गौरेला पेंड्रा मरवाही: किसान कहने को तो अन्नदाता कहलाता है, परंतु अन्नदाता की जो दुर्दशा हो रही है, उसकी एक बानगी देखनी हो तो पेंड्रा के कृषि उपज मंडी के बाहर आ जाइए. किसान अपने धान बेचने के लिए टोकन कटाने रातभर ठंड में कतार लगाकर अपनी बारी का इंतेजार कर रहे हैं. पेंड्रा कृषि उपज मंडी के बाहर इकट्ठे यह किसान ठंड से बचने के लिए कंबल और अलाव का सहारा लेकर सुबह होने का इंतजार कर रहे हैं.
क्यों टोकन के लिए परेशान हो रहे किसान: धान को समर्थन मूल्य में बेचने के लिए किसान को पहले टोकन कटाना होता है. उसके बाद धान बिक्री की तिथि मिलने के बाद ही वह अपने धान को खरीदी केंद्र लेकर बेचने आता है. हालांकि शासन ने टोकन काटने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की है, लेकिन सरकार द्वारा प्रतिदिन केवल 2200 क्विंटल ही धान खरीदने की व्यवस्था दी है. जिसमें 40 फीसदी यानी 880 क्विंटल के लिए ही ऑनलाइन टोकन काटने की व्यवस्था है. बाकी 1320 क्विंटल धान के लिए काउंटर पर आकर किसान टोकन कटा सकता है. इसी 1320 क्विंटल धान का टोकन लेने के लिए किसान रात भर कतार में लगे रहने को मजबूर हैं.
प्रतिदिन खरीदी की लिमिट से बढ़ी परेशानी: किसानों ने समस्याओं को लेकर धान खरीदी केंद्र प्रभारी से भी बातचीत की है. अधिकारियों के सामने किसानों ने अपनी समस्या रखी है. मामले को लेकर खरीदी केंद्र प्रभारी मान सिंह राठौर ने कहा, "पहले की सरकार में टोकन वेटिंग 15 दिन तक काटा जा सकता था, जबकि वर्तमान सरकार ने प्रतिदिन ही टोकन काटने की अनुमति दी है. जिसकी वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है."
खरीदी केंद्र के बाहर रतजगा करने को मजबूर: किसानों को हो रही टोकन की परेशानी में दो मुख्य समस्या देखी जा रही है. पहला तो सभी किसान पढ़े लिखे नहीं है, जो ऑनलाइन टोकन कटा सकें. दूसरी समस्या यह है कि काउंटर में 1320 क्विंटल धान पर छोटे किसान लाइन में हों और इस बीच यदि कोई दो-तीन बड़े किसान आ गए. ऐसे में खरीदी का कोटा फुल हो जाता है. जिसके चलते छोटे किसानों को फिर अगले दिन रतजगा कर टोकन के लिए लाइन में लगना पड़ता है. कई बार तो उनका नंबर दो-तीन दिन तक नहीं आता. ऐसे में पहले आओ पहले पाओ के चक्कर में किसान रात भर खरीदी केंद्र के बाहर रतजगा करने को मजबूर हैं.