गरियाबंद: उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के 17 गांव के हजारों मजदूर, किसान और ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने विकास की मांग को लेकर जिला मुख्यालय में स्थित उदंती सीतानादी टाइगर प्रोजेक्ट कार्यालय के समक्ष धरना देते हुए सड़कों पर बैठकर कार्यालय का घेराव किया. जिसके बाद अधिकारियों ने ग्रामीणों से चर्चा की.
ग्रामीणों का कहना था कि लगातार उन्हें मौखिक आश्वासन दिया जा रहा है. जो भी कहना है वो लिखित रूप में दिया जाए. ताकि बाद में न्यायालय से मामले में मदद ली जा सके. अधिकारियों ने लिखित में कुछ भी न देने की बात कही. उच्च कार्यालय को अवगत कराने की बात कही है. हालाकि ग्रामीणों ने लिखित जवाब देखने के बाद धरना प्रदर्शन समाप्त किया गया है.
नियमों में फंसा है पेच
ग्रामीणों ने अपने आवेदन में कहा है. वन अधिकार कानून के तहत सामुदायिक वन संसाधन के दावा प्रक्रिया करने उदंती कोर एरिया में वन विभाग नियमों का पालन नहीं कर हा है. वन अधिकार कानून में टाइगर रिजर्व राष्ट्रीय वन उद्यान, अभ्यारण्य में सभी जगह ग्रामसभा को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार देने का प्रावधान है. लेकिन अभ्यारण्य क्षेत्र के कोर एरिया में वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत निवासरत परंपरागत आदिवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों को उसके वास्तविक अधिकार दिलाने शासन-प्रशासन आश्वासन दे रहा है. लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा रहा है.
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ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के लोगों को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है. यहां निवासरत लोगों को अबतक किसी प्रकार का समुदायिक वन अधिकार, समुदायिक वन संसाधन अधिकार के संबंध में लाभ नहीं दिया जा रहा है.
लिखित में जवाब देख कर माने आदिवासी
अधिकारियों ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व घोषित हो जाने के कारण क्रिटिकल वाइल्डलाइफ है. इसे हैबिटैट की श्रेणी में लाया जाना है.