गरियाबंद : गायडबरी और तालेसर गांव के बीच PMGSY के तहत सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन अधिकारियों ने इसे बनाने में ऐसी लापरवाही बरती कि अब ये सड़क बांध के पानी में डूबी रहती है, जबकि सिंचाई विभाग ने इसके बनने से पहले ही इंजीनियरों को डूबान क्षेत्र होने की जानकारी दे दी थी.
यहां सालों से सड़क की आस लगाए बैठे ग्रामीणों को इस सड़क के बनने से आस थी कि अब उनके दिन फिरेंगे और बिना किसी रुकावट के गरियाबंद तक का रास्ता तय हो सकेगा, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही ने उनकी आस पर पानी फेर दिया.
किसी काम की नहीं है सड़क और पुलिया
गायडबरी और तालेसर गांव के बीच सड़क और पुलिया तो बन गई, लेकिन उसके बाद किसी अधिकारी ने इसकी ओर झांकने की जहमत नहीं उठाई. बारिश के बाद जैसे ही बांध में पानी का स्तर बढ़ता है ये सड़क जलमग्न हो जाती है, जिसके चलते या तो ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ती है या कच्चे और कंटीले रास्तों से होते हुए गरियाबंद जाना पड़ता है. स्कूली बच्चों का स्कूल जाना तक बंद हो जाता है.
सिंचाई के लिए भी नहीं मिलता पानी
ग्रामीणों को आवाजाही में तो दिक्कत हो ही रही है, लेकिन लापरवाही की भेंट चढ़ी इस सड़क ने ग्रामीणों पर दोहरी मार मारी है. गायडबरी गांव के पूर्व सरपंच ने बताया कि, बांध के निर्माण का उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना था, लेकिन सड़क पर आवाजाही को देखते हुए बांध के पानी का स्तर कम रखना पड़ता है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है.
सिंचाई विभाग ने दी थी जानकारी
दरअसल, 2014-15 के बीच जब सिंचाई विभाग द्वारा रानीडोंगर बांध को अंतिम रूप दिया गया था. इसी दौरान PMGSY के तहत इस सड़क की भी रूपरेखा तैयार की जा रही थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सड़क को लेकर उन्होंने सड़क बनाने वाले अधिकारियों को चेताया भी था. सिंचाई विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर का कहना है कि, 'अधिकारियों को पहले ही बता दिया गया था कि इस जगह पर 6 फीट तक पानी रहेगा, लिहाजा इससे ऊंची सड़क बनाएं, लेकिन इसे दरकिनार कर सड़क बना दी गई'.
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ग्रामीण भुगत रहे खामियाजा
अधिकारियों की लापरवाही के चलते केवल सरकारी पैसे की बर्बादी ही नहीं हुई बल्कि ग्रामीणों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अब सवाल ये कि क्या कभी कोई ऐसा सिस्टम बनेगा जो बेपरवाह अधिकारियों पर लगाम लगा सके.