गरियाबंद: जिले में पहली बार हाथी की मौत हुई है और अब उस नन्हें हाथी के कंकाल को रखकर उसका उपयोग अध्ययन के लिए करने की तैयारी है. इसके लिए बकायदा हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का काम विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया है. इसके लिए हाथी के चारों पैर और पूंछ के आसपास बारीक जाली लगाई गई है.
वन विभाग के आला अधिकारियों को जब गरियाबंद जिले के उदंती में हाथी के बच्चे की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके कंकाल को संरक्षित करने के निर्देश दिए ताकि उसके कंकाल का अध्ययन कर हाथी के बारे में कई अन्य जानकारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके.
कब्र खोदकर दफनाया गया नन्हें हाथी का शव
रविवार को आमामोरा गया अधिकारियों का दल देर रात तक हाथी के कंकाल को प्रिजर्व अर्थात संरक्षित करने के कार्य में जुटा रहा और काफी बारीकी से नाप जोक करने के बाद कई तरह के जरूरी दस्तावेज की कार्रवाई पूरी करने के बाद हाथी के शव को पोस्टमार्टम करवाने के बाद कब्र खोदकर दफनाया गया. पूरी कार्रवाई आला अधिकारियों की निगरानी में हुई और अंततः हाथी के शव को दफनाया गया, जिसे कुछ महीने बाद कब्र खोदकर निकाला जाएगा.
वन विभाग में फैली शोक की लहर
बता दें, नन्हा हाथी लगभग पिछले महीने की 22 तारीख को अपने झुंड से बिछड़ गया था और बीमार होने की वजह से कुछ नहीं खा रहा था, जिसके बाद 12 दिन तक वन विभाग के विशेषज्ञ, चिकित्सक और तोमर पिंगल अभयारण्य के महावत इसके इलाज में जुटे हुए थे. इसी बीच उड़ीसा पहुंच चुके 35 हाथियों का दल वापस लौटा और गांव में तोड़फोड़ मचाने के बाद अपने बच्चे को छुड़ाकर वापस ले गया. बाद में इसकी तबियत फिर बिगड़ी और झुंड के बीच नन्हें हाथी की मौत हो गई. जानकारी मिलने के बाद पूरे वन विभाग में शोक की लहर थी.