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सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, भर्ती के लिए मंगाए जा रहे ऑनलाइन आवेदन

दुर्ग जिले में कोरोना संक्रमण के कारण जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी हो गई है, इस वजह से चिकित्सकों की की नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए जा रहे हैं.

Shortage of doctors in government hospital
शासकीय अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
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Published : Jun 2, 2020, 7:11 PM IST

दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी लगातार देखने को मिल रही है. स्वास्थ्य मंत्री लगातार स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा भी कर रहे हैं. वहीं दुर्ग जिले में भी चिकित्सकों की कमी देखी जा रही है, जिसके मद्देनजर डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए हैं.

कोरोना संक्रमण के खतरे से डॉक्टर अस्पताल आने को तैयार नहीं हैं, जिससे आम नागरिकों के इलाज के लिए भी डॉक्टरों की कमी हो रही हैं. एक ओर जहां कोरोना वॉरियर्स के रूप में प्रदेश भर में डॉक्टर अपनी सेवा दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दुर्ग जिले कोरोना के कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी देखने को मिल रही है. जिला कलेक्टर के निर्देश पर डीएमएफ फंड से डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए गए हैं, लेकिन डॉक्टरों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

पढ़ें:छत्तीसगढ़: 172 जूनियर डॉक्टर्स का इस्तीफा, वेतन न देने और कोविड वार्ड में असुविधा का आरोप

बता दें, जिला अस्पताल में 17 डॉक्टर काम कर रहे हैं. मेडिकल ऑफिसर के 29 पदों पर सिर्फ 24 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. वहीं कई डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय रिटायर्ड भी हो रहे हैं. कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दुर्ग जिले में डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है. भिलाई के 100 बिस्तरों वाला लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल जहां महज दो डॉक्टरों के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है. आम नागरिक और मरीजों को अस्पतालों में चेकअप कराने के लिए आज भी अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है.

82 ग्रेड वन डॉक्टरों की पोस्ट खाली है

दुर्ग जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ग्रेड वन के डॉक्टरों की कमी है, जिसके कारण मरीजों का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है. दुर्ग जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब है, जिसे पटरी पर लाने के लिए कलेक्टर ने डीएमएफ फंड से डॉक्टरों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं. जिले में 21 प्राथमिक और 8 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है और यहां 82 ग्रेड वन डॉक्टरों के पोस्ट खाली है, फिलहाल 20 मेडिकल ऑफिसर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. आज भी 62 ग्रेड वन डॉक्टरों की कमी दुर्ग जिले में हैं. हर दिन जिले के इन अस्पतालो में एक हजार से ज्यादा मरीज आते हैं. स्टाफ की कमी होने के कारण उनका इलाज ठीक से नहीं हो पाता है. तो वहीं प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बीमारियों के स्पेशलिस्ट भी नहीं है.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी लगातार देखने को मिल रही है. स्वास्थ्य मंत्री लगातार स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा भी कर रहे हैं. वहीं दुर्ग जिले में भी चिकित्सकों की कमी देखी जा रही है, जिसके मद्देनजर डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए हैं.

कोरोना संक्रमण के खतरे से डॉक्टर अस्पताल आने को तैयार नहीं हैं, जिससे आम नागरिकों के इलाज के लिए भी डॉक्टरों की कमी हो रही हैं. एक ओर जहां कोरोना वॉरियर्स के रूप में प्रदेश भर में डॉक्टर अपनी सेवा दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दुर्ग जिले कोरोना के कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी देखने को मिल रही है. जिला कलेक्टर के निर्देश पर डीएमएफ फंड से डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए गए हैं, लेकिन डॉक्टरों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

पढ़ें:छत्तीसगढ़: 172 जूनियर डॉक्टर्स का इस्तीफा, वेतन न देने और कोविड वार्ड में असुविधा का आरोप

बता दें, जिला अस्पताल में 17 डॉक्टर काम कर रहे हैं. मेडिकल ऑफिसर के 29 पदों पर सिर्फ 24 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. वहीं कई डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय रिटायर्ड भी हो रहे हैं. कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दुर्ग जिले में डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है. भिलाई के 100 बिस्तरों वाला लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल जहां महज दो डॉक्टरों के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है. आम नागरिक और मरीजों को अस्पतालों में चेकअप कराने के लिए आज भी अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है.

82 ग्रेड वन डॉक्टरों की पोस्ट खाली है

दुर्ग जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ग्रेड वन के डॉक्टरों की कमी है, जिसके कारण मरीजों का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है. दुर्ग जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब है, जिसे पटरी पर लाने के लिए कलेक्टर ने डीएमएफ फंड से डॉक्टरों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं. जिले में 21 प्राथमिक और 8 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है और यहां 82 ग्रेड वन डॉक्टरों के पोस्ट खाली है, फिलहाल 20 मेडिकल ऑफिसर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. आज भी 62 ग्रेड वन डॉक्टरों की कमी दुर्ग जिले में हैं. हर दिन जिले के इन अस्पतालो में एक हजार से ज्यादा मरीज आते हैं. स्टाफ की कमी होने के कारण उनका इलाज ठीक से नहीं हो पाता है. तो वहीं प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बीमारियों के स्पेशलिस्ट भी नहीं है.

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