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गरियाबंद: 3 साल से बंद पड़ा उप स्वास्थ्य केंद्र, डॉक्टर नहीं आए तो नर्स ने करा लिया तबादला

जिले के टीपपारा गांव में पिछले 3 साल से उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटक रहा है, इससे खुली अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीण भटक रहे हैं.

स्वास्थ्य सुविधा को तरस रहे ग्रामीण
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Published : Jul 10, 2019, 11:29 AM IST

Updated : Jul 10, 2019, 2:45 PM IST

गरियाबंदः जिले की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं किसी से छिपी नहीं हैं. इन दिनों स्वास्थ्य केंद्रों की हालात काफी खराब है. एक अस्पताल तो ऐसा है, जो पिछले तीन साल से खुला ही नहीं. वहां ताला लटक रहा है, इससे ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बीते 3 साल से भटक रहे हैं.

वीडियो

ब्लॉक मुख्यालयों में मौजूद अस्पताल इन दिनों डॉक्टरों की कमी के कारण रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं, वहीं उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत और भी खराब नजर आ रही है. ताजा मामला देवभोग विकासखंड के मुड़ागांव पंचायत के आश्रित गांव टीपपारा का है.

गैर जिम्मेदारों के हाथ जिम्मेदारी
कुछ साल पहले इस गांव में हैजा की बीमारी फैल गई थी, जिससे 2 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने उप स्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिया, लेकिन इसकी कमान गैर जिम्मेदार स्वास्थ्य कार्यकर्ता के हाथों सौंप दी गई, जो अपनी मर्जी की मालिक थी. ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता कभी-कभार ही अस्पताल पहुंचती थी. गुस्साए ग्रामीणों ने इसकी शिकायत प्रशासन से कर दी, इसके बाद उस स्वास्थ्य कार्यकर्ता का तबादला कर दिया गया.

पढ़ें: SPECIAL: छग का अमृत कुंड, इसका पानी अंग्रेजों से लेकर अटलजी तक ने आखिर क्यों पीया

किसी अधिकारी ने नहीं ली सुध
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि जिम्मेदारों को यहां की जानकारी न हो. बावजूद इसके पिछले 3 साल से यहां किसी चिकित्सा अधिकारी ने कदम नहीं रखा. इसका खामियाजा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि 'छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी उन्हें देवभोग या फिर ओडिशा जाना पड़ता है.

कब मिलेगी ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं ?
इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि इस इलाके के गरीब लोगों को आखिर कब बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल मिलेगी?

गरियाबंदः जिले की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं किसी से छिपी नहीं हैं. इन दिनों स्वास्थ्य केंद्रों की हालात काफी खराब है. एक अस्पताल तो ऐसा है, जो पिछले तीन साल से खुला ही नहीं. वहां ताला लटक रहा है, इससे ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बीते 3 साल से भटक रहे हैं.

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ब्लॉक मुख्यालयों में मौजूद अस्पताल इन दिनों डॉक्टरों की कमी के कारण रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं, वहीं उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत और भी खराब नजर आ रही है. ताजा मामला देवभोग विकासखंड के मुड़ागांव पंचायत के आश्रित गांव टीपपारा का है.

गैर जिम्मेदारों के हाथ जिम्मेदारी
कुछ साल पहले इस गांव में हैजा की बीमारी फैल गई थी, जिससे 2 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने उप स्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिया, लेकिन इसकी कमान गैर जिम्मेदार स्वास्थ्य कार्यकर्ता के हाथों सौंप दी गई, जो अपनी मर्जी की मालिक थी. ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता कभी-कभार ही अस्पताल पहुंचती थी. गुस्साए ग्रामीणों ने इसकी शिकायत प्रशासन से कर दी, इसके बाद उस स्वास्थ्य कार्यकर्ता का तबादला कर दिया गया.

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किसी अधिकारी ने नहीं ली सुध
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि जिम्मेदारों को यहां की जानकारी न हो. बावजूद इसके पिछले 3 साल से यहां किसी चिकित्सा अधिकारी ने कदम नहीं रखा. इसका खामियाजा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि 'छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी उन्हें देवभोग या फिर ओडिशा जाना पड़ता है.

कब मिलेगी ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं ?
इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि इस इलाके के गरीब लोगों को आखिर कब बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल मिलेगी?

Intro:

गरियाबंदः-- गरियाबंद जिले की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं किसी से छिपी नहीं है ऐसे में आज हम आपको एक ऐसा अस्पताल दिखाएंगे जिसका ताला पिछले 3 साल से खुला ही नहीं हैं, बिना चिकित्सक वाले इस अस्पताल के कारण लोग स्वास्थ्य सुविधा के लिए कई किलोमीटर दूर जाते है गांव में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए यहां के लोग बीते 3 साल से तरस रहे हैं


Body:गरियाबंद जिले के विभिन्न ब्लॉक मुख्यालयों में स्थित अस्पताल डॉक्टरों की कमी के कारण केवल रिफर सेंटर बनकर रह गए है, तो वहीं उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत और भी अधिक खराब नजर आ रही है ताजा मामला देवभोग विकासखंड के मुड़ागांव पंचायत के आश्रित गांव टीपपारा का है, यंहा कुछ साल पहले हैजा की बीमारी फैलने से हुई 2 लोगों की मौत के बाद उपस्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिया मगर जिस स्वास्थ्य कार्यकर्ता को यहां ड्यूटी सौंपी गयी वह कभी-कभार ही गांव पहुंचति थि नाराज होकर जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की तो प्रशासन ने उसका तबादला कर दिया जिसके बाद यहां जिस स्वास्थ्य कार्यकर्ता पहुंचना था उसने उच्च शिक्षा के नाम पर अपना तबादला महासमुंद करवा लिया पिछले 3 साल से बिना चिकित्सक वाला ये उप स्वास्थ्य केंद्र केवल गांव की शोभा बढ़ाने के काम आ रहा था तो वहीं अब यह भवन धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होता नजर आ रहा है क्योंकि इस पर लटका ताला बीते 3 साल से खुला ही नहीं है, स्वास्थ्य कार्यकर्ता नही होने का खामियाजा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है, ग्रामीणों का कहना है कि छोटी मोटी बीमारी के लिए भी उन्हें या देवभोग या फिर उड़ीसा जाना पड़ता है वही स्वास्थ्य कार्यकर्ता नही होने की बात तो स्वास्थ विभाग स्वीकार कर रहा है, साथ ही तमाम तरह के टीकाकरण प्रभावित नही होने का दावा भी कर रहा है। मगर ग्रामीण अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने के चलते लंबे समय से बेहद परेशान चल रहे हैं



Conclusion:इन सब के बीच बड़ा सवाल यह है कि इस इलाके के गरीब लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आखिर और कब तक इंतजार करना पड़ेगा आखिर इनकी समस्याएं कब होंगी हल---- फरहाज मेंमन ईटीवी भारत गरियाबंद



बाईट 1---केसरी यदु, पंचायत सचिव--
बाईट 2---दयानाथ यादव ग्रामीण--

बाईट 3--डॉ सुनील भारती, बीएमओ, देवभोग--

बाईट 4---ठामकु राम, ग्रामीण--
Last Updated : Jul 10, 2019, 2:45 PM IST
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