दुर्ग: विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने दुर्ग जिले के ओडीएफ गांव रिसामा का चयन सरपंच संवाद के लिए किया गया था. जिला एनआईसी सेंटर में वर्चुअल माध्यम से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ग्राम रिसामा की सरपंच गीता महानंद से चर्चा की. उन्होंने उनके गांव की सफलता की कहानी की जानकारी ली गई.
जिला मुख्यालय दुर्ग से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम पंचायत रिसामा. गांव आबादी लगभग 3 हजार की है, कुल 587 परिवार है. जहं कुल निर्मित शौचालय की संख्या भी 587 है. जबकि सामुदायिक शौचालयों की संख्या 2 है. अलग से चार यूरिनल बनाए गए हैं. इस गांव को खुले में शौच मुक्त गांव 15 सितंबर 2016 को घोषित किया गया था. ग्राम पंचायत के लगातार किए गए प्रयासों के कारण यह ओडीएफ घोषित हुआ है.
ग्राम पंचायत की कोशिशों ने बदली गांव की तस्वीर
रिसामा ग्राम पंचायत आज पूरे जिले के लिए प्ररेणा और आदर्श ग्राम बन चूका है. रिसामा की तस्वीर कुछ साल पहले दूसरे पंचायतों की तरह ही थी, जहां स्वच्छता और सुविधाओं का आभाव हुआ करता था. लेकिन देश में चल रहे स्वच्छता अभियान से जुड़कर इस पंचायत ने अपनी बदहाल तस्वीर को बदल दिया. गांव में महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था और गांव में फैली गंदगी से ग्रामीणों को परेशानी होती थी.
पढ़ें-World Toilet Day 2020: शौचालय के उपयोग के प्रति जागरूक हो रहे ग्रामीण
इन्हीं सब परेशानियों को ध्यान में रखते हुए गांव की महिला सरपंच गीता महानंदा प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ी. सरपंच गीता महानंद ने महज 8वीं तक की पढ़ाई की हैं, लेकिन उनके हौसलों और प्रयासों ने पूरे पंचायत को एक शौच मुक्त आर्दश ग्राम के रूप में स्थापित कर दिया. महिला सरपंच ने ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर गांव को स्वच्छ करने की मुहिम छेड़ दी.
ग्रामीणों ने भी दिया सहयोग
गांव के सभी घरों में शौचलय का निर्माण कराया गया. यहां लगभग 587 घर है, सभी घरों में शौचलय है. जो कि अपने आप में मिसाल है. इतना ही नहीं पंचायत द्वारा खुले में शौच करने वाले ग्रामीणों पर 250 रुपये जुर्माना वसूला गया. जुर्माने से 12 हजार रुपये एकत्रित हुए थे. इस एकत्र की गई धन राशि से ग्राम पंचायत में समुदायिक शौचालय का निर्माण भी किया गया. ग्रामीणों ने भी ग्राम पंचायत और सरपंच के फैसले का स्वागत किया और पूरा सहयोग दिया.