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'बेरोजगार सिर्फ सरकारी नौकरी चाहते हैं, इसलिए नहीं मिल रहा रोजगार'

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Published : Aug 31, 2019, 2:51 PM IST

जिला रोजगार कार्यालय के आंकड़े के अनुसार 2 साल में सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों को नौकरी दे सका है विभाग.

2 साल में सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों को नौकरी दे सका है विभाग

गरियाबंद : जिला रोजगार कार्यालय से रोजगार को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिले के पंजीकृत बेरोजगारों को कार्यालय ने प्राइवेट सेक्टर में 2 साल में महज 1 प्रतिशत लोगों को नौकरी दिलवाई है. वहीं सालाना यह आंकड़ा महज 5 प्रतिशत तक ही रहता है. खराब आंकड़ों से रोजगार कार्यालय के किए गए प्रयासों और आयोजित होने वाले रोजगार एवं शिविर पर सवाल उठ रहे हैं.

जिला रोजगार कार्यालय से रोजगार को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं

मामले में जिला रोजगार अधिकारी का कहना है कि 'गरियाबंद जिले के बेरोजगार केवल सरकारी नौकरी चाहते हैं. बाहर काम करने भेजे जाने पर वे तैयार नहीं होते, इस कारण आंकड़े इतने कम हैं'.

संतोषजनक नहीं है कार्यालय का प्रदर्शन

रोजगार कार्यालय में हर साल जितने बेरोजगार पंजीयन कराते हैं, उसके पांच प्रतिशत को भी नौकरी नहीं मिल पा रही है. सरकारी नौकरियां खुले विज्ञापन के माध्यम से आयोजित होने के कारण रोजगार कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से पहले ही बाहर हो चुकी है, जो निजी क्षेत्र की नौकरियां कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में है, उसमे में भी प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है.

पढ़ें :शिक्षक भर्ती परीक्षा में गरियाबंद से 12 हजार परीक्षार्थी हुए शामिल

करोड़ों रुपए खर्च किए गए

पिछले कुछ साल में सरकार ने परंपरागत शिक्षा की बजाए आईटीआई समेत कई प्रकार के रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोर्स गरियाबंद जिले में प्रारंभ किए थे. हजारों की संख्या में युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षण देने के नाम पर इलेक्ट्रिशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्लंबर, मैकेनिक समेत कई प्रकार के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. बावजूद इसके युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

गरियाबंद : जिला रोजगार कार्यालय से रोजगार को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिले के पंजीकृत बेरोजगारों को कार्यालय ने प्राइवेट सेक्टर में 2 साल में महज 1 प्रतिशत लोगों को नौकरी दिलवाई है. वहीं सालाना यह आंकड़ा महज 5 प्रतिशत तक ही रहता है. खराब आंकड़ों से रोजगार कार्यालय के किए गए प्रयासों और आयोजित होने वाले रोजगार एवं शिविर पर सवाल उठ रहे हैं.

जिला रोजगार कार्यालय से रोजगार को लेकर परेशान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं

मामले में जिला रोजगार अधिकारी का कहना है कि 'गरियाबंद जिले के बेरोजगार केवल सरकारी नौकरी चाहते हैं. बाहर काम करने भेजे जाने पर वे तैयार नहीं होते, इस कारण आंकड़े इतने कम हैं'.

संतोषजनक नहीं है कार्यालय का प्रदर्शन

रोजगार कार्यालय में हर साल जितने बेरोजगार पंजीयन कराते हैं, उसके पांच प्रतिशत को भी नौकरी नहीं मिल पा रही है. सरकारी नौकरियां खुले विज्ञापन के माध्यम से आयोजित होने के कारण रोजगार कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से पहले ही बाहर हो चुकी है, जो निजी क्षेत्र की नौकरियां कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में है, उसमे में भी प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है.

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करोड़ों रुपए खर्च किए गए

पिछले कुछ साल में सरकार ने परंपरागत शिक्षा की बजाए आईटीआई समेत कई प्रकार के रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोर्स गरियाबंद जिले में प्रारंभ किए थे. हजारों की संख्या में युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षण देने के नाम पर इलेक्ट्रिशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्लंबर, मैकेनिक समेत कई प्रकार के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए. बावजूद इसके युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

Intro:पैकेज लायक स्टोरी है

जिला रोजगार कार्यालय से शर्मनाक आंकड़े निकलकर सामने आ रहे हैं जिले के पंजीकृत बेरोजगारों में से पिछले 2 साल में महज 1% बेरोजगारों को इस कार्यालय ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी दिलवाई है वही सालाना आंकड़ों को देखें तो यह आंकड़ा महज 5% ही रह पाता है इसके अलावा जिले में पंजीकरण नहीं कराने वाले बेरोजगारों की संख्या भी हजारों में है ऐसे में रोजगार कार्यालय द्वारा हर कुछ महीनों में आयोजित होने वाले रोजगार मिले एवं शिविर पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिले के बेरोजगारों को रोजगार मिल क्यों नहीं रहा इस पर जिला रोजगार अधिकारी गलती बेरोजगारों पर मढते नजर आ रहे हैं वे कहते हैं कि गरियाबंद जिले के बेरोजगार केवल सरकारी नौकरी ही चाहते हैं बाहर काम करने भेजने पर जाने को तैयार ही नहीं होते इस कारण आंकड़े इतने कम हैंBody:
गरियाबंद जिले का रोजगार कार्यालय बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में फिसड्डी साबित हो रहा है, रोजगार कार्यालय में हर साल जितने बेरोजगार पंजीयन कराते है उसका पांच प्रतिशत को भी नौकरी नही मिल पा रही है, सरकारी नौकरियां तो खुले विज्ञापन के माध्यम से होने के कारण रोजगार कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से पहले ही बाहर हो चुकी है, जो निजी क्षेत्र की नौकरियां रोजगार कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में है उनमें भी जिला रोजगार कार्यालय का प्रदर्शन संतोषजनक नही है, आंकडो की बात की जाये तो जिले के कुल 43068 बेरोजगारों ने जिला कार्यालय में रोजगार के लिए पंजीयन कराया है, जिसमें 2018-19 में 6479 युवाओ ने पंजीयन कराया और निजी क्षेत्र में रोजगार मिला सिर्फ 309 युवाओं को, इसी प्रकार चालू वर्ष में अबतक 3992 युवा कार्यालय में अपना पंजीयन करा चुके है मगर नौकरी मिली सिर्फ 117 को, पंजीयन के मुकाबले रोजगार पाने वाले युवाओं का प्रतिशत बहुत कम होने के बावजूद भी हालांकि जिले के अधिकारी संतुष्ट नजर आ रहे है।
Conclusion:पिछले कुछ सालों में सरकार ने परंपरागत शिक्षा की बजाए आईटीआई समेत कई प्रकार के रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोर्स गरियाबंद जिले में प्रारंभ किए थे जिसमें हजारों की संख्या में युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षण देने के नाम पर इलेक्ट्रीशियन कंप्यूटर ऑपरेटर प्लंबर मैकेनिक समेत कई प्रकार के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च तो किए गए बावजूद इसके अगर उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो समझा जा सकता है कि उन प्रशिक्षण का क्या स्तर रहा होगा और वहां प्रशिक्षित युवाओं को आखिर कहीं रोजगार नहीं मिल पाना उन प्रशिक्षण के स्तर की सच्चाई सामने ला रही है


बाइट 1---केएन साहू, डिप्टी इम्पलायमेंट ऑफिसर............

अब जरा गरियाबंद के युवाओं से भी सुन लीजिए क्या कहते हैं वे रोजगार कार्यालय के बारे में

बाइट सोमेश्वर दास बेरोजगार युवक ग्राम छिन्दौला
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