गरियाबंद: अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों ने पहले तो जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया, फिर जब पीड़ित खुद को जिंदा साबित करने के लिए मंत्री के सामने जाने लगे तो जिम्मेदारों ने अपने काले करतूतों की कलई खुलने के डर से उसे रोक दिया. मुर्दा बताया गया व्यक्ति अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए किसी चमत्कार का इंतजार कर रहा है. सुपेबेड़ा को लेकर प्रशासन एक बार फिर कटधरे में खड़ा नजर आ रहा है.
अधिकारियों ने पीड़ित को मंत्री से मिलने से रोका
पंचायत के जिम्मेदारों की ओर से गांव के चार लोगों को मृत बताकर उनका PM आवास अपने चेहतों को आवंटित कर देने की बात सामने आ रही है. चारों पीड़ितों में से एक गुनधर 2 अकटूबर को गांव आए स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के सामने अपनी बात रखने के लिए उठा तो अधिकारियों ने उसे मंत्री से मिलने ही नहीं दिया. पीड़ित टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या खुद को जिंदा साबित करने की हो गई है.
अधिकारी कबूल रहे पीड़ित के फरियाद करने की बात
मामले से अधिकारी पूरी तरह से वाकिफ हैं जो खुद ही बता रहे है कि तीन साल पहले जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया गया था. अधिकारी इस बात को भी कबूल कर रहे हैं कि पीड़ित कई बार उसके पास अपनी फरियाद लेकर आ चुका है. यही नहीं पीड़ित को स्वास्थ्य मंत्री के सामने जाने से भी रोका गया था.
तीन साल बाद भी नहीं सुधरी प्रशासन की गलती
तीन साल बाद भी यदि प्रशासन अपनी गलती नहीं सुधार पाया तो ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या अधिकारी जानबूझकर सुपेबेड़ा के हालात खराब करने में लगे हैं, और यदि ऐसा है तो सरकार ऐसे अधिकारियों पर अब तक मेहरबान क्यों है.