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दुर्ग के मुक्तिधाम में वर्षों से मृतकों की अस्थियां कर रही 'मोक्ष' का इंतजार - death due to corona

दुर्ग के मुक्तिधाम में वर्षों से मृतकों की अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही है. वर्तमान में कुल 69 अस्थियां मौजूद है. 40 कोरोना से जान गंवाने वालों की अस्थियां है. वहीं करीब 17 साल से अस्थियां भी यहां मौजूद हैं. 2004 से लेकर 2016 तक की 29 अस्थियां है.

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दुर्ग के मुक्तिधाम में सालों से मृतकों की अस्थियां कर रही 'मोक्ष' का इंतजार
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Published : Jun 29, 2021, 10:49 PM IST

दुर्ग: कोरोना काल में हमने देखा कि लोग अपनों के अंतिम संस्कार से भी दूर भाग रहे थे. हमने देखा की कई लोगों की मौत को बाद उन्हें अंतिम विदाई के दौरान अपनों का साथ नहीं मिला. यहां तक की कई लोगों की अस्थियां तक परिजन नहीं ले गए. लेकिन ये सब कोरोना काल में हुआ. बता दें ऐसा नहीं है. दुर्ग में कोरोना के ही नहीं बल्कि 2004 से लोग अपनों की अस्थियां नहीं ले जा रहे हैं. कई सालों से मृतकों की अस्थियां मुक्तिधाम के अस्थि कक्ष में अपने परिजनों का इंतजार कर रही है. 17 सालों से परिजन की तरफ से अस्थियां नहीं ले जाने से अब मुक्तिधाम के संचालक ने निगम को नोटशीट तैयार कर भेज दिया है.

'मोक्ष' का इंतजार

2004 से 2016 तक की 29 अस्थियां मौजूद

ट्विनसिटी भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 2004 से लेकर 2016 तक की अस्थियों को अस्थि कक्ष में बाकायदा कलश में सहेज कर रखा गया है. पिछले 17 सालों से यहां 29 अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही है. सालों से मुक्तिधाम की आलमारी में रखी इन अस्थियों को लेकर तब दिक्कतें शुरू हुई है. कोरोना काल में रोजाना दर्जनों लोगों की मौत हो रही थी. कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों को रखने के लिए जब जगह कम पड़ने लगी थी. जिसके बाद मुक्तिधाम प्रभारी ने सालों से रखी अस्थियों को अलग से चिन्हित किया. सभी अस्थियों को एक-एक थैले में रखकर एक तरफ रखा गया है.

22 साल से मुक्तिधाम में सेवा दे रहे चौकीदार जर्जर घर में रहने को मजबूर

परिजन नहीं आए अस्थियां लेने

मुक्तिधाम के प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि अस्थि कक्ष में सालों से अस्थियां रखी हुई है. कुछ अस्थियों के कलश पर मृतकों के नाम लिखे हुए हैं. उसमें तारीख भी लिखी हुई है. लेकिन 14 अस्थियों के कलश पर तो नाम भी नहीं लिखा हुआ है. ऐसे में परिजनों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि वह 2008 से मुक्तिधाम का कार्यभार संभाल रहे हैं. उसके बाद से लेकर अब तक की अस्थियों में नाम है. लेकिन परिजन ही अस्थियां लेने नहीं आए. जिसकी वजह से लंबे समय से ये अस्थियां मुक्तिधाम में ही रखी हुई हैं.

दो साल से चल रही कवायद

मुक्तिधाम प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि पिछले दो साल से अस्थियों के विसर्जन को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक किसी तरह का निष्कर्ष नहीं निकला है. निगम ने हमसे एक बार फिर अस्थियों के संबंध में जानकारी मांगी है. हमने नोटशीट तैयार कर भेज दिया है. अब निगम के उच्च अधिकारी ही इस मामले का निपटारा कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले एक बार सेन समाज के लोगों ने अस्थियां मांगी थी, लेकिन उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया.

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कोरोना मृतकों की अस्थियां

मुक्तिधाम में मौजूद इन बहुत पुरानी अस्थियों के अलावा वर्तमान के करीब 35 से 40 अस्थियां मौजूद हैं. ये सभी अस्थियां कोरोना से जान गंवाने वालों की है. दाह संस्कार के बाद मुक्तिधाम में उनकी अस्थियां कलश संजोकर रख दी गई है. सभी के परिवार वालों से मुक्तिधाम के कर्मचारी संपर्क में हैं. अधिकांश लोग जल्द ही अस्थि ले जाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अजय अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति के परिवार के लोग नहीं पहुंच रहे हैं. उन्होंने तो कर्मचारियों का फोन उठाना ही बंद कर दिया है.

अस्थियों से जुड़ी फैक्ट फाइल पर एक नजर

  • भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 200 अस्थियां रखने की जगह
  • वर्तमान में कुल 69 अस्थियां मौजूद
  • 2004 से लेकर 2016 तक की 29 अस्थियां
  • इनमें 29 अस्थियों में से 15 पर नाम और 14 पर नाम ही नहीं
  • 40 कोरोना से जान गवाने वालों की अस्थियां

दुर्ग: कोरोना काल में हमने देखा कि लोग अपनों के अंतिम संस्कार से भी दूर भाग रहे थे. हमने देखा की कई लोगों की मौत को बाद उन्हें अंतिम विदाई के दौरान अपनों का साथ नहीं मिला. यहां तक की कई लोगों की अस्थियां तक परिजन नहीं ले गए. लेकिन ये सब कोरोना काल में हुआ. बता दें ऐसा नहीं है. दुर्ग में कोरोना के ही नहीं बल्कि 2004 से लोग अपनों की अस्थियां नहीं ले जा रहे हैं. कई सालों से मृतकों की अस्थियां मुक्तिधाम के अस्थि कक्ष में अपने परिजनों का इंतजार कर रही है. 17 सालों से परिजन की तरफ से अस्थियां नहीं ले जाने से अब मुक्तिधाम के संचालक ने निगम को नोटशीट तैयार कर भेज दिया है.

'मोक्ष' का इंतजार

2004 से 2016 तक की 29 अस्थियां मौजूद

ट्विनसिटी भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 2004 से लेकर 2016 तक की अस्थियों को अस्थि कक्ष में बाकायदा कलश में सहेज कर रखा गया है. पिछले 17 सालों से यहां 29 अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही है. सालों से मुक्तिधाम की आलमारी में रखी इन अस्थियों को लेकर तब दिक्कतें शुरू हुई है. कोरोना काल में रोजाना दर्जनों लोगों की मौत हो रही थी. कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों को रखने के लिए जब जगह कम पड़ने लगी थी. जिसके बाद मुक्तिधाम प्रभारी ने सालों से रखी अस्थियों को अलग से चिन्हित किया. सभी अस्थियों को एक-एक थैले में रखकर एक तरफ रखा गया है.

22 साल से मुक्तिधाम में सेवा दे रहे चौकीदार जर्जर घर में रहने को मजबूर

परिजन नहीं आए अस्थियां लेने

मुक्तिधाम के प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि अस्थि कक्ष में सालों से अस्थियां रखी हुई है. कुछ अस्थियों के कलश पर मृतकों के नाम लिखे हुए हैं. उसमें तारीख भी लिखी हुई है. लेकिन 14 अस्थियों के कलश पर तो नाम भी नहीं लिखा हुआ है. ऐसे में परिजनों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि वह 2008 से मुक्तिधाम का कार्यभार संभाल रहे हैं. उसके बाद से लेकर अब तक की अस्थियों में नाम है. लेकिन परिजन ही अस्थियां लेने नहीं आए. जिसकी वजह से लंबे समय से ये अस्थियां मुक्तिधाम में ही रखी हुई हैं.

दो साल से चल रही कवायद

मुक्तिधाम प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि पिछले दो साल से अस्थियों के विसर्जन को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक किसी तरह का निष्कर्ष नहीं निकला है. निगम ने हमसे एक बार फिर अस्थियों के संबंध में जानकारी मांगी है. हमने नोटशीट तैयार कर भेज दिया है. अब निगम के उच्च अधिकारी ही इस मामले का निपटारा कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले एक बार सेन समाज के लोगों ने अस्थियां मांगी थी, लेकिन उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया.

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कोरोना मृतकों की अस्थियां

मुक्तिधाम में मौजूद इन बहुत पुरानी अस्थियों के अलावा वर्तमान के करीब 35 से 40 अस्थियां मौजूद हैं. ये सभी अस्थियां कोरोना से जान गंवाने वालों की है. दाह संस्कार के बाद मुक्तिधाम में उनकी अस्थियां कलश संजोकर रख दी गई है. सभी के परिवार वालों से मुक्तिधाम के कर्मचारी संपर्क में हैं. अधिकांश लोग जल्द ही अस्थि ले जाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अजय अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति के परिवार के लोग नहीं पहुंच रहे हैं. उन्होंने तो कर्मचारियों का फोन उठाना ही बंद कर दिया है.

अस्थियों से जुड़ी फैक्ट फाइल पर एक नजर

  • भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 200 अस्थियां रखने की जगह
  • वर्तमान में कुल 69 अस्थियां मौजूद
  • 2004 से लेकर 2016 तक की 29 अस्थियां
  • इनमें 29 अस्थियों में से 15 पर नाम और 14 पर नाम ही नहीं
  • 40 कोरोना से जान गवाने वालों की अस्थियां
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