गरियाबंद: कलेक्टर छतर सिंह डेहरे वन अधिकार पत्रक को लेकर काफी सख्त नजर आए. उन्होंने मंगलवार को इसके लिए एक बैठक भी रखी थी, जिसमें उन्होंने विभागीय अधिकारियों को वन अधिकार पत्रक से जुड़े कार्यों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने अधिकारियों को यह काम सर्वोच्च प्राथमिकता से करने को कहा है.
अधिकारियों के लिए रूपरेखा तैयार
- 22 से 25 जुलाई 2020 तक ग्राम स्तर पर ग्रामसभा के माध्यम से प्रचार-प्रसार और आवेदन पत्रों का संग्रहण किया जाएगा.
- 26 और 27 जुलाई 2020 को ग्रामसभा स्तर पर मिले आवेदनों का परीक्षण किया जाएगा.
- 28 और 29 जुलाई को ग्रामसभा स्तर पर मिले आवेदनों की दावित और मांग भूमि का स्थल परीक्षण किया जाएगा.
- 30 और 31 जुलाई को ग्रामसभा स्तर पर मिले आवेदन पत्रों में से पात्र आवेदकों के प्रकरणों का ग्रामसभा स्तर पर अुनमोदन और खंड स्तर पर प्रस्ताव जमा किया जाएगा.
- 1 और 2 अगस्त को उपखंड स्तर पर ग्रामसभा स्तर पर पारित प्रस्ताव के मुताबित खंड स्तर पर प्रस्तावों के परीक्षण अनुमोदन किया जाएगा.
- 3 अगस्त को खंड स्तर के अनुमोदित प्रस्ताव का सभी दस्तावेजों के साथ जिला स्तरीय समिति को प्रस्ताव जमा किया जाएगा.
- 4 और 5 अगस्त को जिला स्तर पर जिला स्तरीय समिति की ओर से खंड स्तरीय समिति से मिले प्रस्ताव और प्रकरणों का परीक्षण किया जाएगा.
- 6 अगस्त को जिला स्तरीय समिति की बैठक का आयोजन और प्रस्ताव का अनुमोदन किया जाएगा.
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कलेक्टर छतर सिंह डेहरे ने जिले के सभी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) और सभी जनपद CEO को ऊपर दिए गए समय सारणी के मुताबिक काम करने के लिए निर्देश दिए हैं. कलेक्टर ने इस काम को वन, पंचायत, राजस्व और आदिवासी विकास विभाग के विकासखंड और ग्राम स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से पूरा करने के लिए निर्देशित किया है.
इन्हें दिया जाएगा वन अधिकार पत्र
दिसंबर 2005 के पहले से रहने वाले सभी आदिवासियों को वन भूमि का अधिकार-पत्र दिया जाएगा. इसके अलावा तीन पीढ़ियों (75 साल) से वनों में रह रहे अन्य जाति के परंपरागत वनवासियों को भी अधिकार-पत्र दिया जाएगा.