दुर्ग: रूस के हमले बाद यूक्रेन में हर तरफ अफरा-तफरी मच गई है. ऐसे में भारत में रह रहे उन मां-बाप की नींद उड़ी है, जिनके बच्चे वहां फंसे हुए हैं. भिलाई मॉडल टाउन निवासी अशोक पाण्डेय का कहना है कि, उनकी बेटी वहां डर के साय में जी रही है. उनकी भूख प्यास और नींद बेटी की चिंता में उड़ी हुई है. उनका कहना है कि, वह वीडियो कॉलिंग से बेटी का हाल जान रहे हैं. बात करते हुए बेटी अपने माता-पिता को दिलासा दे रही है. बंकर में रात गुजारने के बाद भी बेटी कहती है कि पापा आप चिंता न करो... मैं ठीक हूं. उनके सीनियर्स पैरेंटस की तरह उनकी देखभाल कर रहे हैं. दुखी पिता ने भारत सरकर से सभी बच्चों को सुरक्षित वापस लाने की गुहार लगाई है.
अशोक पाण्डेय की बेटी दीप्ती पाण्डेय यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गई है. इस समय वहां रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी हुई है. पिता अशोक पाण्डेय का कहना है कि उनकी बेटी वहां मुसीबत में है. भारत सरकार से गुजारिश है कि वहां फंसे बच्चों को वापस लाने के इंतजाम करें. भले ही उनकी बेटी एक बाप को हिम्मत दे रही है. लेकिन वहां की भयावह स्थिति को हर पिता समझ रहा है. वहां माइनस डिग्री तापमान है. ऐसे में बच्चों को डर के साये में रात गुजारनी पड़ रही है. इससे उनकी सेहत पर काफी फर्क पड़ रहा है. उनकी तबीयत भी खराब होना शुरू हो गई है. जीवन की आस को लेकर बच्चे पूरी हिम्मत के साथ वहां टिके हुए हैं. उनकी ये हिम्मत टूटे इससे पहले भारत सरकार को उन्हें सुरक्षित लाने के लिए कदम उठाना चाहिए.
यूक्रेन में दहशत के बीच जीने को मजबूर हैं बच्चे
अशोक पाण्डेय ने बताया कि, यूक्रेन का माहौल बहुत ही दहशत भरा है. मेट्रो में शिफ्ट होने के लिए बोला जा रहा है. बंकर में रात गुजारनी पड़ रही है. धमाकों की आवाज से बच्चे सो नहीं पा रहे हैं. इससे उनकी बेटी ही नहीं सभी बच्चे बहुत घबराहट में जी रहे हैं.
सीनियर अदा कर रहे पैरेंट्स का रोल
यूक्रेन में फंसी दीप्ती ने पिता को बताया कि यूक्रेन की सरकार कोई मदद नहीं कर रही है. हॉस्टल और मेडिकल यूनिवर्सिटी में जो उनके भारतीय सीनियर्स हैं, वो उनके पैरेंट्स का रोल अदा कर रहे हैं. लोग डिसाइड कर रहे हैं कि उन्हें कहां रखना है और वह कैसे सुरक्षित रह पाएंगे. 24 फरवरी की सुबह सीनियर्स ने सभी बच्चों को बोला कि वह अपने जरूरी दस्तावेज, खाने का सामान और पीने का पानी साथ ही रखे. ताकि कभी मेट्रो या अन्य जगह शिफ्ट किया जा सकता है. सुबह के लिए खाने पीने का सामान वह लोग खरीद चुके हैं और अभी अपने हॉस्ट्ल में थोड़ी देर के लिए आराम करने का मौका दिया गया है.
26 को थी बेटी की फ्लाइट, रद्द होने कारण नहीं आ पाई
पिता ने बताया कि उनकी बेटी का खारक्यू से दिल्ली के लिए 26 फरवरी को फ्लाइट था. उन्होंने 24 फरवरी को बेटी को फोन पर कहा कि वह दिल्ली से रायपुर के लिए भी फ्लाइट की टिकट करवा दें, तो दीप्ती ने बताया कि सुबह ही खारक्यू और क्यू में एयर स्ट्राइक हुई है और जो उनकी फ्लाइट थी वह रद्द हो गई है. इससे सभी बच्चे वहीं फंस गए हैं. अभी कोई निश्चित नहीं कि वह कब वापस आ पाएंगे.
छत्तीसगढ़ के लगभग 6 बच्चे फंसे हैं
अशोक पाण्डेय ने बताया कि खारक्यू में जहां उनकी बेटी फंसी हुई है, वहां भारत से लगभग 150 बच्चे हैं. छत्तीसगढ़ से भी लगभग 6 बच्चे हैं. इसी तरह भारत के काफी बच्चे फंसे हुए हैं. सभी को सुरक्षित वापस लाना बहुत जरूरी है.
बेटी की सुरक्षा को लेकर माता-पिता परेशान
नेहरू नगर निवासी मनोज कलिहारी और उनकी पत्नी दिव्या कलिहारी बेटी श्रुति कलिहारी की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं. उनका कहना है कि वह भगवान से एक ही दुआ करते हैं कि उनकी बेटी सुरक्षित भारत वापस लौट आये. उन्होंने भी छत्तीसगढ़ सरकार और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
परेशान परिजनों से मिलने पहुंचे दुर्ग विधायक
दुर्ग विधायक अरुण वोरा, अशोक पाण्डेय के घर मॉडल टाउन पहुंचे, जहां उन्होंने वहां उनका हाल जाना. वीडियो कॉलिंग से दीप्ती से बात कर वहां की स्थिति के बारे में जानकारी ली. वोरा ने कहा कि छ्त्तीसगढ़ सरकार बच्चों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इसके लिए भारत सरकार से लगातार चर्चा की जा रही है. जल्द ही सभी बच्चे सुरक्षित आ जाएंगे.