कलाकारों ने निर्णायक की भूमिका निभाई. संभाग के सातों जिलों से 20 नर्तक दल इस प्रतियोगिता में शामिल हुए.

बादल संस्था ने दिया मौका

दंतेवाड़ा जिले से पहुंचे ध्रुवा मंडई नाचा के कलाकारों ने बताया कि मंच नहीं मिलने के अभाव में उनकी यह नृत्य पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन बादल संस्था के माध्यम से उन्हें मंच मिला और अब राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें अपनी प्रस्तुति देने का मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस नृत्य में पूरी तरह से प्राकृतिक वेशभूषा को शामिल किया है और खासतौर पर नृत्य स्वंत्रता संग्राम सेनानी शहीद गुंडाधुर पर आधारित है.

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव शामिल होंगे आदिवासी

आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त विवेक दलेला ने बताया कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों से नर्तक दलों को बुलाया गया है जो काफी सालों तक अपने पारंपरिक नृत्य को पूरी तरह से छोड़ चुके थे. इसे ध्यान में रखते हुए इस प्रतियोगिता के माध्यम से ऐसे नर्तक दलों को बुलाया गया और बकायदा सभी ने अपनी प्रस्तुति दी.

आयुक्त ने बताया कि अब यहां से निर्णायकों के द्वारा प्रथम, द्वितीय और तृतीय का चयन करने के बाद इन नर्तक दलों को राजधानी रायपुर भेजा जाएगा और जिनके द्वारा 28 ,29 और 30 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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