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महाशिवरात्रि: यहां आज भी बढ़ रहा है भूतेश्वर नाथ शिवलिंग - har har mahadev

महाशिवरात्रि पर विश्व के इस सबसे बड़े शिवलिंग भूतेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. ये प्राकृतिक शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है. भूतेश्वर को पंचभूतों का स्वामी माना जाता है.

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भूतेश्वर नाथ शिवलिंग की महिमा
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Published : Mar 11, 2021, 1:21 PM IST

गरियाबंद: महाशिवरात्रि के मौके पर ETV भारत पर विश्व के सबसे विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करिए. ये शिवलिंग गरियाबंद जिले में स्थित है. इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि ये आज भी बढ़ रहा है. हरी-भरी प्राकृतिक वादियों के बीच जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज 3 किलोमीटर दूर भूतेश्वर नाथ शिवलिंग स्थित है. जहां दूर-दूर से शिवभक्त पहुंचते हैं. भक्तों का कहना है यहां मांगी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है. ये प्राकृतिक शिवलिंग जमीन से लगभग 72 फीट ऊंचा और 210 फीट गोलाकार है. सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है.

भूतेश्वर नाथ शिवलिंग

महाशिवरात्रि के दिन लगभग 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. सावन भर यहां भक्तों और कांवरियों का रेला लगा रहता है. चलो बुलावा आया है. भूतेश्वर ने बुलाया है इसी जयकारे के साथ भूतेश्वर महादेव के भक्त महाशिवरात्रि पर जल चढ़ाने यहां पहुंचते हैं. हर साल यहां महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है.

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लगातार बढ़ रहा है प्राकृतिक शिवलिंग
इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती-बाड़ी थी. शोभासिंह जब शाम को अपने खेत में घूमने जाते थे तो उन्हें खेत के पास एक विशेष आकृतिनुमा टीले के पास सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाज आती थी. यही आवाज गांव वालों ने भी सुनी. कई बार लगातार आवाज सुनने के बाद ग्रामीणों ने सांड और शेर की आसपास खोज की. लेकिन दूर-दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर टीले के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ने लगी. लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे. पारागांव के लोग बताते हैं कि पहले यह टीला छोटे रूप में था. धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई और गोलाई बढ़ती गई. जो आज भी निरंतर बढ़ ही रही है.

दूर-दूर से पहुंचते है श्रद्धालु

भूतेश्वर नाथ के दर्शन करने ना सिर्फ प्रदेश बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी भक्त पहुंचते है. बिलासपुर से यहां पहुंचे भक्तों ने बताया कि उन्होंने यहां की महिमा के बारे में काफी सुना था. जिसके बाद उन्होंने यहां आने का फैसला किया. महाशिवरात्रि पर यहां पहुंचकर भक्त अपने आप को काफी सौभाग्यशाली मानते हैं. एक और भक्त ने बताया कि यहां जल चढ़ाने से आत्मिक शांति मिलती है. यहां तीन दिवस तक संत समागम होता है.

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गिरिवन है गरियाबंद

यह समस्त क्षेत्र गिरी (पर्वत) और जंगल से आच्छादित है. इसे गिरिवन क्षेत्र कहा जाता था. जो बाद में गरियाबंद कहलाया. भूतेश्वर नाथ पंचभूतों के स्वामी है. भूतेश्वर नाथ प्रांगण में गणेश मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राम जानकी मंदिर, यज्ञ मंडप, दो सामुदायिक भवन, एक सांस्कृतिक भवन और बजरंग बली का मंदिर है.

गरियाबंद: महाशिवरात्रि के मौके पर ETV भारत पर विश्व के सबसे विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करिए. ये शिवलिंग गरियाबंद जिले में स्थित है. इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि ये आज भी बढ़ रहा है. हरी-भरी प्राकृतिक वादियों के बीच जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज 3 किलोमीटर दूर भूतेश्वर नाथ शिवलिंग स्थित है. जहां दूर-दूर से शिवभक्त पहुंचते हैं. भक्तों का कहना है यहां मांगी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है. ये प्राकृतिक शिवलिंग जमीन से लगभग 72 फीट ऊंचा और 210 फीट गोलाकार है. सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है.

भूतेश्वर नाथ शिवलिंग

महाशिवरात्रि के दिन लगभग 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. सावन भर यहां भक्तों और कांवरियों का रेला लगा रहता है. चलो बुलावा आया है. भूतेश्वर ने बुलाया है इसी जयकारे के साथ भूतेश्वर महादेव के भक्त महाशिवरात्रि पर जल चढ़ाने यहां पहुंचते हैं. हर साल यहां महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है.

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लगातार बढ़ रहा है प्राकृतिक शिवलिंग
इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती-बाड़ी थी. शोभासिंह जब शाम को अपने खेत में घूमने जाते थे तो उन्हें खेत के पास एक विशेष आकृतिनुमा टीले के पास सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाज आती थी. यही आवाज गांव वालों ने भी सुनी. कई बार लगातार आवाज सुनने के बाद ग्रामीणों ने सांड और शेर की आसपास खोज की. लेकिन दूर-दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर टीले के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ने लगी. लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे. पारागांव के लोग बताते हैं कि पहले यह टीला छोटे रूप में था. धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई और गोलाई बढ़ती गई. जो आज भी निरंतर बढ़ ही रही है.

दूर-दूर से पहुंचते है श्रद्धालु

भूतेश्वर नाथ के दर्शन करने ना सिर्फ प्रदेश बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी भक्त पहुंचते है. बिलासपुर से यहां पहुंचे भक्तों ने बताया कि उन्होंने यहां की महिमा के बारे में काफी सुना था. जिसके बाद उन्होंने यहां आने का फैसला किया. महाशिवरात्रि पर यहां पहुंचकर भक्त अपने आप को काफी सौभाग्यशाली मानते हैं. एक और भक्त ने बताया कि यहां जल चढ़ाने से आत्मिक शांति मिलती है. यहां तीन दिवस तक संत समागम होता है.

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गिरिवन है गरियाबंद

यह समस्त क्षेत्र गिरी (पर्वत) और जंगल से आच्छादित है. इसे गिरिवन क्षेत्र कहा जाता था. जो बाद में गरियाबंद कहलाया. भूतेश्वर नाथ पंचभूतों के स्वामी है. भूतेश्वर नाथ प्रांगण में गणेश मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राम जानकी मंदिर, यज्ञ मंडप, दो सामुदायिक भवन, एक सांस्कृतिक भवन और बजरंग बली का मंदिर है.

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