दुर्ग: करीब दो साल पहले बाल संप्रेक्षण गृह से अनुशासनहीनता की खबरें आती थीं, अब परिसर का माहौल बिल्कुल बदल गया है. अपने हुनर को निखारने का माहौल हर तरफ नजर आता है. बच्चों की खूबसूरत पेंटिंग्स से पूरा परिसर सजा हुआ है. बच्चे कहीं वॉलीबॉल खेलते बच्चे नजर आ रहे हैं और है तो बैठकर कैरम खेल रहे हैं. कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने विभागीय मदद और प्रशासनिक मदद से ऐसे कदम उठाये, जिनसे संस्था में सीखने का माहौल व अच्छे नागरिक के रूप में विकसित होने में मदद मिली.
कलेक्टर ने की पहल
कलेक्टर ने यहां बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने की दिशा में निर्देश दिये थे. कैंपस की सुरक्षा बढ़ाने व बच्चों के मनोरंजन के साथ टीचिंग के पूरे इंतजाम करने के निर्देश दिये थे. इनका सुखद नतीजा सामने आया है और कैंपस बहुत सुंदर और सुविधाओं से परिपूर्ण हो गया है. यहां के बेहतर माहौल में बच्चे काफी कुछ रचनात्मक सीखेंगे जो उनके सुखद भविष्य की नींव बनेगा.
संप्रेक्षण गृह में लगाए गए 37 कैमरे
DMP की मदद से पूरे कैंपस में CCTV कैमरे लगाए गए हैं. इन 37 कैमरों के माध्यम से कैंपस की गतिविधि पर नजर रखी जाती है. कैमरे भी दीवार के अंदर लगाए गए है. लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई और व्यवस्था की निरंतर मॉनिटरिंग की गई.
रचनात्मक गतिविधियों से बच्चों में आया बदलाव
जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगाया गया. वे अच्छी बातें सीखेंगे तो उनका दिमाग भी इधर-उधर नहीं भटकेगा. अच्छी-अच्छी किताबें लाइब्रेरी में रखी गई है. इसमें गांधी-नेहरू और अन्य महापुरुषों का जीवन वृतांत है. कुछ मनोरंजक कहानियां है. कैंपस में टीवी की व्यवस्था है. इंडोर गेम में कैरम, चेस, लूडो है. वॉलीबॉल और बैडमिंटन कोर्ट भी है. इस तरह इंडोर और आउटडोर दोनों तरह के गेम्स में बच्चे मस्त रहते हैं.
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बच्चों और किशोरों ने बनाई खूबसूरत पेंटिंग
त्योहारों में या अन्य आयोजनों में बच्चों की प्रतियोगिताएं होती हैं. अभी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग बनाओ प्रतियोगिता हुई और बच्चों ने बहुत सुंदर शिवलिंग बनाये. उनकी खूबसूरत तस्वीरों से पूरा परिसर पटा पड़ा है. कुछ बच्चे तो बहुत ही अच्छे पेंटर हैं. एक बच्चे ने काशी में शिव जी के प्रवास पर तस्वीर बनाई है. जिसमें शिव जी अन्नपूर्णा के द्वार भिक्षा मांगने याचक के रूप में आते हैं. यूनिसेफ की टीम ने भी यहां की तारीफ की.
पढ़ाया जा रहा नैतिक शिक्षा का पाठ
हर दिन यहां विशेष रूप से पढ़ाई हो रही है. इसमें गणित, विज्ञान और नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है. कक्षाएं सुबह दस बजे से चार बजे के बीच होती हैं. जिन बच्चों को अन्य हुनर सीखना होता है उनके लिए भी व्यवस्था है. प्लेस ऑफ सेफ्टी के एक बच्चे ने यहां रहकर इतनी अच्छी सिलाई सीख ली कि अपने साथियों के नाप के कपड़े तैयार कर रहा है.
खाने-नाश्ते की मुकम्मल व्यवस्था
बच्चों को अच्छा खाना मिले. उन्हें पूरी तरह से सुविधा मिले. इसकी विशेष व्यवस्था की गई है. बच्चों को दो टाइम खाना और दो टाइम नाश्ता दिया जाता है. इसके अलावा शुद्ध पेयजल, कूलर की भी व्यवस्था की गई है. बच्चों के रिक्रिएशन के लिए अलग से भवन भी बन रहा है. प्लेस ऑफ सेफ्टी और संप्रेक्षण गृह दोनों की नई बिल्डिंग भी तैयार हो रही है.