ETV Bharat / state

राम वन गमन पथ: भगवान राम ने यहीं किया था पिता राजा दशरथ का पिंडदान

राम वन गमन के तहत गरियाबंद के राजिम को विकसित करने की योजना के तहत 17 करोड़ रुपये की लागत से कार्य करने की योजना बनाई गई है. छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रथम चरण में 6 करोड़ रुपए स्वीकृत करते हुए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है.

author img

By

Published : Dec 31, 2020, 8:22 PM IST

17-crore-rupees-allotted-for-rajim-under-ram-van-gaman-project
गरियाबंद के राजिम को विकसीत करने 17 करोड़ रुपये होंगे खर्च

गरियाबंद: राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग यूं ही नहीं कहा जाता, यहां कण-कण में भगवान बसते हैं. मंदिरों की इस नगरी में राम वन गमन काल के दौरान प्रभु श्री राम खुद पधारे थे. यहां के लोमस ऋषि आश्रम में वे रुके थे. इस दौरान शंकर जी की पूजा अर्चना करने माता सीता ने रेत से पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण किया था. एक मान्यता यह भी है कि राजिम में ही प्रभु को उनके पिता राजा दशरथ के निधन की सूचना मिली थी, जिसके बाद यहां उन्होंने उनका पिंडदान भी किया था.

गरियाबंद के राजिम को विकसीत करने 17 करोड़ रुपये होंगे खर्च

राम वन गमन काल के दौरान छत्तीसगढ़ में प्रभु राम 9 स्थानों पर रुके थें, उनमें से राजिम सबसे महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पर विशेष ध्यान देते हुए राम वन गमन पथ विकसित करने की योजना के तहत राजिम में 17 करोड़ रुपये की लागत से कार्य करने की योजना बनाई है. राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 6 करोड़ रुपए स्वीकृत करते हुए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है.

वनवास के दौरान रामगढ़ की गुफाओं में ठहरे थे प्रभु श्रीराम

भव्य स्वागत द्वार के निर्माण की तैयारी

छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन पथ विकास योजना के तहत यहां भगवान राम से जुड़ी कलाकृतियों के जरिए स्वागत द्वार के निर्माण की तैयारियां की हैं. वहीं त्रिवेणी संगम स्थल के आसपास निर्मित सभी सड़कों पर प्रभु श्रीराम के बाल्यकाल और शैशव काल के अलग-अलग चित्र वॉल पेंटिंग के जरिए उकेरे जाएंगे. इसके अलावा राजीव लोचन मंदिर के आसपास स्थित व्यवसायिक दुकानों को भी हटा कर उन्हें व्यवस्थित रूप दिया जाएगा. लोमस ऋषि आश्रम को विशेष रूप से विकसित किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ : राम वन गमन पथ को सरकार करेगी विकसित, जानिए कहां-कहां पड़े थे श्रीराम के चरण

मंदिर की महिमा अपरंपार

राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर पैरी शोढुर और महानदी के संगम पर स्थित इस मंदिर की महिमा जानकर आप भी यहां जरूर आना चाहेंगे. राजिम में प्रभु राम ने अपने वन गमन काल के दौरान समय व्यतीत किया था, वे यहां लोमस आश्रम में रुके थें. यहां से भगवान राम ने सिहावा की पहाड़ियों से बस्तर होते हुए सुकमा से दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान किया था.

प्रभु राम के चरणों से पावन हुई राजीम की धरती के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा बताया जाता है कि त्रेता युग में वनवास के दौरान प्रभु राम माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ जब लोमस ऋषि आश्रम पहुंचे तो अपने आराध्य शिवजी की पूजा के लिए उन्होंने हनुमान जी को शिवलिंग लेने भेजा था. लेकिन जब भगवान हनुमान को आने में देर हुई तब माता सीता ने त्रिवेणी के संगम स्थल पर रेत की मदद से पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण किया था. इसी शिवलिंग की जगह पर आठवीं शताब्दी में एक राजा ने कुलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया. इस मंदिर में कई शिलालेख आज भी मौजूद हैं.

राम का ननिहाल: यहां माता कौशल्या ने लिया था जन्म !

सारी मनोकामना होती है पूरी

इस पावन कुलेश्वर मंदिर में हर साल पुन्नी मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता सीता द्वारा पूजन किया गया यह शिवलिंग काफी शक्तिशाली है, यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है. अलग-अलग कालखंड में कई साहित्यकारों ने भी यहां की महिमा का उल्लेख अपने लेखों के जरिए किया है.

इस मंदिर को लेकर जानकारी पत्रकार मनीष दुबे बताते हैं कि यह मंदिर नदी के बीच संगम पर होने के चलते हर साल बरसात में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है. लेकिन भारी बारिश होने पर भी शिवलिंग तक पानी नहीं पहुंचता. इसके अलावा सरकार ने भी लक्ष्मण झूला का निर्माण करा रही है ताकि बरसात के दिनों में भी लोग यहां दर्शन करने पहुंच पाएं.

शिवरीनारायण के साथ 'छत्तीसगढ़ के काशी' का भी होगा विकास

इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि यहां की देखरेख और पूजा-अर्चना ठाकुर समाज के पुजारी करते हैं. देशभर में मात्र राजीम में ही ऐसे मंदिर हैं, जहां राजपूत परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.

बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप जारी

इधर, राम वन गमन यात्रा पर भी राजनीति गरर्माई हुई है. कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है. जहां कांग्रेस लगातार भाजपा पर ये आरोप लगा रही है कि बीजेपी राम के नाम पर वोट बटोरती है, वहीं भाजपा भी लगातार कांग्रेस पर राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

वहीं सरकार की इस योजना से राजिम के स्थानीय लोग भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि राम वन गमन पथ से राजिम पर्यटन के क्षेत्र में और भी विकसीत होगा.

गरियाबंद: राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग यूं ही नहीं कहा जाता, यहां कण-कण में भगवान बसते हैं. मंदिरों की इस नगरी में राम वन गमन काल के दौरान प्रभु श्री राम खुद पधारे थे. यहां के लोमस ऋषि आश्रम में वे रुके थे. इस दौरान शंकर जी की पूजा अर्चना करने माता सीता ने रेत से पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण किया था. एक मान्यता यह भी है कि राजिम में ही प्रभु को उनके पिता राजा दशरथ के निधन की सूचना मिली थी, जिसके बाद यहां उन्होंने उनका पिंडदान भी किया था.

गरियाबंद के राजिम को विकसीत करने 17 करोड़ रुपये होंगे खर्च

राम वन गमन काल के दौरान छत्तीसगढ़ में प्रभु राम 9 स्थानों पर रुके थें, उनमें से राजिम सबसे महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पर विशेष ध्यान देते हुए राम वन गमन पथ विकसित करने की योजना के तहत राजिम में 17 करोड़ रुपये की लागत से कार्य करने की योजना बनाई है. राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 6 करोड़ रुपए स्वीकृत करते हुए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है.

वनवास के दौरान रामगढ़ की गुफाओं में ठहरे थे प्रभु श्रीराम

भव्य स्वागत द्वार के निर्माण की तैयारी

छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन पथ विकास योजना के तहत यहां भगवान राम से जुड़ी कलाकृतियों के जरिए स्वागत द्वार के निर्माण की तैयारियां की हैं. वहीं त्रिवेणी संगम स्थल के आसपास निर्मित सभी सड़कों पर प्रभु श्रीराम के बाल्यकाल और शैशव काल के अलग-अलग चित्र वॉल पेंटिंग के जरिए उकेरे जाएंगे. इसके अलावा राजीव लोचन मंदिर के आसपास स्थित व्यवसायिक दुकानों को भी हटा कर उन्हें व्यवस्थित रूप दिया जाएगा. लोमस ऋषि आश्रम को विशेष रूप से विकसित किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ : राम वन गमन पथ को सरकार करेगी विकसित, जानिए कहां-कहां पड़े थे श्रीराम के चरण

मंदिर की महिमा अपरंपार

राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर पैरी शोढुर और महानदी के संगम पर स्थित इस मंदिर की महिमा जानकर आप भी यहां जरूर आना चाहेंगे. राजिम में प्रभु राम ने अपने वन गमन काल के दौरान समय व्यतीत किया था, वे यहां लोमस आश्रम में रुके थें. यहां से भगवान राम ने सिहावा की पहाड़ियों से बस्तर होते हुए सुकमा से दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान किया था.

प्रभु राम के चरणों से पावन हुई राजीम की धरती के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा बताया जाता है कि त्रेता युग में वनवास के दौरान प्रभु राम माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ जब लोमस ऋषि आश्रम पहुंचे तो अपने आराध्य शिवजी की पूजा के लिए उन्होंने हनुमान जी को शिवलिंग लेने भेजा था. लेकिन जब भगवान हनुमान को आने में देर हुई तब माता सीता ने त्रिवेणी के संगम स्थल पर रेत की मदद से पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण किया था. इसी शिवलिंग की जगह पर आठवीं शताब्दी में एक राजा ने कुलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया. इस मंदिर में कई शिलालेख आज भी मौजूद हैं.

राम का ननिहाल: यहां माता कौशल्या ने लिया था जन्म !

सारी मनोकामना होती है पूरी

इस पावन कुलेश्वर मंदिर में हर साल पुन्नी मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता सीता द्वारा पूजन किया गया यह शिवलिंग काफी शक्तिशाली है, यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है. अलग-अलग कालखंड में कई साहित्यकारों ने भी यहां की महिमा का उल्लेख अपने लेखों के जरिए किया है.

इस मंदिर को लेकर जानकारी पत्रकार मनीष दुबे बताते हैं कि यह मंदिर नदी के बीच संगम पर होने के चलते हर साल बरसात में चारों तरफ से पानी से घिर जाता है. लेकिन भारी बारिश होने पर भी शिवलिंग तक पानी नहीं पहुंचता. इसके अलावा सरकार ने भी लक्ष्मण झूला का निर्माण करा रही है ताकि बरसात के दिनों में भी लोग यहां दर्शन करने पहुंच पाएं.

शिवरीनारायण के साथ 'छत्तीसगढ़ के काशी' का भी होगा विकास

इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि यहां की देखरेख और पूजा-अर्चना ठाकुर समाज के पुजारी करते हैं. देशभर में मात्र राजीम में ही ऐसे मंदिर हैं, जहां राजपूत परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.

बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप जारी

इधर, राम वन गमन यात्रा पर भी राजनीति गरर्माई हुई है. कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है. जहां कांग्रेस लगातार भाजपा पर ये आरोप लगा रही है कि बीजेपी राम के नाम पर वोट बटोरती है, वहीं भाजपा भी लगातार कांग्रेस पर राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

वहीं सरकार की इस योजना से राजिम के स्थानीय लोग भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि राम वन गमन पथ से राजिम पर्यटन के क्षेत्र में और भी विकसीत होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.