गौरेला पेंड्रा मरवाही : कुदरत अपने अंदर कई तरह की अनोखी चीजों को समेटे हुए हैं.इंसानों के अलावा भी इस दुनिया में ऐसी कई जीव जंतु हैं जिन्हें देखकर हमारी आंखों को भरोसा नहीं होता.सांपों की दुनिया भी काफी बड़ी है. ज्यादातर लोग सिर्फ जहरीले और काले सांपों को ही अपने जीवन में देखते हैं.लेकिन कुछ सांप ऐसे होते हैं,जिन्हें छलावा करने में महारथ हासिल है. ये सांप दिखने में जितने सुंदर होते हैं.उतने ही खतरनाक भी.लेकिन शायद ही कभी इनका सामना आम इंसानों से होता है.क्योंकि अपने आवरण के कारण ये आसानी से कुदरती चीजों से घुल मिल जाते हैं.ऐसा ही एक सांप का रेस्क्यू पिछले दिनों गौरेला पेंड्रा मरवाही में किया गया.
बंबू पिट वाइपर स्नेक का रेस्क्यू : पेंड्रा के बचरवार गांव में राठौर परिवार के घर में एक अनोखी चीज देखी गई. ये चीज था एक हरे रंग का सांप.ज्यादातर सांप काले या भूरे रंग के होते हैं.लेकिन ये सांप काफी अजीब था.लिहाजा राठौर परिवार ने बिना देरी किए स्नेक कैचर को मौके पर बुलाया. स्नेक कैचर को जब इस बात की जानकारी मिली कि कहीं हरे रंग का सांप है तो बिना देरी किए वो मौके पर पहुंचे.जहां आकर द्वारिका कोल ने इस सांप को रेस्क्यू किया. सांप को रेस्क्यू करने के बाद द्वारिका कोल ने बताया कि जिस सांप को उन्होंने पकड़ा है.वो दुर्लभ प्रजाति का बंबू पिट वाइपर स्नेक है.
स्नेक कैचर ने सांप को जंगल में छोड़ा : द्वारिका कोल के स्नेक को रेस्क्यू करने का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है. इस बारे में जब द्वारिका कोल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पेंड्रा के बचरवार गांव के नवापारा इलाके में राठौर परिवार रहता है.जिनके घर में ये हरे रंग का सांप निकला. घर वालों ने तत्काल स्नेक कैचर से संपर्क किया. द्वारिका कोल के मुताबिक सुरक्षित रेस्क्यू करके सांप को डिब्बे में बंद कर पेंड्रा से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक जंगल में ले जाकर छोड़ा गया. द्वारिका कोल के मुताबिक यह दुर्लभ प्रजाति के सांप बंम्बू पिट वाइपर है. जिसे स्थानीय भाषा मे सुवा पंखी सांप कहा जाता है.
बंबू पिट वाइपर का जहर कितना खतरनाक ? बंबू पिट वाइपर का जहर साइटोटोक्सिक और हेमोटॉक्सिक दोनों ही है. ये कोशिकाओं के ऊतक को क्षति पहुंचाता है.जिसके कारण रक्त के जमने की क्षमता में कमी होती है. इसका काटना बेहद दर्दनाक हो सकता है. मनुष्यों में सूजन पैदा कर सकता है.अधिक मात्रा में जहर शरीर में प्रवेश करने पर ही जान जाती है.