गरियाबंद : जिला रोजगार कार्यालय से रोजगार को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिले के पंजीकृत बेरोजगारों को कार्यालय ने प्राइवेट सेक्टर में 2 साल में महज 1 प्रतिशत लोगों को नौकरी दिलवाई है. वहीं सालाना यह आंकड़ा महज 5 प्रतिशत तक ही रहता है. खराब आंकड़ों से रोजगार कार्यालय के किए गए प्रयासों और आयोजित होने वाले रोजगार एवं शिविर पर सवाल उठ रहे हैं.
मामले में जिला रोजगार अधिकारी का कहना है कि 'गरियाबंद जिले के बेरोजगार केवल सरकारी नौकरी चाहते हैं. बाहर काम करने भेजे जाने पर वे तैयार नहीं होते, इस कारण आंकड़े इतने कम हैं'.
संतोषजनक नहीं है कार्यालय का प्रदर्शन
रोजगार कार्यालय में हर साल जितने बेरोजगार पंजीयन कराते हैं, उसके पांच प्रतिशत को भी नौकरी नहीं मिल पा रही है. सरकारी नौकरियां खुले विज्ञापन के माध्यम से आयोजित होने के कारण रोजगार कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से पहले ही बाहर हो चुकी है, जो निजी क्षेत्र की नौकरियां कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में है, उसमे में भी प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है.
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करोड़ों रुपए खर्च किए गए
पिछले कुछ साल में सरकार ने परंपरागत शिक्षा की बजाए आईटीआई समेत कई प्रकार के रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोर्स गरियाबंद जिले में प्रारंभ किए थे. हजारों की संख्या में युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षण देने के नाम पर इलेक्ट्रिशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्लंबर, मैकेनिक समेत कई प्रकार के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. बावजूद इसके युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.