ETV Bharat / state

पिता ने दी बेटे को नई जिंदगी, किडनी देकर बचाई जान

देशभर में 16 जून को फादर्स डे बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. सोशल मीडिया पर भी मैसेजेस दिनभर छाए रहे. इस फादर्स डे हम आपको एक ऐसे बेटे की दास्तां बताने जा रहें हैं, जो हर रोज फादर्स डे मनाता है.

पिता के साथ जगदीश
author img

By

Published : Jun 18, 2019, 1:28 PM IST

Updated : Jun 18, 2019, 7:22 PM IST

गरियाबंद: ये कहानी एक ऐसे पिता की है, जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए बेटे को मौत के मुंह से खींचकर नई जिंदगी दी. ये कहानी है देवभोग के मांझीपारा में जगदीश अग्रवाल की.

पिता ने बेटे को दी किडनी

4 साल पहले बीमारी का पता चला
जगदीश के दिन की शुरुआत पिता के चरणों को स्पर्श कर होती है और हो भी क्यों ना आखिर वो पिता ही तो हैं जिनकी बदौलत जगदीश को दूसरी जिंदगी मिली है. करीब चार साल पहले जब डॉक्टरों ने जगदीश को ये बताया कि उनकी किडनी खराब है तो, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.

चेन्नई में ट्रांसप्लांट हुई किडनी
करीब 7 लाख रुपए खर्च करने के बाद जब रायपुर के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए, तो इलाज के लिए जगदीश को विशाखापट्टनम और चेन्नई जाना पड़ा. यहां के डॉक्टरों ने आखिरकार उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी. साथ ही इसके लिए 25 लाख रुपए खर्च होने की जानकारी दी.

पिता ने दी नई जिंदगी
छोटी सी किराना दुकान चलाने वाले जगदीश के लिए इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना आसान नहीं था, बेटे को मौत के मुंह से निकालने के लिए बूढ़े पिता लक्ष्मीनारायण के पास अपनी किडनी देने के सिवाए और कोई रास्ता नहीं था और उन्होंने अपनी किडनी देकर बेटे को नई जिंदगी दी.

सालाना तीन लाख रुपए का आता है खर्च
जगदीश की दवाई और रुटीन चेकअप में अभी भी परिवार को सालाना 3 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. परिवार की माली हालत लगातार कमजोर होती जा रही है और लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है, इसके बावजूद भी परिवार खुश है कि आज उनका बेटा सही सलामत उनके बीच मौजूद है.

पिता को दिया भगवान का दर्जा
सबसे अहम बात तो ये है कि जिस तरह पिता ने बुढ़ापे में बेटे के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी ऐसे में इस बेटे के लिए पिता का दर्जा भगवान से बढ़कर हो गया है.

गरियाबंद: ये कहानी एक ऐसे पिता की है, जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए बेटे को मौत के मुंह से खींचकर नई जिंदगी दी. ये कहानी है देवभोग के मांझीपारा में जगदीश अग्रवाल की.

पिता ने बेटे को दी किडनी

4 साल पहले बीमारी का पता चला
जगदीश के दिन की शुरुआत पिता के चरणों को स्पर्श कर होती है और हो भी क्यों ना आखिर वो पिता ही तो हैं जिनकी बदौलत जगदीश को दूसरी जिंदगी मिली है. करीब चार साल पहले जब डॉक्टरों ने जगदीश को ये बताया कि उनकी किडनी खराब है तो, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.

चेन्नई में ट्रांसप्लांट हुई किडनी
करीब 7 लाख रुपए खर्च करने के बाद जब रायपुर के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए, तो इलाज के लिए जगदीश को विशाखापट्टनम और चेन्नई जाना पड़ा. यहां के डॉक्टरों ने आखिरकार उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी. साथ ही इसके लिए 25 लाख रुपए खर्च होने की जानकारी दी.

पिता ने दी नई जिंदगी
छोटी सी किराना दुकान चलाने वाले जगदीश के लिए इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना आसान नहीं था, बेटे को मौत के मुंह से निकालने के लिए बूढ़े पिता लक्ष्मीनारायण के पास अपनी किडनी देने के सिवाए और कोई रास्ता नहीं था और उन्होंने अपनी किडनी देकर बेटे को नई जिंदगी दी.

सालाना तीन लाख रुपए का आता है खर्च
जगदीश की दवाई और रुटीन चेकअप में अभी भी परिवार को सालाना 3 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. परिवार की माली हालत लगातार कमजोर होती जा रही है और लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है, इसके बावजूद भी परिवार खुश है कि आज उनका बेटा सही सलामत उनके बीच मौजूद है.

पिता को दिया भगवान का दर्जा
सबसे अहम बात तो ये है कि जिस तरह पिता ने बुढ़ापे में बेटे के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी ऐसे में इस बेटे के लिए पिता का दर्जा भगवान से बढ़कर हो गया है.

Intro:पिता ही भगवान

ये बेटा हर रोज मनाता है फादर्स डे

मौत के मुंह से खींच लाया बेटे को

अब पिता की भी जान है जोखिम में

*अपनी एक किडनी देकर बचाई बेटे की जान*



एंकर---कल यानि 16 जून को फादर्स डे के मौके पर आप लोगो ने फेसबुक, वाट्सअप और ट्यूटर पर खुब फादर्स डे मनाया, मगर आज हम आपको एक ऐसा पिता पुत्र से मिलवाते है जो हर रोज फादर्स डे मनाते है। ये एक ऐसे पिता की कहानी है जो अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बेटे को मौत के मुंह से खींच लाया है... दरअसल इस पिता ने मौत के मुहाने पर खड़े अपने बेटे को अपनी एक किडनी देकर नया जीवनदान दिया...... देखिए पूरी रिपोर्ट


Body:वीओ 1-----ये है देवभोग के मांझीपारा में रहने वाले 67 वर्षीय लक्ष्मीनारायण और उनका 41 वर्षीय बेटा जगदीश अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल के दिन की शुरुवात पिता के चरणों को स्पर्श करने से होती है, हो भी क्यों ना आखिर उनके पिता ने उनको एक बार नही बल्कि दो बार जन्म दिया है वो भी अपनी जान जोखिम में डालकर कर, जगदीश यदि आज अपने परिवार के साथ है तो अपने पिता की बदौलत है, जगदीश के मुताबिक उसने कभी भगवान को तो नही देखा मगर शायद भगवान उनके पिता जैसा ही होगा।
बाइट 1---जगदीश अग्रवाल, बेटा.............


वीओ 2---जगदीश अग्रवाल की कहानी भी बहुत दिलचस्प है, उसके जीवन में 4 साल पहले उस समय बड़ा झटका आ गया जब रायपुर के डॉक्टरों ने उसकी किडनी खराब होने की जानकारी दी, तकरीबन 7 लाख रुपये खर्च करने के बाद जब रायपुर के डॉक्टरों ने ईलाज करने से हाथ खडे कर दिये तो ईलाज के लिए उसे विशाखापटनम और मद्रास ले जाया गया, वहां भी 15 लाख रुपये खर्च करने के बाद आखिरकार डॉक्टरों ने उसे किडनी ट्रांसपलांट की सलाह दी, साथ ही इसमें 25 लाख रुपया खर्च होने की जानकारी दी, एक छोटी सी किराना दुकान व्यपारी के लिए इतनी बडी रकम का इंतजाम करना आसान नही था, बेटे को मौत के मुंह से निकालने के लिए बुढे पिता लक्ष्मीनारायण के पास अपनी किडनी देने के सिवाय ओर कोई रास्ता नही था, उन्होंने वही किया दो साल पहले अपनी किडनी देकर उन्होंने अपने बेटे को दुसरी जिंदगी दी।
बाइट 2---लक्ष्मीनारायण, पिता..........
Conclusion:फाईनल वीओ----जगदीश की दवाई और रुटिंन चैकिंग में अभी भी परिवार को सालाना 3 लाख रुपये खर्च करने पड रहे है, परिवार की माली हालत लगातार कमजोर होती जा रही है, परिवार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है, मगर परिवार को खुशी है कि आज उनका बेटा सही सलामत उनके बीच मौजूद है, सबसे अहम बात तो ये है कि जिस तरह पिता ने बुढापे में बेटे के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी और बेटे ने पिता को भगवान का दर्ज दे दिया तो निश्चित ही इससे पिता पुत्र के रिस्तों को एक बार फिर नया इतिहास लिखने का मौका मिलेगा।
Last Updated : Jun 18, 2019, 7:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.