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आसमान से बरस रही थी बूंदें, अपने हक के लिए जमीन पर आवाज उठा रहे थे आदिवासी

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Published : Oct 19, 2019, 12:04 AM IST

Updated : Oct 19, 2019, 12:47 PM IST

आसमान से बरस रही बूंदें और सड़कों पर उमड़ा था जनसैलाब. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में केंद्र सरकार की ओर से पेसा कानून में किए गए बदलाव से नाराज आदिवासी करीब 100 किलोमीटर का सफर कर एक हजार के अधिक की संख्या में आदिवासी रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे.

आदिवासियों ने रैली निकाली

गरियाबांद: पेसा कानून में केंद्र सरकार की ओर से किए गए संशोधन का विरोध करते हुए आदिवासियों ने रैली निकाली. इस दौरान प्रशासन ने आदिवासियों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टर से मुलाकात करने की अनुमति दी.

एक ओर जहां आदिवासियों के प्रतिनिधि कलेक्ट्रेट के भीतर जिलाधिकारी के सामने अपनी बात रख रहे थे, वहीं दूसरी ओर रैली में बाकी आदिवासी मूसलाधार बारिश में भींगते हुए उनका इंतजार कर रहे थे.

आदिवासियों ने रैली निकाली

पुलिस के साथ झूमाझटकी

कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद आदिवासियों ने वन मंडल कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान कार्यालय के बाहर आदिवासियों और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी देखने को मिली. बता दें कि सुरक्षा के मद्देनजर वन मंडल कार्यलाय के बाहर बेरिकेड्स लगाए गए थे, ताकि प्रदर्शनकारी अंदर न जा सकें. इस दौरान वन विभाग के अफसरों ने आदिवासियों के प्रतिनिधियों से बेरिकेड्स के आमने सामने खड़े होकर बातचीत की.

साल 1927 में बनाए गए कानून में संशोधन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट का आदिवासी पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा वन विभाग की ओर से वन अधिकार पत्र में देरी और आदिवासी किसानों को हो रही तकलीफ को लेकर आदिवासियों में नाराजगी है.

पढ़े:रंग ला रही है ETV भारत की अपील: कुम्हारों के लिए छग में जो हो रहा है, वो हर जगह होना चाहिए

इस दौरान आदिवासियों ने किसान के खेत पर कब्जा बताकर फसल पर सर्व नाशक दवाई छिड़ककर पूरी तरह बर्बाद करने का आरोप लगाया. आदिवासियों का कहना है कि वो अपने अधिकारों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. कुल मिलाकर बारिश के बीच आदिवासियों का यह शक्ति प्रदर्शन खूब चर्चा में रहा. अब देखना यह है कि आदिवासियों की सरकार कब आदिवासियों की आवाज सुनेगी और कब उनकी मांगे पूरी होंगी.

गरियाबांद: पेसा कानून में केंद्र सरकार की ओर से किए गए संशोधन का विरोध करते हुए आदिवासियों ने रैली निकाली. इस दौरान प्रशासन ने आदिवासियों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टर से मुलाकात करने की अनुमति दी.

एक ओर जहां आदिवासियों के प्रतिनिधि कलेक्ट्रेट के भीतर जिलाधिकारी के सामने अपनी बात रख रहे थे, वहीं दूसरी ओर रैली में बाकी आदिवासी मूसलाधार बारिश में भींगते हुए उनका इंतजार कर रहे थे.

आदिवासियों ने रैली निकाली

पुलिस के साथ झूमाझटकी

कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद आदिवासियों ने वन मंडल कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान कार्यालय के बाहर आदिवासियों और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी देखने को मिली. बता दें कि सुरक्षा के मद्देनजर वन मंडल कार्यलाय के बाहर बेरिकेड्स लगाए गए थे, ताकि प्रदर्शनकारी अंदर न जा सकें. इस दौरान वन विभाग के अफसरों ने आदिवासियों के प्रतिनिधियों से बेरिकेड्स के आमने सामने खड़े होकर बातचीत की.

साल 1927 में बनाए गए कानून में संशोधन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट का आदिवासी पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा वन विभाग की ओर से वन अधिकार पत्र में देरी और आदिवासी किसानों को हो रही तकलीफ को लेकर आदिवासियों में नाराजगी है.

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इस दौरान आदिवासियों ने किसान के खेत पर कब्जा बताकर फसल पर सर्व नाशक दवाई छिड़ककर पूरी तरह बर्बाद करने का आरोप लगाया. आदिवासियों का कहना है कि वो अपने अधिकारों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. कुल मिलाकर बारिश के बीच आदिवासियों का यह शक्ति प्रदर्शन खूब चर्चा में रहा. अब देखना यह है कि आदिवासियों की सरकार कब आदिवासियों की आवाज सुनेगी और कब उनकी मांगे पूरी होंगी.

Intro:गरियाबन्द--मूसलाधार बारिश भी आदिवासियों का हौसला नहीं डिगा पाई 100 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद हजार से अधिक आदिवासी जब अपने परंपरागत हथियार तीर धनुष के साथ गरियाबंद पहुंचने को थे तो मूसलाधार बारिश होने लगीBody: 3 घंटे तक मूसलाधार बारिश के बीच आदिवासियों की सभा चली इसके बाद गरियाबंद नगर में रैली निकाली और तेज बारिश के बीच ही रैली पहले जिला कलेक्ट्रेट पहुंची जहां 10 आदिवासी तो अंदर कलेक्टर से मिलने को गए मगर बाकी आदिवासी बाहर तेज बारिश में भीगते रहे इसके बाद जहां एक और बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी तो वही आदिवासियों के जोश में भी रत्ती भर कमी नहीं आई वन मंडल कार्यालय पहुंचकर बरसते पानी के बीच आदिवासियों ने जमकर हल्ला बोला तेज नारों के बीच अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की आदिवासी हितों के लिए लड़ाई लड़ने की बात कही वन मंडल कार्यालय के दरवाजे पर आदिवासियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई आदिवासियों का यह उग्र रूप देखकर पुलिस भी सहम गई वन मंडल कार्यालय का गेट ऐसे लगाया गया ताकि आदिवासी और वन विभाग के आला अफसर दोनों को अलग रखा जा सके कहीं आदिवासी कार्यालय में प्रवेश कर कुछ करना दे इसीलिए लोहे के जालीदार दरवाजे के इस पार और उस पार से चर्चा हुई आदिवासियों ने 1927 में बनाए गए कानून में संशोधन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट का पुरजोर विरोध किया इसके अलावा वन विभाग द्वारा वन अधिकार पत्र में देरी तथा आदिवासी किसानों को हो रही तकलीफ हो को लेकर आदिवासियों ने खूब नाराजगी जताई इसके बाद एक किसान के खेत पर कब्जा बताकर फसल को सर्व नाशक दवाई छिटकर पूरी तरह बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए आदिवासी अपने अधिकारों के लिए पीछे नहीं हटने की बात कहने लगे Conclusion:कुल मिलाकर बारिश के बीच आदिवासियों का यह शक्ति प्रदर्शन खूब चर्चा में रहा और अधिकारी भी आदिवासियों को बरसते पानी में आंदोलन करते देखकर उनकी जिद की चर्चा करते रहे।

बाइट लोकेश्वरी नेताम आदिवासी नेता

बाइट मयंक अग्रवाल वन मंडल अधिकारी गरियाबंद
Last Updated : Oct 19, 2019, 12:47 PM IST
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