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टॉयलेट एक 'टॉर्चर कथा': शौचालय बनवाने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार

स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने पर गांव के एक परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है.

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Published : Nov 26, 2019, 8:46 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 9:27 PM IST

Sahu family getting punishment for building toilets in patan
साहू परिवार को शौचालय की सजा

दुर्ग : देश की आजादी को 70 साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आज भी हमारा समाज दकियानूसी सोच का शिकार है. एक तरफ जहां सरकार लोगों से स्वच्छता की मुहिम से जुड़ने की अपील कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर दुर्ग के पाटन गांव में एक परिवार को शौचालय बनवाने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.

शौचालय बनवाने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार

साहू परिवार को शौचालय बनाने की वजह से सामाज ने बहिष्कार कर दिया है. और, ये सब हो रहा है सीएम भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन में. बताया जा रहा है कि गांव के दबंग परिवारों ने इन 16 सदस्यों के परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का ऐलान किया है, जिसका समर्थन गांव के सभी लोग कर रहे हैं.

इस परिवार की 'गलती' सिर्फ इतनी है कि इसने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर के बाहर शौचालय बना लिया. इसकी सजा उस परिवार को सामाजिक बहिष्कार के रुप में मिली. पीड़ित परिवार ने अधिकारियों से गुहार लगाई है. और गांव में बराबरी के हक की मांग की है.

बता दें कि गांव के कुछ दबंग और रसूखदारों ने इनके अधिकारों पर पाबंदी लगा दी है. साहू परिवार का कसूर बस इतना था कि उन्होंने अपने आंगन में गेट और शौचालय का निर्माण कराया था, आरोप है कि गांव के अरुण चंद्राकर, कुंजेश चंद्राकर, शत्रुध्न साहू, नरेश यादव, पुरानिक साहू की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई.

शौचालय का निर्माण वैध
दबंगों ने इस परिवार पर यह आरोप लगाया कि शौचालय का निर्माण शासकीय भूमि पर कराया गया है. इसके बाद पटवारी से लेकर तमाम कानूनी दांव पेच पूरे होने के बाद यह तो साबित हो गया कि शौचालय का निर्माण वैध था. बावजूद सरकारी आदेश को दरकिनार कर अपने आप को गांव के हुक्मरान समझने वाले लोगों ने इस पर निजी आपत्ति दर्ज करते हुए इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया.

बिना वजह लगाया गया अर्थदंड
इस सामाजिक बहिष्कार की कहानी यहीं नहीं खत्म हुई. दंबगों ने इन पर अर्थदंड भी लगा दिया. प्रार्थी परिवार ने दंड का भी भुगतान किया इसके बाद भी प्रताड़ना कम नहीं हुई. गांव के लोगों ने बैठक बुला कर इनके साथ किसी भी तरह की बातचीत करने और लेनदेन के लिए मना कर दिया.

सांसद, विधायक से भी लगा चुके हैं गुहार
पीड़ित परिवार एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद समेत सभी के दरवाजे खट्खटा चुका है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. इस मामले को लेकर जब ETV भारत ने एसएसपी से बात की तो उन्होंने मामले में जांच की बात कही. वहीं एसएसपी ने परिवार के हुक्का पानी बंद करने को लेकर अधिकारियों को जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र में ऐसी घटनाएं हो रही है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दूराज के इलाकों में क्या होता होगा. ऐसे में देखना होगा कि साहू परिवार को कब तक न्याय मिल पाता है.

दुर्ग : देश की आजादी को 70 साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आज भी हमारा समाज दकियानूसी सोच का शिकार है. एक तरफ जहां सरकार लोगों से स्वच्छता की मुहिम से जुड़ने की अपील कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर दुर्ग के पाटन गांव में एक परिवार को शौचालय बनवाने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.

शौचालय बनवाने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार

साहू परिवार को शौचालय बनाने की वजह से सामाज ने बहिष्कार कर दिया है. और, ये सब हो रहा है सीएम भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन में. बताया जा रहा है कि गांव के दबंग परिवारों ने इन 16 सदस्यों के परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का ऐलान किया है, जिसका समर्थन गांव के सभी लोग कर रहे हैं.

इस परिवार की 'गलती' सिर्फ इतनी है कि इसने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर के बाहर शौचालय बना लिया. इसकी सजा उस परिवार को सामाजिक बहिष्कार के रुप में मिली. पीड़ित परिवार ने अधिकारियों से गुहार लगाई है. और गांव में बराबरी के हक की मांग की है.

बता दें कि गांव के कुछ दबंग और रसूखदारों ने इनके अधिकारों पर पाबंदी लगा दी है. साहू परिवार का कसूर बस इतना था कि उन्होंने अपने आंगन में गेट और शौचालय का निर्माण कराया था, आरोप है कि गांव के अरुण चंद्राकर, कुंजेश चंद्राकर, शत्रुध्न साहू, नरेश यादव, पुरानिक साहू की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई.

शौचालय का निर्माण वैध
दबंगों ने इस परिवार पर यह आरोप लगाया कि शौचालय का निर्माण शासकीय भूमि पर कराया गया है. इसके बाद पटवारी से लेकर तमाम कानूनी दांव पेच पूरे होने के बाद यह तो साबित हो गया कि शौचालय का निर्माण वैध था. बावजूद सरकारी आदेश को दरकिनार कर अपने आप को गांव के हुक्मरान समझने वाले लोगों ने इस पर निजी आपत्ति दर्ज करते हुए इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया.

बिना वजह लगाया गया अर्थदंड
इस सामाजिक बहिष्कार की कहानी यहीं नहीं खत्म हुई. दंबगों ने इन पर अर्थदंड भी लगा दिया. प्रार्थी परिवार ने दंड का भी भुगतान किया इसके बाद भी प्रताड़ना कम नहीं हुई. गांव के लोगों ने बैठक बुला कर इनके साथ किसी भी तरह की बातचीत करने और लेनदेन के लिए मना कर दिया.

सांसद, विधायक से भी लगा चुके हैं गुहार
पीड़ित परिवार एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद समेत सभी के दरवाजे खट्खटा चुका है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. इस मामले को लेकर जब ETV भारत ने एसएसपी से बात की तो उन्होंने मामले में जांच की बात कही. वहीं एसएसपी ने परिवार के हुक्का पानी बंद करने को लेकर अधिकारियों को जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र में ऐसी घटनाएं हो रही है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दूराज के इलाकों में क्या होता होगा. ऐसे में देखना होगा कि साहू परिवार को कब तक न्याय मिल पाता है.

Intro:यु तो हम आजाद भारत में संविधान और लोकतंत्र की बात करते है जहाँ पर देश के सभी नागरिको को सामान अधिकार प्राप्त होने की बात भी कही जाती है पर आज भी देश के गाँव में चंद हुक्मरान अपने कानून चलाते है जहाँ संविधान और नागरिक अधिकारों की धज्जियाँ खुले आम उड़ती दिख सकती है ...हम बात कर रहे है दुर्ग जिले के पाटन के ग्राम रीवागहन की जो कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र है जहाँ पर साहू परिवार के 16 सदस्यों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है ...

Body:प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक परिवार को घर के बाहर शौचालय बनवाने की सजा सामाजिक बहिष्कार तक ले जा सकती है ये बात सुनने में अजीब सी जरुर लग सकती है पर यह हकीकत दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक के ग्राम रीवागहन की है जहाँ एक परिवार के 16 सदस्यों को इसकी सजा भुगतनी पड़ रही है... दुर्ग के कलेक्ट्रेट परिसर में मासूम बच्चो के साथ दिखने वाले परिवार के ये सदस्य अपने हक़ की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे है इन्हें बस समाज में सभी के साथ समान हक़ और बराबरी से जीने की चाहत है पर गाव के कुछ दबंग व् रसूखदारों ने इनके अधिकारों पर गैर लोकतान्त्रिक ग्रहण लगा दिया है... साहू परिवार का कसूर बस इतना था कि उन्होंने अपने आँगन में गेट और शौचालय का निर्माण कराया था जिसको लेकर गाँव के अरुण चंद्राकर,कुंजेश चंद्राकर,शत्रुहन साहू,नरेश यादव,पुरानिक साहू द्वारा आपत्ति की गयी कि उक्त निर्माण शासकीय भूमि पर कराया गया है जिस पर पटवारी की जाँच भी हुयी और उक्त निर्माण पटवारी द्वारा वैध भी करार दिया गया ...बावजूद सरकारी आदेश को धत्ता बत्ता बताते हुए अपने आप को गाव के हुक्मरान समझने वाले लोगो ने इस पर निजी आपत्ति दर्ज करते हुए इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया इसके बाद उन्होंने गाँव में बैठक करके पीड़ित परिवार पर अर्थदंड भी लगा दिया दंड देने के बाद भी इनकी प्रताड़ना कम नही हुयी ...गाव के लोगो की बैठक बुला कर इनके साथ किसी भी तरह की बातचीत लेने व्यव्हार बंद करवा दिया गया और फरमान न मानने वालो पर भी अर्थदंड लगा दिया ..वही परिवार में 16 सदस्य है जिसमे पीड़ित परिवार में गाँव की एक पंच के साथ स्कूली बच्चे भी शामिल है परिवार के स्कूली बच्चे से भी गाँव में पढाई सम्बंधित कोई भी बातचीत करते है और दुसरे गाँव के बच्चो से पढाई संबध जानकारी लेना पड़ता है इस आदेश को बीते लगभग 8 महीने हो चुके है पीड़ित परिवार एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री,सांसद समेत कई दरवाजे पर अपनी गुहार लगा चुके है पर अब तक इस मामले में उन्हें न्याय नही मिल पाया है ..

Conclusion:इस मामले को लेकर जब मिडिया ने एसएसपी से बात करनी चाही तो उनका कहना था कि यह मामला पुराना है आपके माध्यम से जानकारी में आया है इस पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने अपने सम्बंधित अधिकारियो को जाँच करने का आदेश दिया है ...वही एसएसपी ने हुक्का पानी बंद के मामले में भी जाँच करने के लिए अधिकारियो को निर्देशित किया है

बाईट _ वैन कुमारी साहू,पीड़ित परिवार (गुलाबी साड़ी में)
बाईट _लक्ष्मीकांत साहू,पीड़ित स्कूली बच्चा (भूरा शर्ट में)
बाईट_अजय यादव,एसएसपी,दुर्ग (चेक शर्ट में)

कोमेन्द्र सोनकर,दुर्ग
Last Updated : Nov 26, 2019, 9:27 PM IST
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