गरियाबंद: इलाज और कई तरह के प्रयासों के बावजूद अंत में हाथी के बीमार बच्चे की मौत हो गई. कुछ दिन पहले ही वन विभाग के बाड़े को तोड़कर 35 हाथियों का दल इस नन्हे हाथी को अपने साथ ले गया.
नन्हे हाथी के मुंह में लगी थी चोट
बता दें कि लगभग 1 महीने पहले 35 हाथियों का झुंड गरियाबंद जिले के उदंती टाइगर प्रोजेक्ट इलाके के आमा मोरा इलाके में पहुंचा था. यहां लगभग 100 एकड़ में लगी फसल को नुकसान पहुंचाते हुए हाथी 12 दिन तक डेरा जमाए हुए थे. इसके बाद वापस लौटते समय हाथियों के झुंड से 4 साल का नन्हा हाथी बिछड़ गया. इस हाथी के मुंह में घाव था.
वन विभाग करवा रहा था नन्हे हाथी का इलाज
वहीं घाव में कीड़े भी लग रहे थे. जिसके बाद छूटे हुए हाथी की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने अंबिकापुर के तोमर पिंगन अभयारण्य से दो महावत बुलवाए थे. वहीं रायपुर के पशु चिकित्सक भी वन विभाग की टीम के साथ आमा मोरा पहुंचे थे. तमिलनाडु के हाथी विशेषज्ञों से सलाह लेकर नन्हे हाथी का इलाज किया जा रहा था. इसके लिए बच्चे को ओढ़ गांव लाकर वन विभाग के रेस्ट हाउस के बगल में रख गया था. जहां उसका इलाज किया जा रहा था.
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वहीं हाथियों का दल लगभग 70 किलोमीटर दूर ओडिशा के सोने बेड़ा के जंगलों में पहुंच चुका था. लेकिन वहां से यह दल बच्चे को लेने वापस लौटा और 12 दिन चले इलाज के बाद हाथियों के दल ने गांव में घुसकर जमकर आतंक मचाया. वहीं अपने बच्चे को साथ लेकर चले गए. इसके बाद बच्चे की हालत और बिगड़ी और अंत में शनिवार को उसकी मौत हो गई.