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अनजान बीमारी का दर्द: दिनभर रोती रहती है गरियाबंद की ये मासूम - गरियाबंद की बच्ची को बीमारी

गरियाबंद जिले के झोलाराव वनग्राम में रहने वाले एक मात-पिता अपनी बच्ची की अनजान बीमारी से परेशान हैं. ना सिर्फ माता-पिता बल्कि ढाई महीने के मासूम भी इस बीमारी के कारण ना ठीक से सो पाती है, ना ही खेल पाती है. इस अनजान बीमारी के बारे में डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं.

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मासूम बच्ची के शरीर पर काले धब्बे
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Published : May 26, 2021, 9:27 AM IST

Updated : May 26, 2021, 12:49 PM IST

गरियाबंद: ढाई माह की मासूम रवीना का दर्द जानकर आप का भी दिल पसीज जाएगा. इस बच्ची को एक ऐसी अनजान बीमारी ने घेर रखा है. जिसका नाम डॉक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं. बच्ची के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले निशान हैं. जो बच्ची को लगातार तकलीफ दे रहे हैं. यही वजह है कि बच्ची दिन-रात रोती रहती है. ठीक ढंग से सो भी नहीं पाती. पीठ में जख्म जैसे ये निशान ज्यादा हैं इसलिए सीधा लेटने में भी उसे काफी तकलीफ होती है. एक तरफ गरीबी, दूसरी तरफ अस्पतालों में कोरोना के मरीज. इस वजह से बच्ची के माता-पिता भी बच्ची का इलाज नहीं करा पा रहे हैं.

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मासूम के परिजन

प्रसव के समय नहीं पहुंच पाई थी एंबुलेंस

7 मार्च 2021 का वह दिन झोलाराव वन ग्राम के मरकाम परिवार पर मुसीबत की तरह साबित हुआ. बच्ची की मां को प्रसव पीड़ा हुई तो मितानिन ने महतारी एक्सप्रेस को फोन किया. लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई. किसी तरह मितानिन ने काफी मुश्किल से घर पर ही बच्ची की डिलीवरी कराई. बच्ची जब पैदा हुई तो परिवार वाले और मितानिन भी देख कर हैरान थे. बच्ची सामान्य नहीं थी. शरीर पर कई जगह काले चट्टे नुमा दाग थे. जो किसी जख्म की तरह लग रहे थे.

कोरोना ने रोका इलाज

जन्म के बाद बच्ची काफी देर रोती रही. जो सामान्य नवजात बच्चे भी रोते हैं. लेकिन इस बच्ची के शरीर पर काले जख्मों की वजह से बच्ची को सीधा लिटाने पर वह ज्यादा रोने लगती है. माता-पिता बच्ची का इलाज कराने अस्पताल भी नहीं ले जा पा रहे हैं. कोरोना के कारण माता-पिता को बच्ची के संक्रमण का डर सता रहा है.

गरियाबंद में आंधी-बारिश से 900 एकड़ धान की फसल बर्बाद, जिला पंचायत सदस्य ने किया निरीक्षण

जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने इलाज कराने का आश्वासन दिया

अपने जन्म के बाद से बीते ढाई महीने से बच्ची और परिजन इस समस्या से परेशान हैं. इस बीच मंगलवार को जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम क्षेत्र के दौरे पर निकले को गांव वालों ने उन्हें इस परिवार की समस्या के बारे में बताया. तो वे बच्ची का हाल देखने उसके घर पहुंचे. बच्ची की तकलीफ को देखते हुए इलाज की व्यवस्था करवाने का आश्वासन दिया.

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बच्ची के परिजनों से जानकारी लेते जिला पंचायत उपाध्यक्ष

कई डॉक्टर भी नहीं बता पाए बीमारी का नाम

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बच्ची और उसके जख्मों की फोटो ली. कई डॉक्टरों के पास बच्ची के जख्मों की तस्वीर भेजी लेकिन कोई भी डॉक्टर इस बीमारी के बारे में नहीं बता पाया. उसके बाद संजय नेताम ने इस समस्या को लेकर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नवरत्न से चर्चा की. उन्हें परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताया और इलाज करवाने में अक्षम होने की बात कही. जिला चिकित्सा अधिकारी ने बच्ची को हर संभव मदद दिलाने और उसे इलाज के लिए लाने की व्यवस्था करने की बात कही.

इलाज के लिए ले जाना होगा रायपुर

दरअसल इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी चर्म रोग विशेषज्ञ दे पाएंगे. लेकिन जिले में कोई चर्म रोग विशेषज्ञ नहीं है. इसलिए बच्ची को इलाज के लिए रायपुर ले जाना होगा. जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने सहर्ष इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया और कहा कि गरीब मजदूर की बेटी को हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन से जहां तक हो सके मदद दिलवाने की वे कोशिश करेंगे. अगर सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है तो वे निजी खर्च कर बच्ची का इलाज कराएंगे.

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गांव में नहीं है सड़क

कोरोना संक्रमित मां से गंभीर बीमारी के साथ जन्मे नवजात को मिली नई जिंदगी

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गांव

गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा झोलाराव गांव वन ग्राम है. यहां तक सड़क भी नहीं पहुंची है. किसी के बीमार पड़ने पर बुलाने पर एंबुलेंस या महतारी एक्सप्रेस भी यहां तक नहीं पहुंच पाती. 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय गौरगांव तक बीमार को कभी खाट पर तो कभी किसी और व्यवस्था से ले जाना पड़ता है. जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बताया कि यह बच्ची जिस गांव में रहती है उस गांव में सड़क के नाम पर कच्चा रास्ता है.ग्राम पंचायत मुख्यालय से गांव की ओर कच्ची सड़क गई है. झोलाराव वन ग्राम है इसकी पूरी व्यवस्था उदंती अभ्यारण को करनी चाहिए. लेकिन वे सड़क बनाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं, जिसके चलते ग्रामीण खासे परेशान हैं. जरूरत पड़ने पर गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है.

गरियाबंद: ढाई माह की मासूम रवीना का दर्द जानकर आप का भी दिल पसीज जाएगा. इस बच्ची को एक ऐसी अनजान बीमारी ने घेर रखा है. जिसका नाम डॉक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं. बच्ची के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले निशान हैं. जो बच्ची को लगातार तकलीफ दे रहे हैं. यही वजह है कि बच्ची दिन-रात रोती रहती है. ठीक ढंग से सो भी नहीं पाती. पीठ में जख्म जैसे ये निशान ज्यादा हैं इसलिए सीधा लेटने में भी उसे काफी तकलीफ होती है. एक तरफ गरीबी, दूसरी तरफ अस्पतालों में कोरोना के मरीज. इस वजह से बच्ची के माता-पिता भी बच्ची का इलाज नहीं करा पा रहे हैं.

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मासूम के परिजन

प्रसव के समय नहीं पहुंच पाई थी एंबुलेंस

7 मार्च 2021 का वह दिन झोलाराव वन ग्राम के मरकाम परिवार पर मुसीबत की तरह साबित हुआ. बच्ची की मां को प्रसव पीड़ा हुई तो मितानिन ने महतारी एक्सप्रेस को फोन किया. लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई. किसी तरह मितानिन ने काफी मुश्किल से घर पर ही बच्ची की डिलीवरी कराई. बच्ची जब पैदा हुई तो परिवार वाले और मितानिन भी देख कर हैरान थे. बच्ची सामान्य नहीं थी. शरीर पर कई जगह काले चट्टे नुमा दाग थे. जो किसी जख्म की तरह लग रहे थे.

कोरोना ने रोका इलाज

जन्म के बाद बच्ची काफी देर रोती रही. जो सामान्य नवजात बच्चे भी रोते हैं. लेकिन इस बच्ची के शरीर पर काले जख्मों की वजह से बच्ची को सीधा लिटाने पर वह ज्यादा रोने लगती है. माता-पिता बच्ची का इलाज कराने अस्पताल भी नहीं ले जा पा रहे हैं. कोरोना के कारण माता-पिता को बच्ची के संक्रमण का डर सता रहा है.

गरियाबंद में आंधी-बारिश से 900 एकड़ धान की फसल बर्बाद, जिला पंचायत सदस्य ने किया निरीक्षण

जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने इलाज कराने का आश्वासन दिया

अपने जन्म के बाद से बीते ढाई महीने से बच्ची और परिजन इस समस्या से परेशान हैं. इस बीच मंगलवार को जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम क्षेत्र के दौरे पर निकले को गांव वालों ने उन्हें इस परिवार की समस्या के बारे में बताया. तो वे बच्ची का हाल देखने उसके घर पहुंचे. बच्ची की तकलीफ को देखते हुए इलाज की व्यवस्था करवाने का आश्वासन दिया.

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बच्ची के परिजनों से जानकारी लेते जिला पंचायत उपाध्यक्ष

कई डॉक्टर भी नहीं बता पाए बीमारी का नाम

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बच्ची और उसके जख्मों की फोटो ली. कई डॉक्टरों के पास बच्ची के जख्मों की तस्वीर भेजी लेकिन कोई भी डॉक्टर इस बीमारी के बारे में नहीं बता पाया. उसके बाद संजय नेताम ने इस समस्या को लेकर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नवरत्न से चर्चा की. उन्हें परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताया और इलाज करवाने में अक्षम होने की बात कही. जिला चिकित्सा अधिकारी ने बच्ची को हर संभव मदद दिलाने और उसे इलाज के लिए लाने की व्यवस्था करने की बात कही.

इलाज के लिए ले जाना होगा रायपुर

दरअसल इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी चर्म रोग विशेषज्ञ दे पाएंगे. लेकिन जिले में कोई चर्म रोग विशेषज्ञ नहीं है. इसलिए बच्ची को इलाज के लिए रायपुर ले जाना होगा. जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने सहर्ष इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया और कहा कि गरीब मजदूर की बेटी को हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन से जहां तक हो सके मदद दिलवाने की वे कोशिश करेंगे. अगर सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है तो वे निजी खर्च कर बच्ची का इलाज कराएंगे.

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गांव में नहीं है सड़क

कोरोना संक्रमित मां से गंभीर बीमारी के साथ जन्मे नवजात को मिली नई जिंदगी

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गांव

गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा झोलाराव गांव वन ग्राम है. यहां तक सड़क भी नहीं पहुंची है. किसी के बीमार पड़ने पर बुलाने पर एंबुलेंस या महतारी एक्सप्रेस भी यहां तक नहीं पहुंच पाती. 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय गौरगांव तक बीमार को कभी खाट पर तो कभी किसी और व्यवस्था से ले जाना पड़ता है. जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बताया कि यह बच्ची जिस गांव में रहती है उस गांव में सड़क के नाम पर कच्चा रास्ता है.ग्राम पंचायत मुख्यालय से गांव की ओर कच्ची सड़क गई है. झोलाराव वन ग्राम है इसकी पूरी व्यवस्था उदंती अभ्यारण को करनी चाहिए. लेकिन वे सड़क बनाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं, जिसके चलते ग्रामीण खासे परेशान हैं. जरूरत पड़ने पर गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है.

Last Updated : May 26, 2021, 12:49 PM IST
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