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बांध के बीच बना दी सड़क, न चलने को बचा रास्ता, न खेतों को मिला पानी

बांध का जल स्तर बढ़ने पर तालेसर गांव में बनाई गई सड़क जलमग्न हो जाती है, इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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Published : Oct 17, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Oct 17, 2019, 3:39 PM IST

गांव में बनाई गई सड़क जलमग्न

गरियाबंद : गायडबरी और तालेसर गांव के बीच PMGSY के तहत सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन अधिकारियों ने इसे बनाने में ऐसी लापरवाही बरती कि अब ये सड़क बांध के पानी में डूबी रहती है, जबकि सिंचाई विभाग ने इसके बनने से पहले ही इंजीनियरों को डूबान क्षेत्र होने की जानकारी दे दी थी.

अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं.

यहां सालों से सड़क की आस लगाए बैठे ग्रामीणों को इस सड़क के बनने से आस थी कि अब उनके दिन फिरेंगे और बिना किसी रुकावट के गरियाबंद तक का रास्ता तय हो सकेगा, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही ने उनकी आस पर पानी फेर दिया.

किसी काम की नहीं है सड़क और पुलिया
गायडबरी और तालेसर गांव के बीच सड़क और पुलिया तो बन गई, लेकिन उसके बाद किसी अधिकारी ने इसकी ओर झांकने की जहमत नहीं उठाई. बारिश के बाद जैसे ही बांध में पानी का स्तर बढ़ता है ये सड़क जलमग्न हो जाती है, जिसके चलते या तो ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ती है या कच्चे और कंटीले रास्तों से होते हुए गरियाबंद जाना पड़ता है. स्कूली बच्चों का स्कूल जाना तक बंद हो जाता है.

सिंचाई के लिए भी नहीं मिलता पानी
ग्रामीणों को आवाजाही में तो दिक्कत हो ही रही है, लेकिन लापरवाही की भेंट चढ़ी इस सड़क ने ग्रामीणों पर दोहरी मार मारी है. गायडबरी गांव के पूर्व सरपंच ने बताया कि, बांध के निर्माण का उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना था, लेकिन सड़क पर आवाजाही को देखते हुए बांध के पानी का स्तर कम रखना पड़ता है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है.

सिंचाई विभाग ने दी थी जानकारी
दरअसल, 2014-15 के बीच जब सिंचाई विभाग द्वारा रानीडोंगर बांध को अंतिम रूप दिया गया था. इसी दौरान PMGSY के तहत इस सड़क की भी रूपरेखा तैयार की जा रही थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सड़क को लेकर उन्होंने सड़क बनाने वाले अधिकारियों को चेताया भी था. सिंचाई विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर का कहना है कि, 'अधिकारियों को पहले ही बता दिया गया था कि इस जगह पर 6 फीट तक पानी रहेगा, लिहाजा इससे ऊंची सड़क बनाएं, लेकिन इसे दरकिनार कर सड़क बना दी गई'.

पढ़ें- गरियाबंद : 10 क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब पर छापा, 5 सील

ग्रामीण भुगत रहे खामियाजा
अधिकारियों की लापरवाही के चलते केवल सरकारी पैसे की बर्बादी ही नहीं हुई बल्कि ग्रामीणों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अब सवाल ये कि क्या कभी कोई ऐसा सिस्टम बनेगा जो बेपरवाह अधिकारियों पर लगाम लगा सके.

गरियाबंद : गायडबरी और तालेसर गांव के बीच PMGSY के तहत सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन अधिकारियों ने इसे बनाने में ऐसी लापरवाही बरती कि अब ये सड़क बांध के पानी में डूबी रहती है, जबकि सिंचाई विभाग ने इसके बनने से पहले ही इंजीनियरों को डूबान क्षेत्र होने की जानकारी दे दी थी.

अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं.

यहां सालों से सड़क की आस लगाए बैठे ग्रामीणों को इस सड़क के बनने से आस थी कि अब उनके दिन फिरेंगे और बिना किसी रुकावट के गरियाबंद तक का रास्ता तय हो सकेगा, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही ने उनकी आस पर पानी फेर दिया.

किसी काम की नहीं है सड़क और पुलिया
गायडबरी और तालेसर गांव के बीच सड़क और पुलिया तो बन गई, लेकिन उसके बाद किसी अधिकारी ने इसकी ओर झांकने की जहमत नहीं उठाई. बारिश के बाद जैसे ही बांध में पानी का स्तर बढ़ता है ये सड़क जलमग्न हो जाती है, जिसके चलते या तो ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ती है या कच्चे और कंटीले रास्तों से होते हुए गरियाबंद जाना पड़ता है. स्कूली बच्चों का स्कूल जाना तक बंद हो जाता है.

सिंचाई के लिए भी नहीं मिलता पानी
ग्रामीणों को आवाजाही में तो दिक्कत हो ही रही है, लेकिन लापरवाही की भेंट चढ़ी इस सड़क ने ग्रामीणों पर दोहरी मार मारी है. गायडबरी गांव के पूर्व सरपंच ने बताया कि, बांध के निर्माण का उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना था, लेकिन सड़क पर आवाजाही को देखते हुए बांध के पानी का स्तर कम रखना पड़ता है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है.

सिंचाई विभाग ने दी थी जानकारी
दरअसल, 2014-15 के बीच जब सिंचाई विभाग द्वारा रानीडोंगर बांध को अंतिम रूप दिया गया था. इसी दौरान PMGSY के तहत इस सड़क की भी रूपरेखा तैयार की जा रही थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सड़क को लेकर उन्होंने सड़क बनाने वाले अधिकारियों को चेताया भी था. सिंचाई विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर का कहना है कि, 'अधिकारियों को पहले ही बता दिया गया था कि इस जगह पर 6 फीट तक पानी रहेगा, लिहाजा इससे ऊंची सड़क बनाएं, लेकिन इसे दरकिनार कर सड़क बना दी गई'.

पढ़ें- गरियाबंद : 10 क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब पर छापा, 5 सील

ग्रामीण भुगत रहे खामियाजा
अधिकारियों की लापरवाही के चलते केवल सरकारी पैसे की बर्बादी ही नहीं हुई बल्कि ग्रामीणों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अब सवाल ये कि क्या कभी कोई ऐसा सिस्टम बनेगा जो बेपरवाह अधिकारियों पर लगाम लगा सके.

Intro:स्लग---लापरवाही की हद अधिकारी कर रहे मनमर्जी और सरकारी पैसे की बर्बादी

डैम के भीतर बना दी सड़क और पुलिया


एंकर--गरियाबंद में अधिकारियों की मनमर्जी और सरकारी पैसे की बर्बादी करना कोई नयी बात नही है, ऐसा ही एक गम्भीर मामला फिर सामने आया है जहाँ अधिकारियों ने सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी मनमर्जी करते हुए सरकारी पैसे की बर्बादी को अंजाम दिया। जिला स्तर के बड़े अधिकारियों ने भी इतनी बड़ी लापरवाही कि जिसे देखकर आप भी दांतो तले उंगली दबा लेंगे

......... आपको सुनकर शायद यकीन नहीं होगा मगर गरियाबंद के प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग ने एक डेम के भीतर ही सड़क और पुलीया बना डाली........ देखिए क्या है यह रोचक मामला......

Body:वीओ 1---पानी मे डूबी जरा इस सड़क को दखिये, ये सड़क कोई बारिश के पानी मे नही डूबी है बल्कि पीएमजीएसवाय विभाग ने इसे रानी डोंगरी बांध के बीचोबीच बना दिया है, जी हां यह सच है गरियाबंद जिले के अधिकारियों ने ऐसा कमाल कर दिखाया कि बांध के भीतर न सिर्फ एक सड़क बल्कि एक पुलिया भी बना दिया जो अब जल मग्न है ये सडक गायडबरी और तालेसर गांव के बीच बनी हुयी है 2014-15 में जब इस बांध को सिंचाई विभाग अंतिम रूप देने में लगा हुआ था उसी समय पीएमजीएसवाय विभाग गांवों को सड़क से जोड़ने की कवायद में जुटा हुआ था, दोनो ही विभागो ने नियम कायदों का कोई ख्याल नही रखा, अधिकारी आंखों पर पर्दा डालकर अपनी जिम्मेदारी निभाने का ढोंग कर रहे थे, और करोड़ों की लागत की सड़क और पुलिया बांध के भीतर बना डाला, अब वही अधिकारी एक दूसरे पर ठिकरा फोडकर खुद को बेकसुर साबित करने में जुटे है। सिंचाई विभाग के अधिकारी साफ कहते हैं कि हमने राज्य स्तर के बड़े अधिकारी के सामने ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी को बताया था कि यह बांध का डुबान एरिया है यहां सड़क मत बनाइए 6 फिट पानी भरा रहता है अगर बनाए तो इससे अधिक ऊंचा बनाएं मगर निर्माण करने वाले विभाग ने ध्यान ना देकर ऐसी सड़क बनाई जो ज्यादातर समय पानी में डूबी रहती है

बाइट 1---डीआर बरुआ, असिस्टेंड इंजीनियर, सिंचाई विभाग.........

वीओ 2--इसमें केवल सरकारी पैसे की बर्बादी ही नही हुयी बल्कि ग्रामीणों को भी इसका पूरा लाभ नही मिला, बल्कि अधिकारियों की इस मनमर्जी का डबल खामियाजा अब आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड रहा है, एक तो बारिश के दिनों में बांध का जलस्तर बढ़ जाने से सड़क पानी मे डूब जाती है जिससे ग्रामीणों को आवाजाही में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बरसात में बच्चे कई बार स्कूल नहीं पहुंच पाते वही सामान्य दिनों में भी सड़क पर पानी रहने के कारण ज्यादातर ग्रामीण डर के मारे उसका इस्तेमाल नही करते, ग्रामीण सड़क से जाने की बजाय जंगल मे पगडंडी के सहारे जाना ज्यादा पसंद करते है,......... दूसरा बांध के बीच मे से ग्रामीणों की आवाजाही होने के कारण सिंचाई विभाग को बाँध के पानी का लेवल हमेशा 2 फिट कम रखना पड़ता है, मतलब जिस फसल सिंचाई के लिए बांध बनाया गया था पानी लेवल कम रहने के कारण फसल को पर्याप्त पानी नही मिल पाता है, मतलब ग्रामीणों को दोगुणा नुकसान उठाना पड रहा है।
Conclusion:बाइट 2----ग्रामीण..........
बाइट 3----ग्रामीण..........
बाइट 4----ग्रामीण..........
बाइट 5--अघन सिंह ठाकुर, पूर्व सरपंच, गायडबरी..............

फाइनल वीओ--अधिकारियों की कार्यशैली ग्रामीणों पर किस कदर भारी पड रही है, ये तो साफ साबित हो गया..... अब देखने वाली बात होगी कि सरकार ऐसे अधिकारियों को कितना गंभीरता से लेती है।
Last Updated : Oct 17, 2019, 3:39 PM IST
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