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सुपेबेड़ा : किडनी मरीजों की मौत का मामला, सिंहदेव के बयान से सरकार पर उठे सवाल !

सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से होने वाले मौतों को लेकर विधानसभा में भाजपा ने सरकार पर सवाल उठाया था, जिसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सुपेबेड़ा में जितनी भी मौतें हुई है. वह सब हार्ट स्ट्रोक से हुई है. किडनी की बीमारी से किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है.

सुपेबेड़ा में फिर मिले किडनी पीड़ित मरीज
सुपेबेड़ा में फिर मिले किडनी पीड़ित मरीज
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Published : Nov 28, 2019, 12:07 AM IST

Updated : Nov 28, 2019, 12:37 AM IST

गरियाबंद: सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों की चीख सड़क से सदन तक पहुंच चुकी है. इस मामले की गूंज अब विधानसभा में सुनाई दे रही है. जहां सुपेबेड़ा में लगातार किडनी की बीमारी से मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है वहीं सरकार की नजर में यहां होने वाली मौतें किडनी की बीमारी से नहीं हुई है. विधानसभा में खुद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि एक भी मौत किडनी की बीमारी से नहीं हुई है. उन्होंने सदन में कहा कि सुपेबेड़ा में ग्रामीण किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

किडनी मरीजों की मौत का मामला

200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित

सरकार का मानना है कि 200 से अधिक लोग यहां किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री के बयान पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

ETV भारत के सवाल

  • सुपेबेड़ा पर सरकार विरोधाभासी बातें क्यों कर रही है
  • क्या सभी किडनी मरीजों की मौत हार्ट स्ट्रोक से हुई ?
  • सत्ता में आने के बाद सुपेबेड़ा के मुद्दे पर सरकार के सुर क्यों बदले ?
  • रमन सरकार में कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बताया था
  • लेकिन सत्ता में आने के बाद कहीं इस पर लीपापोती तो नहीं हो रही !

200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित
दरअसल, सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से मौत का आंकडा 65 से बढकर 71 हो गया है. वहीं 200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से से पीड़ित हैं. मामले में ग्रामीणों का कहना है कि इलाज से कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि बार-बार मीडिया में आने की वजह से उनका समाज में संबंध खराब हो रहा है.

अभी भी नए मरीज सामने आ रहे

समाज के लोग सुपेबेड़ा से दूरियां बना रहे हैं, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि गांव में अभी 200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. लेकिन ग्रामीण इलाज में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. अब देखना होगा कि सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों का क्या होता है. ऐसे में क्या सरकार आंकड़े की जादूगरी दिखाकर अपनी पीठ थपथपाएगी, या लोगों की जिंदगी किडनी की बीमारी से बचाई जा सकेगी. ये सवाल अब भी बना हुआ है.

गरियाबंद: सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों की चीख सड़क से सदन तक पहुंच चुकी है. इस मामले की गूंज अब विधानसभा में सुनाई दे रही है. जहां सुपेबेड़ा में लगातार किडनी की बीमारी से मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है वहीं सरकार की नजर में यहां होने वाली मौतें किडनी की बीमारी से नहीं हुई है. विधानसभा में खुद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि एक भी मौत किडनी की बीमारी से नहीं हुई है. उन्होंने सदन में कहा कि सुपेबेड़ा में ग्रामीण किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

किडनी मरीजों की मौत का मामला

200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित

सरकार का मानना है कि 200 से अधिक लोग यहां किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री के बयान पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

ETV भारत के सवाल

  • सुपेबेड़ा पर सरकार विरोधाभासी बातें क्यों कर रही है
  • क्या सभी किडनी मरीजों की मौत हार्ट स्ट्रोक से हुई ?
  • सत्ता में आने के बाद सुपेबेड़ा के मुद्दे पर सरकार के सुर क्यों बदले ?
  • रमन सरकार में कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बताया था
  • लेकिन सत्ता में आने के बाद कहीं इस पर लीपापोती तो नहीं हो रही !

200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित
दरअसल, सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से मौत का आंकडा 65 से बढकर 71 हो गया है. वहीं 200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से से पीड़ित हैं. मामले में ग्रामीणों का कहना है कि इलाज से कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि बार-बार मीडिया में आने की वजह से उनका समाज में संबंध खराब हो रहा है.

अभी भी नए मरीज सामने आ रहे

समाज के लोग सुपेबेड़ा से दूरियां बना रहे हैं, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि गांव में अभी 200 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. लेकिन ग्रामीण इलाज में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. अब देखना होगा कि सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों का क्या होता है. ऐसे में क्या सरकार आंकड़े की जादूगरी दिखाकर अपनी पीठ थपथपाएगी, या लोगों की जिंदगी किडनी की बीमारी से बचाई जा सकेगी. ये सवाल अब भी बना हुआ है.

Intro:पैकेज लायक स्टोरी है

स्लग---सुपेबेडा फिर सुर्खियों में

एंकर---गरियाबंद का किडनी प्रभावित सुपेबेडा गॉव एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, फिर चाहे वो विधानसभा में पेश किये गये आंकडो के कारण हो या फिर ग्रामीणों द्वारा ईलाज कराने से मना करने के कारण हो, चारों और सुपेबेडा को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है और हर कोई सुपेबेडा की हकीकत जानने को उत्सुक है।


Body:वीओ 1---मौत का आंकडा 65 से बढकर 71 हो गया, सुपेबेडा की बीत एक साल में यही पहचान है, मगर कल सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किये गये आंकडो ने सबको चौंका दिया जिसमें सरकार ने दावा किया है कि सुपेबेडा में बीत साल में कोई मौत किडनी की बीमारी से नही हुयी, जब सरकार विधानसभा में ये आंकडे पेश कर रही थी उसी समय सुपेबेडा में स्वास्थ्य कैंप चल रहा था जहॉ डॉक्टर मरीजों के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे, मगर दिनभर में महज 10 मरीज ही ईलाज कराने पहुंचे, जबकि सरकारी आंकडो के मुताबिक गॉव में 180 के करीब किडनी के मरीज है, फिलहाल ज्यादातर ग्रामीण ईलाज कराने मैं कोई रुचि नहीं दिखा रहा है, ग्रामीणों के मुताबिक ईलाज से कोई फायदा नही दिख रहा है, बल्कि उनके गॉव का नाम बार बार मीडिया में आने से उनके समाजिक संबंध खराब हो गये है, ग्रामीणों ने अब बीमारी का ईलाज कराने की बजाय अपने समाजिक संबंध ठीक करने पर जोर देने की बात कही है.
बाइट 1---लव कुमार नागेश, ग्रामीण.........
बाइट 2--टिनीमिनी, पीडित.............
वीओ 2---सुपेबेडा में किडनी के मरीज बडी संख्या में मौजूद है कई जाच रिपोर्टस में इस बात का खुलासा हो चुका है, उऩमें से कुछ मरीजों की मौत भी हो हुयी है जिसके चलते मौत का आंकडा 71 पहुंच चुका है, कल शिविर में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके विंदवार के साथ पहुंचे नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर विनय राठौड ने भी माना कि अभी भी नये मरीज सामने आ रहे है, उन्होंने ये भी दावा किया कि मरीजों के साथ तालमेल बिठाने में थोडा समय लगता है और वे इसके लिए काम कर रहे है, इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को निशुल्क दवाई वितरण किये जाने की भी बात कही है।
बाइट 3---डॉ. एसके बिंदवार, डिप्टी डायरेक्टर, स्वास्थ्य विभाग..........
बाइट 4---डॉ. विनय राठौड, नेफ्रोलॉजिस्ट.............
Conclusion:फाईनल वीओ----अजीब बात है कि सरकार सुपेबेडा में किडनी की बीमारी से एक भी मौत नही होने का दावा कर रही है और गॉव में मरीजो को किडनी की दवाई वितरण करवा रही है, यह और भी अजीब है कि ग्रामीण बीमार है मगर ईलाज कराना नही चाहते, ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि आखिरकार सरकार को विधानसभा में ऐसे आंकडे क्यों पेश करने पडे और ग्रामीण ईलाज के लिए क्यों मना कर रहे है,
Last Updated : Nov 28, 2019, 12:37 AM IST
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