गरियाबंद: धान खरीदी में देरी को लेकर सरकार और विपक्ष भले ही एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराकर खुद को किसान हितैषी साबित करने में जुटे हों, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रही तनातनी का खामियाजा मजबूर किसानों को भूगतना पड़ रहा है.
धान की फसल पक चुकी है, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरु नहीं होने के कारण किसान उसे बेच नहीं पा रहे हैं. यही नहीं मजदूरों की पेमेंट और दूसरे खर्चों के लिए भी किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर किसान
किसानों के मुताबिक धान खरीदी में देरी होने से उनकी व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई है. एक महीने तक धान को घर में रखना उनके लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. कुछ किसान तो मजबूरी में मंडी में औने-पौने दाम पर धान बेचने की तैयारी कर रहे हैं. किसान फिलहाल बेहद नाराज हैं और 15 नवबंर से धान खरीदी शुरु करने की मांग कर रहे हैं.