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गरियाबंद: आखिर क्यों दोबारा खोदी जाएगी नन्हें हाथी का कब्र - अधिकारियों की निगरानी

नन्हें हाथी के कंकाल को रख कर उसका उपयोग अध्ययन के लिए करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का कार्य विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया है.

हाथी का कब्र
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Published : Dec 9, 2019, 7:58 AM IST

गरियाबंद: जिले में पहली बार हाथी की मौत हुई है और अब उस नन्हें हाथी के कंकाल को रखकर उसका उपयोग अध्ययन के लिए करने की तैयारी है. इसके लिए बकायदा हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का काम विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया है. इसके लिए हाथी के चारों पैर और पूंछ के आसपास बारीक जाली लगाई गई है.

हाथी का कब्र

वन विभाग के आला अधिकारियों को जब गरियाबंद जिले के उदंती में हाथी के बच्चे की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके कंकाल को संरक्षित करने के निर्देश दिए ताकि उसके कंकाल का अध्ययन कर हाथी के बारे में कई अन्य जानकारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके.

कब्र खोदकर दफनाया गया नन्हें हाथी का शव
रविवार को आमामोरा गया अधिकारियों का दल देर रात तक हाथी के कंकाल को प्रिजर्व अर्थात संरक्षित करने के कार्य में जुटा रहा और काफी बारीकी से नाप जोक करने के बाद कई तरह के जरूरी दस्तावेज की कार्रवाई पूरी करने के बाद हाथी के शव को पोस्टमार्टम करवाने के बाद कब्र खोदकर दफनाया गया. पूरी कार्रवाई आला अधिकारियों की निगरानी में हुई और अंततः हाथी के शव को दफनाया गया, जिसे कुछ महीने बाद कब्र खोदकर निकाला जाएगा.

वन विभाग में फैली शोक की लहर
बता दें, नन्हा हाथी लगभग पिछले महीने की 22 तारीख को अपने झुंड से बिछड़ गया था और बीमार होने की वजह से कुछ नहीं खा रहा था, जिसके बाद 12 दिन तक वन विभाग के विशेषज्ञ, चिकित्सक और तोमर पिंगल अभयारण्य के महावत इसके इलाज में जुटे हुए थे. इसी बीच उड़ीसा पहुंच चुके 35 हाथियों का दल वापस लौटा और गांव में तोड़फोड़ मचाने के बाद अपने बच्चे को छुड़ाकर वापस ले गया. बाद में इसकी तबियत फिर बिगड़ी और झुंड के बीच नन्हें हाथी की मौत हो गई. जानकारी मिलने के बाद पूरे वन विभाग में शोक की लहर थी.

गरियाबंद: जिले में पहली बार हाथी की मौत हुई है और अब उस नन्हें हाथी के कंकाल को रखकर उसका उपयोग अध्ययन के लिए करने की तैयारी है. इसके लिए बकायदा हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का काम विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया है. इसके लिए हाथी के चारों पैर और पूंछ के आसपास बारीक जाली लगाई गई है.

हाथी का कब्र

वन विभाग के आला अधिकारियों को जब गरियाबंद जिले के उदंती में हाथी के बच्चे की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके कंकाल को संरक्षित करने के निर्देश दिए ताकि उसके कंकाल का अध्ययन कर हाथी के बारे में कई अन्य जानकारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके.

कब्र खोदकर दफनाया गया नन्हें हाथी का शव
रविवार को आमामोरा गया अधिकारियों का दल देर रात तक हाथी के कंकाल को प्रिजर्व अर्थात संरक्षित करने के कार्य में जुटा रहा और काफी बारीकी से नाप जोक करने के बाद कई तरह के जरूरी दस्तावेज की कार्रवाई पूरी करने के बाद हाथी के शव को पोस्टमार्टम करवाने के बाद कब्र खोदकर दफनाया गया. पूरी कार्रवाई आला अधिकारियों की निगरानी में हुई और अंततः हाथी के शव को दफनाया गया, जिसे कुछ महीने बाद कब्र खोदकर निकाला जाएगा.

वन विभाग में फैली शोक की लहर
बता दें, नन्हा हाथी लगभग पिछले महीने की 22 तारीख को अपने झुंड से बिछड़ गया था और बीमार होने की वजह से कुछ नहीं खा रहा था, जिसके बाद 12 दिन तक वन विभाग के विशेषज्ञ, चिकित्सक और तोमर पिंगल अभयारण्य के महावत इसके इलाज में जुटे हुए थे. इसी बीच उड़ीसा पहुंच चुके 35 हाथियों का दल वापस लौटा और गांव में तोड़फोड़ मचाने के बाद अपने बच्चे को छुड़ाकर वापस ले गया. बाद में इसकी तबियत फिर बिगड़ी और झुंड के बीच नन्हें हाथी की मौत हो गई. जानकारी मिलने के बाद पूरे वन विभाग में शोक की लहर थी.

Intro:जानिए क्यों दोबारा खोदी जाएगी नन्हे हाथी की की कब्र

नन्हे हाथी के शव को किया प्रिजर्वर


एंकर--- गरियाबंद जिला क्षेत्र में पहली बार हाथी की मौत हुई है और अब उस नन्हे हाथी के कंकाल को रख उसका उपयोग अध्ययन के लिए करने की तैयारी है इसके लिए बकायदा हाथी के हड्डी को प्रिजर्व करने का कार्य विशेषज्ञ के बताए अनुसार पशु चिकित्सकों ने किया इसके लिए बकायदा हाथी के चारों पैर तथा पूंछ के आसपास बारीक जाली लगाई गई है इसके पूर्व हाथी के बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कराया गया यह सब कार्य उसकी मौत वाले स्थल से करीब ही किया गया अर्थात ओढ़ के जंगल में नन्हे हाथी की कब्र खोदकर उसे दफनाया गया और कुछ महीने बाद दुबारा कब्र खोदकर हड्डियां बाहर निकाली जाएगी



Body: वन विभाग के आला अधिकारियों को जब गरियाबंद जिले के उदंती में हाथी के बच्चे की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके कंकाल को संरक्षित करने के निर्देश दिए ताकि उसके कंकाल का अध्ययन कर हाथी के बारे में कई अन्य जानकारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके


कल तड़के आमामोरा गया अधिकारियों का दल देर रात तक हाथी के कंकाल को प्रिजर्व अर्थात संरक्षित करने के कार्य में जुटा रहा और काफी बारीकी से नाप जोक करने के बाद कई तरह के जरूरी दस्तावेज की कार्यवाही पूरी करने के बाद हाथी के शव को पोस्टमार्टम करवाने के बाद कब्र खोदकर दफनाया गया पूरी कार्यवाही आला अधिकारियों की निगरानी में हुई और अंततः हाथी के शव को दफनाया गया जिसे कुछ माह बाद कब्र खोदकर निकाला जाएगा


Conclusion:हम आपको बता दें कि इसके पूर्व नन्हे हाथी को बचाने के लिए वन विभाग इलाज का प्रयास कर रहा था यह हाथी लगभग पिछले महीने की 22 तारीख को अपने झुंड से बिछड़ गया था और बीमार होने की वजह से कुछ खा नहीं पा रहा था जिसके बाद 12 दिन तक वन विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक और तोमर पिंगल अभयारण्य के महावत इसके इलाज में जुटे हुए थे इसी बीच उड़ीसा पहुंच चुके 35 हाथियों का दल वापस लौटा और गांव में तोड़फोड़ मचाने के बाद अपने बच्चे को छुड़ाकर वापस ले गया बाद में इसकी तबीयत फिर बिगडी और झुंड के बीच नन्हें शावक की मौत हो गई जानकारी मिलने के बाद जहां वन विभाग में शोक की लहर थी वही इस नन्हे हाथी के कंकाल को प्रिजर्व करने के चलते एक बात साफ हो गई है कि हजारों की संख्या में लोग इसके कंकाल को देखकर इनके बारे में जान सकेंगे।

बाइट-- श्री विष्णु वन मंडल अधिकारी उदंती टाइगर प्रोजेक्ट
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