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सुपेबेड़ा में बड़ी लापरवाही, जिंदा लोगों को बताया गया मुर्दा, इस तरह छीने गए अधिकार - स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव

गरियाबंद के सुपेबेड़ा में एक बार फिर प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है. पीएम आवास के तहत मिलने वाले मकान में अधिकारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां कुछ परिवारों को जिंदा होते हुए भी खुद को जिंदा साबित करने पड़ रहा है.

पीएम आवास के बजाय झोपड़ी में रहने को मजबूर पीड़ित
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Published : Oct 5, 2019, 3:28 PM IST

गरियाबंद: अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों ने पहले तो जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया, फिर जब पीड़ित खुद को जिंदा साबित करने के लिए मंत्री के सामने जाने लगे तो जिम्मेदारों ने अपने काले करतूतों की कलई खुलने के डर से उसे रोक दिया. मुर्दा बताया गया व्यक्ति अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए किसी चमत्कार का इंतजार कर रहा है. सुपेबेड़ा को लेकर प्रशासन एक बार फिर कटधरे में खड़ा नजर आ रहा है.

सुपेबेड़ा में बड़ी लापरवाही, जिंदा लोगों को बताया गया मुर्दा

अधिकारियों ने पीड़ित को मंत्री से मिलने से रोका
पंचायत के जिम्मेदारों की ओर से गांव के चार लोगों को मृत बताकर उनका PM आवास अपने चेहतों को आवंटित कर देने की बात सामने आ रही है. चारों पीड़ितों में से एक गुनधर 2 अकटूबर को गांव आए स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के सामने अपनी बात रखने के लिए उठा तो अधिकारियों ने उसे मंत्री से मिलने ही नहीं दिया. पीड़ित टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या खुद को जिंदा साबित करने की हो गई है.

अधिकारी कबूल रहे पीड़ित के फरियाद करने की बात
मामले से अधिकारी पूरी तरह से वाकिफ हैं जो खुद ही बता रहे है कि तीन साल पहले जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया गया था. अधिकारी इस बात को भी कबूल कर रहे हैं कि पीड़ित कई बार उसके पास अपनी फरियाद लेकर आ चुका है. यही नहीं पीड़ित को स्वास्थ्य मंत्री के सामने जाने से भी रोका गया था.

तीन साल बाद भी नहीं सुधरी प्रशासन की गलती
तीन साल बाद भी यदि प्रशासन अपनी गलती नहीं सुधार पाया तो ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या अधिकारी जानबूझकर सुपेबेड़ा के हालात खराब करने में लगे हैं, और यदि ऐसा है तो सरकार ऐसे अधिकारियों पर अब तक मेहरबान क्यों है.

गरियाबंद: अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों ने पहले तो जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया, फिर जब पीड़ित खुद को जिंदा साबित करने के लिए मंत्री के सामने जाने लगे तो जिम्मेदारों ने अपने काले करतूतों की कलई खुलने के डर से उसे रोक दिया. मुर्दा बताया गया व्यक्ति अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए किसी चमत्कार का इंतजार कर रहा है. सुपेबेड़ा को लेकर प्रशासन एक बार फिर कटधरे में खड़ा नजर आ रहा है.

सुपेबेड़ा में बड़ी लापरवाही, जिंदा लोगों को बताया गया मुर्दा

अधिकारियों ने पीड़ित को मंत्री से मिलने से रोका
पंचायत के जिम्मेदारों की ओर से गांव के चार लोगों को मृत बताकर उनका PM आवास अपने चेहतों को आवंटित कर देने की बात सामने आ रही है. चारों पीड़ितों में से एक गुनधर 2 अकटूबर को गांव आए स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के सामने अपनी बात रखने के लिए उठा तो अधिकारियों ने उसे मंत्री से मिलने ही नहीं दिया. पीड़ित टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या खुद को जिंदा साबित करने की हो गई है.

अधिकारी कबूल रहे पीड़ित के फरियाद करने की बात
मामले से अधिकारी पूरी तरह से वाकिफ हैं जो खुद ही बता रहे है कि तीन साल पहले जिंदा लोगों को मुर्दा बता दिया गया था. अधिकारी इस बात को भी कबूल कर रहे हैं कि पीड़ित कई बार उसके पास अपनी फरियाद लेकर आ चुका है. यही नहीं पीड़ित को स्वास्थ्य मंत्री के सामने जाने से भी रोका गया था.

तीन साल बाद भी नहीं सुधरी प्रशासन की गलती
तीन साल बाद भी यदि प्रशासन अपनी गलती नहीं सुधार पाया तो ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या अधिकारी जानबूझकर सुपेबेड़ा के हालात खराब करने में लगे हैं, और यदि ऐसा है तो सरकार ऐसे अधिकारियों पर अब तक मेहरबान क्यों है.

Intro:स्लग---सुपेबेडा में लापरवाही

एंकर----गरियाबंद में अपनो को लाभ पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों ने पहले तो जिंदा लोगो को मुर्दा बता दिया, फिर जब पीडित खुद को जिंदा साबित करने के लिए मंत्री के सामने जाने लगा तो जिम्मेदारों ने अपने काले करतूतों की कलाई खुलने के डर से उसे रोक दिया, मुर्दा बताया गया व्यक्ति अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए किसी चमत्कार का इंतजार कर रहा हैBody:वीओ 1----सुपेबेडा गॉव किडनी की बीमारी से जुझ रहा है, तीन साल से भी वक्त गुजर गया मगर हालात नही सुधरे, व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन पर हमेशा सवाल उठते रहे है, अब एक बार फिर सुपेबेडा को लेकर प्रशासन कटधरे में खडा नजर आ रहा है, पंचायत के जिम्मेदारों ने गांव के चार लोगो को मृत बताकर उनका पीएम आवास अपने चेहतो को आबंटित कर दिया, चारों पीडित में से एक गुनधर 2 अकटूबर को गॉव आये स्वास्थ्य मंत्री के सामने अपनी बात रखने के लिए उठा तो अधिकारियों ने उसे मंत्री से मिलने ही नही दिया, पीडित टुटी फूटी झोपडी में रहने को मजबूर है और अब उसके सामने सबसे बडी समस्या खुद को जिंदा साबित करने की हो गयी है।
बाइट 1---गुनधर, पीडित..........
बाइट 2---अंकूर, पीडित.........
वीओ 2---मामले से जिम्मेदार अधिकारी पुरी तरह वाकिफ है जो खुद ही बता रहे है कि तीन साल पहले जिंदा लोगो को मुर्दा बता दिया गया था, अधिकारी इस बात को भी कबूल कर रहे है कि पीडित कई बार उसके पास अपनी फरियाद लेकर आ चुका है, यही नही स्वास्थ्य मंत्री के सामने जाने से भी उसी अधिकारी ने ही पीडित को रोका है.
बाइट 3---केएस नागेश, सीईओ, जनपद पंचायत देवभोग...........
Conclusion:फाईनल वीओ---तीन साल बाद भी यदि प्रशासन अपनी गलती नही सुधार पाया तो ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि क्या अधिकारी जानबुझकर सुपेबेडा के हालात खराब करने में लगे है, और यदि ऐसा है तो सरकार ऐसे अधिकारियों पर अबतक मेहरबान क्यों है।


बाइट 1---गुनधर, पीडित..........

बाइट 2---अंकूर, पीडित.........


बाइट 3---केएस नागेश, सीईओ, जनपद पंचायत देवभोग........
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